Source- Dainik Bhaskar
सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप केस के चारों दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखी है। कोर्ट ने फैसला सुनाते वक्त कहा, "निर्भयाकांड सदमे की सुनामी, जिस बर्बरता के साथ अपराध हुआ उसे माफ नहीं किया जा सकता।" चारों ने फांसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली वाली बेंच ने फास्ट ट्रैक सुनवाई के बाद 27 मार्च को फैसला सुरक्षित रखा था। बता दें कि 16 दिसंबर, 2012 की रात दिल्ली में 6 आरोपियों ने चलती बस में निर्भया के साथ गैंगरेप किया था। उसे बस से फेंक दिया था। बाद में इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई थी।तीन में से दो जज थे फांसी के फेवर में...
- दोपहर 2.03 बजे सुप्रीम कोर्ट के तीनों जज- जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस भानुमति कोर्ट में आए। जस्टिस मिश्रा और जस्टिस भूषण ने हर चीज को रिकॉर्ड में लिया। जस्टिस मिश्रा और जस्टिस भूषण फांसी के फेवर में थे। कोर्ट ने 20 मिनट में फैसला सुनाया।
- कोर्ट ने कहा, "जिस बर्बरतापूर्ण तरीके से घटना को अंजाम दिया गया, उस लिहाज से हाईकोर्ट का फैसला सही था। रहम की गुंजाइश नहीं है।"
- "घटना समाज को हिला देने वाली थी। घटना को देखकर लगता है कि ये धरती की नहीं बल्कि किसी और ग्रह की है। घटना के बाद शॉक की सुनामी आ गई।"
- "दोषियों ने पीड़िता को बस से कुचलकर मारने की कोशिश भी की। बाद में सिंगापुर में इलाज के दौरान निर्भया की मौत हो गई।"
- "लोगों को तभी भरोसा आएगा जब कठोरता से फैसला हो। घटना समाज को झकझोर देने वाली है। ये रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस है।"
- आखिरी फैसले के बाद कोर्टरूम में तालियां भी बजीं।