क्रिसमस की ही तरह ईस्टर संडे इसाई समुदाय का विशेष त्योंहार होता हैं। जिसकी तैयारी बहुत पहले से शुरू कर दी जाती हैं। गुड फ्राइडे के दो दिन बाद आने वाला संडे, ईस्टर संडे के रूप में मनाया जाता हैं। मां जाता है कि इस दिन प्रभु यीशु फिर से जीवित हो उठे थे। इसलिए इस दिन का इसाई समुदाय में बड़ा महत्व हैं। पूरे विश्वभर में यह दिन बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता हैं। आज हम आपको ईस्टर संडे से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बातें बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं उन बातों के बारे में।
* ईस्टर रविवार के पहले सभी गिरजाघरों में रात्रि जागरण तथा अन्य धार्मिक परंपराएं पूरी की जाती है।
* इसको चर्च के वर्ष का काल या ईस्टर काल या द ईस्टर सीज़न भी कहा जाता है।
* ईस्टर की आराधना उषाकाल में महिलाओं द्वारा की जाती है क्योंकि इसी वक्त यीशु का पुनरुत्थान हुआ था उन्हें सबसे पहले मरियम मगदलीनी नामक महिला ने देख अन्य महिलाओं को इस बारे में बताया था।
* ग्रेगोरियन कैलेंडर के प्रयोग के अनुसार, ईस्टर संयुक्त रूप से हमेशा 22 मार्च और 25 अप्रैल के बीच रविवार को पड़ता है।
* अगले दिन, ईस्टर मंडे, को मुख्यतः ईसाई परंपराओं वाले कई देशों में कानूनी तौर पर छुट्टी होती है।
* ईसाई धर्म में गुड फ्रायडे से तीसरा दिन रविवार अधिक महत्व रखता है।
* ईसाई धर्म के अनुयायी ऐसा मानते हैं कि पुन: जीवित होने के बाद चालीस दिन तक प्रभु यीशु शिष्यों और मित्रों के साथ रहे और अंत में स्वर्ग चले गए।
* ईस्टर के महीने में यूरोप के ज्यादातर बाजार बाज़ार रंग बिरंगे ईस्टर अंडों से सजे रहते हैं।
* ईस्टर के एक दिन पहले घर के बडे़ शनिवार रात को रंग बिरंगे और सुंदरता से सजाए हुए अंडो को घरों के कोनों या बाहर बगीचे में छिपा देते हैं और फिर रविवार की सुबह बच्चे इन अंडों को ढूँढ़ते हैं।
* स्कॉटलैंड (Scotland) और पूर्वी इंग्लैंड में टीलों पर से अंडे लुढ़काने का रिवाज है।