नई दिल्ली। भारत के चुनाव आयोग ने बुधवार को चल रहे लोकसभा चुनावों के दौरान जाति, समुदाय, भाषा और धर्म के आधार पर प्रचार करने के लिए भारत के राजनीतिक दलों, भाजपा और कांग्रेस को आड़े हाथों लिया।
पोल पैनल ने कहा, भारत का सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश एक स्थायी संरक्षण है और इसलिए इसे चुनावों के लिए हताहत नहीं बनाया जा सकता है। मुख्य चुनाव निकाय ने कहा कि 'बड़े दो दलों को भारतीय मतदाताओं के गुणवत्तापूर्ण चुनावी अनुभव की विरासत को कमजोर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।'
बुधवार को जारी एक आधिकारिक अधिसूचना में, चुनाव निकाय ने भाजपा और उसके प्रचारकों को चुनाव प्रचार के दौरान धार्मिक और सांप्रदायिक स्वरों से परहेज करने का निर्देश दिया। चुनाव आयोग ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि पार्टी के स्टार प्रचारक प्रचार के दौरान सार्वजनिक भाषण देते समय सावधानी बरतें।
लोकसभा चुनाव में सांप्रदायिक आधार पर वोटों की अपील करने और सुरक्षा बलों के नाम पर मतदाताओं को रिझाने पर चुनाव आयोग ने ऐतराज जताया है। आयोग ने इस सिलसिले में भाजपा और कांग्रेस को नसीहत दी है कि वे ऐसा करने से बचें। आयोग ने कांग्रेस को कहा है कि वह डिफेंस फोर्सेज का राजनीतिकरण न करे। इसके अलावा सुरक्षा बलों में सामाजिक-आर्थिक विविधता के बारे में भी टिप्पणी न करने को कहा गया है। चुनाव आयोग ने भाजपा को भी सलाह दी है कि वह धार्मिक आधार पर चुनाव प्रचार न करे।
निर्वाचन आयोग ने भाजपा एवं उसके स्टार प्रचारकों को धार्मिक और सांप्रदायिक आधार पर चुनाव प्रचार करने से दूर रहने का निर्देश दिया। वहीं कांग्रेस से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि उसके स्टार प्रचारक ऐसे बयान
नहीं दें जिससे यह गलत धारणा बने कि भारत के संविधान को खत्म किया जा सकता है।