अब मंत्रियों से बात नहीं होगी, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री आगे आएं: किसान नेता

तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन का आज 71वां दिन है। कानून वापसी की मांग पर अड़े किसानों ने हरियाणा के जींद जिले के कंडेला गांव में बुधवार को महापंचायत की। इस महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत भी शामिल हुए। महापंचायत में उन्होंने कहा कि अब कृषि मंत्री या फिर किसी और मंत्री से बातचीत नहीं करेंगे। अब प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को बातचीत के लिए आगे आना होगा। टिकैत ने आगे कहा, 'अभी तो किसान कानूनों की वापसी की मांग कर रहे हैं, जब गद्दी वापसी की मांग करेंगे तब सरकार क्या करेगी? जब कोई राजा डरता है तो किले बंदी का सहारा लेता है। ठीक ऐसा ही हो रहा है। बॉर्डर पर जो कीलबंदी की गई है, ऐसे तो दुश्मन के लिए भी नहीं की जाती है। लेकिन किसान डरेगा नहीं। किसान इसके ऊपर लेटेंगे और उसे पार करके जाएंगे।

सरकार द्वारा बातचीत के लिए किसानों की कमेटी के सदस्यों की संख्या कम करने से भी टिकैत ने साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, कभी भी बीच लड़ाई में घोड़े नहीं बदले जाते। जो कमेटी के सदस्य हैं, वहीं रहेंगे।

इस बीच भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि वह रुड़की के मंगलौर में किसानों का आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है और कृषि कानून निरस्त होने तक यह जारी रहेगा। छह फरवरी को भारत बंद में किसान पूरे अनुशासन के साथ शामिल होंगे। टिकैत भारतीय किसान यूनियन, उत्तराखंड किसान मोर्चा और किसान कामगार मोर्चा की ओर से बुलाई गई महापंचायत को संबोधित कर रहे थे। इसमें मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, शामली और बागपत से बड़ी संख्या में किसान पहुंचे।

महापंचायत में 5 प्रस्ताव पास हुए है


- तीनों कृषि कानूनों को सरकार वापस ले
- एमएसपी का कानून बनाए
- स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू करे
- पकड़े गए लोगों और जब्त किए गए ट्रैक्टर छोड़े जाएं
- किसानों का कर्ज माफ हो

आपको बता दे, मथुरा में हुई खाप पंचायत में हर घर से एक व्यक्ति के गाजीपुर बार्डर के धरने में शामिल होने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई। पूर्व सैनिक संगठन और रालोद ने भी किसानों के साथ कंधे से कंधा मिला चलने का एलान किया।