राहुल गांधी की बहन प्रियंका को सलाह, ‘दो महीने में चमत्कार की उम्मीद मत करना’

गुरुवार को दिल्ली में लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस (Congress) ने एक रणनीतिक बैठक की। इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने पार्टी महासचिवों से राज्य स्तर पर पार्टी को मजबूत बनाने के लिए कहा। सक्रिय राजनीति में कदम रखने के बाद कांग्रेस की नवनियुक्त महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने भी इस बैठक में हिसा लिया। इस दौरान वह अपने भाई और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से अलग बैठी दिखीं। कांग्रेस महासचिवों की आधिकारिक बैठक में राहुल गांधी भी थे, मगर प्रियंका गांधी उनकी बगल वाली सीट पर बैठी नहीं नजर आईं। प्रियंका गांधी की बगल वाली सीट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) थे, जिन्हें पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है। इस घटना के बाद से अब सबके जहन में यह सवाल उठने लगा है कि आखिर प्रियंका गांधी राहुल गांधी से दूर क्यों बैठी थीं? राजनीतिक जानकारों की मानें तो प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) को एक बहुत अच्छे कारण के लिए राहुल गांधी से दूर वाली सीट आवंटित की गई थी। दरअसल, कांग्रेस यह संदेश देने की कोशिश कर रही थी कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की छोटी बहन प्रियंका उतनी ही महत्वपूर्ण हैं, जितनी की उस मीटिंग में मौजूद अन्य कांग्रेस के महासचिव। कांग्रेस यह संदेश नहीं देना चाहेगी कि प्रियंका गांधी को गांधी परिवार का सदस्य होने के नाते कोई विशेष तवज्जो दी जा रही है। इससे न सिर्फ पार्टी के भीतर बल्कि आम लोगों में भी एक सकारात्मक संदेश जाएगा। प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने बैठक के दौरान कहा वह तब तक आराम नहीं करेंगी जब तक राज्य में कांग्रेस (Congress) की विचारधारा का झंडा ऊंचा नहीं हो जाता। उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस (Congress) के दूसरे नेताओं के साथ मिलकर यूपी में विभाजन और जातिवाद की राजनीति को समाप्त करने के लिए काम करेंगी।

‘दो महीने में चमत्कार की उम्मीद न करने’

वही बैठक में उत्तर प्रदेश पर ध्यान केंद्रित कते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने राज्य की प्रभारी प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया से ‘दो महीने में चमत्कार की उम्मीद न करने’ और ‘राज्य चुनावों पर ध्यान लगाने’ के लिए कहा। प्रभारियों को 'मिशन मोड' में काम करने की सलाह दी गई है। राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस को विभाजनकारी राजनीति और ध्रुवीकरण से लड़ना होगा।

नए चेहरों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए

पार्टी पदाधिकारियों को फरवरी के अंत तक लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन को अंतिम रूप देने का निर्देश दिया गया है। पार्टी मुख्यालय में AICC के महासचिवों और विभिन्न राज्यों के प्रभारियों के साथ बैठक में राहुल गांधी ने कहा कि नए चेहरों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

मीटिंग के बाद ट्विटर पर राहुल गांधी ने कहा, "मैं आज शाम AICC मुख्यालय में AICC महासचिवों और राज्य प्रभारियों से मिला। हमने व्यापक विषयों पर चर्चा की। टीम मैच के लिए तैयार है और हम फ्रंट फुट पर खेलेंगे।" कांग्रेस महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने कहा, "राहुल गांधी ने पार्टी नेताओं को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि चुनाव कैंपेन सभ्य तरीके से होना चाहिए। बीजेपी की तरह नहीं।"

केसी वेणुगोपाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि मीटिंग में राहुल गांधी ने इस महीने तक उम्मीदवारों के चयन को पूरा करने का अल्टीमेटम दिया है। बैठक में विभिन्न राज्यों में चुनाव अभियान की निगरानी के लिए केंद्रीय स्तर पर एक तंत्र की आवश्यकता पर भी चर्चा की गई।

तीन घंटे तक चली इस बैठक में चुनाव प्रचार की रणनीतियों और गठबंधनों पर भी चर्चा की गई। मीटिंग से बाहर निकलने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पत्रकारों को बताया कि सभी प्रभारी महासचिवों ने अपने विचार साझा किए और कांग्रेस अध्यक्ष ने उनसे कहा कि वह उनसे क्या अपेक्षा रखते हैं।

वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने देश की वर्तमान राजनीतिक स्थिति के बारे में भी स्पष्ट दृष्टिकोण दिया। राहुल गांधी ने आम चुनाव की तैयारियों की समीक्षा के लिए शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी में राज्य के प्रमुखों और कांग्रेस विधायक दल के नेताओं की बैठक भी बुलाई है।