किसान आंदोलन: राकेश टिकैत बोले- 'सरकार याद कर ले…4 लाख ट्रैक्टर भी यहीं, 26 तारीख भी हर महीने आती है'

कृषि कानूनों के विरोध में बीते सात महीने से बड़ी संख्या में किसान दिल्ली के कई बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन सरकार और किसानों के बीच अब तक हुई 11 दौर की बातचीत भी इसको लेकर कोई समाधान नहीं निकल पाया है। केंद्र और आंदोलनकारी किसानों की बातचीत जनवरी से ही रुकी है। हाल ही में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि सरकार किसानों के साथ बातचीत फिर से शुरू करने के लिए तैयार है, हालांकि किसान संगठन तीनों नये कृषि कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाले कानून की अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। प्रदर्शन कर रहे किसानों और सरकार के बीच आखिरी बातचीत 22 जनवरी को हुई थी, जनवरी के बाद से बातचीत नहीं हुई है।

20 जनवरी को हुई 10वें दौर की बातचीत के दौरान केंद्र ने 1-1.5 साल के लिए कानूनों को निलंबित रखने और समाधान खोजने के लिए एक संयुक्त समिति बनाने की पेशकश की थी, जिसके बदले में विरोध करने वाले किसानों से दिल्ली की सीमाओं से हटकर अपने घर जाने को कहा गया था।

इस बीच गुरुवार को भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने सरकार को चेतावनी दी है। 26 जनवरी को हिंसक किसान आंदोलन की याद दिलाते हुए राकेश टिकैत ने साफ कहा कि चार लाख ट्रैक्टर भी यहीं है, 25 लाख किसान भी यहीं और 26 तारीख भी हर महीने आती है। आंदोलन की आगे की स्थिति को लेकर राकेश टिकैत ने कहा कि पिछले सात महीने से किसान आंदोलन चल रहा है। सरकार को क्या शर्म नहीं आती? कोरोना की तीसरी वेव आती है तो भी हम यहीं रहेंगे। राकेश टिकैत ने ट्वीट के जरिए सरकार को ये साफ संकेत दे दिया है कि आंदोलन किसी भी कीमत पर वापस होने वाला नहीं है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा सुन ले सरकार किसान एक बार फिर से हैं तैयार। उन्होंने ये भी लिखा आंदोलन खत्म नहीं होगा ये शांतिपूर्ण तरीके से चलता रहेगा।

ट्वीट में राकेश ट्वीट में कही ये बात

राकेश टिकैत ने ट्वीट कर लिखा कि 'चार लाख ट्रैक्टर भी यही हैं, दिल्ली के ढब को खड़े खड़े घे करें वे, वो 25 लाख किसान भी यही हैं और 26 तारीख भी हर महीने आती है ये सरकार याद रख लें...'

अपने ट्वीट्स में राकेश टिकैत ने बिल_वापसी_ही_घर_वापसी हैशटैग का इस्तेमाल किया है।

इससे पहले राकेश टिकैत ने 21 जून को ट्वीट करते हुए कहा था कि देश को लुटेरों से बचाने के लिए तीन चीजें जरूरी है। सरहद पर टैंक, खेत में ट्रैक्टर, युवाओं के हाथ में ट्विटर।

बुधवार को ढांसा बॉर्डर पहुंचे राकेश टिकैत

भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के प्रवक्ता राकेश टिकैत बुधवार को ढांसा बॉर्डर पहुंचे। उन्होंने यहां कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर धरना दे रहे किसानों को संबोधित किया। कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर बड़ी संख्या में देश के किसान सात महीने से बैठे हैं। सरकार के बार-बार आंदोलन को बदनाम करने के मंसूबे फेल हो गए। किसी भी हाल में किसान अपना अधिकार लेने के बाद ही घर वापसी करेंगे।

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान केंद्र को तीनों कानूनों को निरस्त करने के लिए बाध्य करेंगे। ये कानून किसानों की भलाई के लिए नहीं बल्कि पूंजीपतियों के खजाने भरने के लिए बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा में भाजपा की राजनीति बंद हो चुकी है, इसलिए हरियाणा सरकार किसान नेताओं पर आंदोलन की आड़ में राजनीति करने का आरोप लगा रही है।

हरियाणा सरकार के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा

केंद्र के बाद किसानों की विरोधी हरियाणा सरकार के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने किसानों को संकेत दिया कि आंदोलन लंबा चलेगा। केंद्र सरकार आंदोलन को लंबा बनाने की तैयारी में है ताकि किसान परेशान होकर घर वापसी कर जाए। आंदोलन कितना ही लंबा हो जाएं, लेकिन किसान भी पूरी तैयारी के साथ हैं। चार साल तक आंदोलन की रूपरेखा किसानों ने तैयार कर रखी है।

सरकार इस आंदोलन का कुछ नहीं बिगाड़ सकती

टिकैत कहा कि किसानों ने भाजपा सरकार का इलाज कर रखा है और सरकार इस आंदोलन का कुछ नहीं बिगाड़ सकती। सरकार बरगला रही है कि किसान आंदोलन में फंडिंग हो रही है जबकि किसान आंदोलन आम लोगों के सहयोग से चल रहा है। केंद्र सरकार कान खोल कर सुन ले किसानों के लाखों ट्रैक्टर खड़े हैं।

किसानों को कहा - अपना पैसा अपने पास ही रखो

सरकार का इलाज किसी भी महीने की 26 तारीख को किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री ने किसान आंदोलन की जिम्मेदारी ले रखी है। दिल्ली में केंद्र से निपटने के बाद हरियाणा सरकार का इलाज किया जाएगा। किसानों को अपना पैसा सुरक्षित रखना है। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि अपना पैसा अपने पास ही रखो।

इससे पहले राकेश टिकैत का ढांसा बॉर्डर पहुंचने पर गुलिया खाप के प्रधान विनोद बादली ने स्वागत किया। किसान यूनियन के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र डागर, जयप्रकाश बेनीवाल, हिम्मल पहलवान, सरजीत गुलिया, बेदन ठेकेदार, चिंटू छारा और सतबीर फौजी सहित काफी संख्या में किसान मौजूद रहे।