आज से सस्ता सोना खरीदने का सुनहरा मौका, यहां जानें Sovereign Gold Bond Scheme से जुड़ी कुछ खास बातें

12 अक्टूबर यानी आज से एक बार फिर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond (SGB) Scheme 2020-21) खरीदने का मौका मिल रहा है। 12 से 16 अक्टूबर तक गोल्ड बॉन्ड में निवेश किया जा सकेगा।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने स्वर्ण बॉन्ड का इशू प्राइस 5,051 रुपये प्रति ग्राम तय किया है लेकिन सरकार ने आरबीआई (RBI) के परामर्श से ऑनलाइन आवेदन करने और डिजिटल माध्यम से भुगतान करने वाले निवेशकों को प्रति ग्राम 50 रुपये की छूट देने का फैसला किया है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि ऐसे निवेशकों के लिए स्वर्ण बॉन्ड की कीमत 5,001 रुपये प्रति ग्राम होगी। इससे पहले 31 अगस्त से 4 सितंबर तक खुली सीरीज-6 के लिए 5,117 रुपए का इश्यू प्राइस तय किया गया था। आठवीं सीरीज 9-13 नवंबर को आएगी।

भारत में 2007 से चल रहा गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF)

गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) के जरिए निवेशक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सोना खरीद/बेच सकते हैं और आर्बिटेज गेन (एक मार्केट से खरीदकर दूसरे मार्केट में बेचने पर लाभ) हासिल कर सकते हैं। भारत में गोल्ड ईटीएफ 2007 से चल रहे हैं और एनएसई और बीएसई में रेगुलेटेड इंस्ट्रूमेंट्स हैं। इन्हें कई म्यूचुअल फंड स्कीम्स के जरिए खरीद सकते हैं, जो बुलियन, माइनिंग या सोने के उत्पादन से जुड़े सहयोगी बिजनेस में निवेश करती हैं।

1 ग्राम सोना से कर सकते हैं खरीदी की शुरुआत

ईटीएफ के जरिए सोना यूनिट्स में खरीदते हैं, जहां एक यूनिट एक ग्राम की होती है। इससे कम मात्रा में या एसआईपी (सिस्टमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान) के जरिए सोना खरीदना आसान हो जाता है। वहीं भौतिक (फिजिकल) सोना आमतौर पर तोला (10 ग्राम) के भाव बेचा जाता है।

अधिकतम 20 किलो ग्राम खरीद सकेंगे

आरबीआई भारत सरकार की ओर से सॉवरेन स्वर्ण बॉन्ड 2020-21 जारी कर रहा है। स्वर्ण बॉन्ड एक ग्राम सोना के गुणक में लिया जा सकता है। इसकी अवधि आठ वर्ष है और पांच साल के बाद इसमें बाहर निकलने का विकल्प भी है।

गोल्ड बॉन्ड में न्यूनतम एक ग्राम सोना का निवेश किया जा सकता है और आम आदमी के लिए अधिकतम निवेश की सीमा चार किलोग्राम है, जबकि हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) के लिए चार किलोग्राम और ट्रस्ट के लिए यह सीमा 20 किलोग्राम है।

इश्यू प्राइस (Issue Price) पर मिलता है 2.50 फीसदी ब्याज

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में इश्यू प्राइस पर हर साल 2.50% का निश्चित ब्याज (Interest) मिलता है। यह पैसा हर 6 महीने में अपने आप आपके खाते में पहुंच जाता है। फिजिकल गोल्ड और गोल्ड ईटीएफ पर आपको इस तरह का फायदा नहीं मिलता।

8 साल का रहता है मेच्योरिटी पीरियड (Maturity Period)

बॉन्ड का मेच्योरिटी पीरियड 8 साल का है। लेकिन निवेशकों को 5 साल के बाद बाहर निकलने का मौका मिलता है। यानी जरूरत पड़ने पर आप 5 साल बाद इसे कैश कर सकते हैं। एनएसई के मुताबिक लोन लेने के दौरान कोलैटरल के रूप में भी इन सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा ये बांड एनएसई पर ट्रेड भी करते हैं। अगर गोल्ड बॉन्ड के मैच्योरिटी पर कोई कैपिटल गेन्स बनता है तो इसपर छूट मिलेगी है।

गोल्ड ETF में मिलता है 99.9% शुद्ध सोना

गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) की कीमत पारदर्शी और एक समान होती है। यह लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन का अनुसरण करता है, जो कीमती धातुओं की ग्लोबल अथॉरिटी है। वहीं फिजिकल गोल्ड की अलग-अलग विक्रेता/ज्वैलर अलग-अलग कीमत पर दे सकते हैं। गोल्ड ईटीएफ से खरीदे गए सोने की 99.9% शुद्धता की गारंटी होती है, जो कि सबसे उच्च स्तर की शुद्धता है।

इसमें लगती है मेकिंग चार्जेस की तुलना में कम ब्रोकरेज

गोल्ड ईटीएफ खरीदने में 0.5% या इससे कम का ब्रोकरेज लगता और पोर्टफोलियो मैनेज करने के लिए सालाना 1% चार्ज देना पड़ता है। यह उस 8 से 30% मेकिंग चार्जेस की तुलना में कुछ भी नहीं है जो ज्वैलर और बैंक को देना पड़ता है, भले ही आप सिक्के या बार खरीदें। ईटीएफ सोना बेचने या खरीदने में ट्रेडर्स को सिर्फ ब्रोकरेज देना होता है। वहीं फिजिकल गोल्ड में लाभ का बड़ा हिस्सा मेकिंग चार्जेस में चला जाता है और यह सिर्फ ज्वैलर्स को ही बेचा जा सकता है, भले ही सोना बैंक से ही क्यों न लिया हो।

सोना रहता है सुरक्षित

इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड डीमैट अकाउंट में होता है जिसमें सिर्फ वार्षिक डीमैट चार्ज देना होता है। साथ ही चोरी होने का डर नहीं होता। वहीं फिजिकल गोल्ड में चोरी के खतरे के अलावा उसकी सुरक्षा में भी खर्च करना होता है। गोल्ड ईटीएफ खरीदने के लिए आपको अपने ब्रोकर के माध्यम से डीमैट अकाउंट खोलना होता है। इसमें एनएसई पर उपलब्ध गोल्ड ईटीएफ के यूनिट आप खरीद सकते है और उसके बराबर की राशि आपके डीमैट अकाउंट से जुड़े बैंक अकाउंट से कट जाएगी। आपके डीमैट अकाउंट में ऑर्डर लगाने के दो दिन बाद गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) आपके अकाउंट में डिपाजिट हो जाते हैं।

क्या है सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड?

आपको बता दे, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड एक सरकारी बांड होता है। इसे डीमैट रूप में परिवर्तित कराया जा सकता है। इसका मूल्य रुपए या डॉलर में नहीं होता है, बल्कि सोने के वजन में होता है। यदि बॉन्ड 5 ग्राम सोने का है, तो 5 ग्राम सोने की जितनी कीमत होगी, उतनी ही बॉन्ड की कीमत होगी। इसे खरीदने के लिए सेबी के अधिकृत ब्रोकर को इश्यू प्राइस का भुगतान करना होता है। बॉन्ड को भुनाते वक्त पैसा निवेशक के खाते में जमा हो जाता है। यह बॉन्ड भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) सरकार की ओर से जारी करता है।