PM मोदी की सुरक्षा में लाल किले पर तैनात था एंटी ड्रोन सिस्टम, ये है इसकी खासियत

देश आज 74वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इस मौके पर पीएम मोदी (PM Modi) ने देश को ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से संबोधित किया। ऐसे आयोजन के दौरान हर बार आला दर्जे के सुरक्षा के इंतज़ाम देखने को मिलते हैं। इस बार पीएम की सुरक्षा में एक खास एंटी ड्रोन सिस्टम को लाल किले पर तैनात किया गया था। एक ऐसा ड्रोन जो ढाई किलोमीटर तक निशाने को साध सकता है। इस बेहद खास ड्रोन को विकसित किया है DRDO ने।

क्या है इसकी खासियत?

- ये छोटे से छोटे ड्रोन को तीन किलोमीटर के दायरे में आने से रोकता है।
- जैमिंग के माध्यम से या लेजर-आधारित डायरेक्टेड एनर्जी वेपन से ड्रोन के इलेक्ट्रॉनिक्स को आने से रोकता है।
- लेजर हथियारों के वाट क्षमता के आधार पर तीन किलोमीटर तक के माइक्रो ड्रोन का पता लगा सकती है
- ये एंटी ड्रोन एक से ढाई किलोमीटर के दायरे में लेजर की मदद से मार गिराने की क्षमता रखता है।

पीएम का संबोधन

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 74वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भारत को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने पर जोर दिया और इसके लिए एक व्यापक रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कई घोषणाएं भी कीं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'कोरोना के बीच 130 करोड़ भारतवासियों ने संकल्प किया आत्मनिर्भर बनने का। आत्मनिर्भर भारत आज हर भारतवासी के मन-मस्तिष्क में छाया हुआ है। इस सपने को संकल्प में बदलते देख रहे हैं। ये आज 130 करोड़ देशवासियों के लिए मंत्र बन गया है। जब मैं आत्मनिर्भर की बात करता हूं, तो कई लोगों ने सुना होगा कि अब 21 साल के हो गए हो, अब पैरों पर खड़े हो जाओ। 20-21 साल में परिवार अपने बच्चों से पैरों पर खड़े होने की अपेक्षा करता है। आज आजादी के इतने साल बाद भारत के लिए भी आत्मनिर्भर बनना जरूरी है। जो परिवार के लिए जरूरी है, वो देश के लिए भी जरूरी है। भारत इस सपने को चरितार्थ करके रहेगा। मुझे इस देश के सामर्थ्य, प्रतिभा पर गर्व है।'

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'कोरोना के संकट में हमने देखा कि दुनिया में कठिनाई हो रही है। दुनिया चीजें नहीं दे पा रहीं। इस देश में एन-95 मास्क नहीं बनता था, पीपीई किट नहीं बनती थीं, वेंटिलेटर नहीं बनते थे, अब बनने लगे। आत्मनिर्भर भारत दुनिया की कैसे मदद कर सकता है, यह आज हम देख सकते हैं। ...बहुत हो चुका। आजाद भारत की मानसिकता क्या होनी चाहिए। वोकल फॉर लोकल। स्थानीय उत्पादों का गौरव गान करना चाहिए। ऐसा नहीं करेंगे तो उसकी हिम्मत नहीं बढ़ेगी। हम मिलकर संकल्प लें कि 75 साल की तरफ जब हम बढ़ रहे हैं तो वोकल फॉर लोकल का मंत्र अपनाएं।'