बंगाल से दिल्ली, महाराष्ट्र पहुंची डॉक्टरों की हड़ताल, देशभर में प्रदर्शन, मरीज परेशान

पश्चिम बंगाल में एक जूनियर डॉक्टर के साथ हुई मारपीट की घटना के बाद डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं। हड़ताल आज चौथे दिन भी जारी है। इससे पहले हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों ने गुरुवार दोपहर दो बजे तक काम पर लौटने के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश को नहीं माना और हड़ताल जारी रखने का फैसला किया। इन डॉक्टरों को भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) का साथ मिला है। आईएमए ने आज ‘अखिल भारतीय विरोध दिवस’ घोषित किया है। बंगाल में डॉक्टरों की हड़ताल का असर अब देश के अन्य हिस्सों में भी दिखना शुरू हो गया है। राष्ट्रीय राजधानी स्थित एम्स के रेजीडेंट डॉक्टरों ने गुरुवार को सांकेतिक प्रदर्शन करते हुए अपने सिर पर पट्टियां बांधकर काम किया और 14 जून को हड़ताल पर जाने की बात कही।

महाराष्ट्र और दिल्ली में डॉक्टरों की हड़ताल

पश्चिम बंगाल से शुरू हुई जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल आज महाराष्ट्र और दिल्ली तक आ पहुंची है। डॉक्टरों ने शुक्रवार सुबह एम्स और सफदरजंग में नए मरीजों का रजिस्ट्रेशन बंद कर दिया। इससे दूर-दराज से आए मरीजों को काफी परेशानी हो रही है। हालांकि पुराने मरीजों के लिए ओपीडी खुली है। हड़ताल के समर्थन में दिल्ली मेडिकल असोसिएशन, आईएमए और डॉक्टरों के अन्य कई संगठन भी आ गए हैं। इन्होंने आज दिल्ली, महाराष्ट्र समेत देशभर में हड़ताल का आह्वान किया है। आईएमए से जुड़े डॉ. हरजीत सिंह भट्टी के मुताबिक एम्स, सफदरजंग के अलावा निजी क्लिनिक-नर्सिंग होम भी बंद रहेंगे। एमसीडी हॉस्पिटल के डॉक्टर शनिवार से स्ट्राइक पर जाएंगे। महाराष्‍ट्र के रेजिडेंट डॉक्‍टरों ने भी आज शाम 5 बजे तक सांकेतिक हड़ताल का ऐलान किया है। ऐसे में डर है कि देशभर में डॉक्टर इस हड़ताल में शामिल हो सकते हैं। हड़ताल के चलते मरीजों और तीमारदारों को संकट का सामना करना पड़ रहा है और इलाज ठीक तरह से न मिलने से मरीजों की तबीयत भी बिगड़ रही है। मुंबई के डॉक्टरों का कहना है कि वह साइलेंट प्रोटेस्ट करेंगे। मामला इतना बढ़ गया है कि अदालत तक पहुंच गया है, हड़ताल को लेकल कलकत्ता हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसपर आज सुनवाई होनी है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने गुरुवार को मरीजों और उनके साथ आए लोगों से संयम बरतने का अनुरोध किया और मारपीट की घटना की निंदा की। उन्होंने कहा कि कि वह सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के समक्ष डॉक्टरों की सुरक्षा का मुद्दा उठाऐंगे।

इस्तीफा

इस बीच एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रधानाचार्य साइबल मुखर्जी और चिकित्सा अधीक्षक और उप प्रधानाचार्य प्रो सौरभ चटोपाध्याय ने संस्थान के संकट से निपटने में विफल रहने की वजह से इस्तीफा दे दिया है।

राज्य सरकार करेगी बड़ी कार्रवाई!

पश्चिम बंगाल सरकार हड़ताली जूनियर डॉक्टरों पर कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है। पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष निर्मल माजी ने गुरुवार को कहा कि हड़ताली डॉक्टर अगर काम पर नहीं लौटे तो उनका पंजीयन रद्द हो सकता है और उनका इंटर्नशिप पूरा होने का पत्र रोक दिया जाएगा।

उन्होंने विपक्षी दलों पर हड़ताली जूनियर डॉक्टरों को भड़काने का आरोप लगाया और कहा कि विपक्षी दल ममता बनर्जी सरकार की मुफ्त चिकित्सा सेवा योजना को बंद कराना चाहते हैं।

ममता पहुंची अस्पताल

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गुरुवार को दोपहर में सरकारी एसएसकेएम अस्पताल पहुंची तो डॉक्टरों ने ‘हमें इंसाफ चाहिए’ के नारे लगाए। उन्होंने कहा, ‘‘मैं आंदोलन की निंदा करती हूं। कनिष्ठ चिकित्सकों का आंदोलन सीपीएम और बीजेपी का षड्यंत्र है।’’ बनर्जी के पास स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का भी प्रभार है।

उन्होंने चिकित्सकों को चार घंटे के भीतर काम पर लौटने को कहा था लेकिन बाद में समय-सीमा में संशोधन करके इसे अपराह्न दो बजे कर दिया। उन्होंने ऐसा नहीं करने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी और कहा कि उन्हें छात्रावास खाली करने होंगे। बनर्जी की समय सीमा के बावजूद डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल जारी रखी।

डॉक्टरों को आई चोट दुर्भाग्यपूर्ण

ममता बनर्जी ने एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में दो जूनियर डॉक्टरों को आई चोटों को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। बनर्जी ने कहा कि इस बाबत पांच लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और इलाज में लापरवाही की शिकायत पर भी जांच के आदेश दे दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि कैंसर व गुर्दे के मरीज तथा दुर्घटना पीड़ित और दूर दराज से आए बच्चे इलाज नहीं मिलने की वजह से सबसे ज्यादा भुगत रहे हैं।

ममता ने बीजेपी को कोसा!


डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने को ममता बनर्जी ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की साजिश बताया है। ममता ने कहा है कि बीजेपी अब डॉक्टरों को भी अपने जाल में फंसा रही है। उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट भी लिखा और भाजपा को घेरा। उन्होंने लिखा कि NRS अस्पताल में जो भी हुआ वह गलत था, मैंने अपने मंत्री को भी भेजा था। लेकिन डॉक्टर मान नहीं रहे हैं, इसकी वजह से मरीजों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

इतना ही नहीं ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि गृह मंत्री और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह बंगाल को सांप्रदायिक माहौल में झोंकना चाहते हैं। उन्होंने बीजेपी पर ही डॉक्टरों को भड़काने का आरोप लगाया। उधर बंगाल में भी कई दल और समूह डॉक्टरों का समर्थन कर रहे हैं, कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम की बेटी शबा हकीम भी डॉक्टरों के समर्थन में उतर आई हैं।

डॉक्टरों ने की राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी से मुलाका

डॉक्टरों की एक टीम ने इस मुद्दे पर राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी से मुलाकात की। राज्यपाल ने भी उनसे हड़ताल खत्म करने की अपील की। त्रिपाठी से भेंट के बाद राजभवन के बाहर एक जूनियर डॉक्टर ने कहा, ‘‘मांग पूरी होने तक हम अपना आंदोलन जारी रखेंगे। हमारी मांगे साधारण हैं... उचित सुरक्षा मिले और सभी अस्पताल में सशस्त्र पुलिस बल तैनात हों तथा एनआरएस अस्पताल में शनिवार को हुए हमले में शामिल अपराधियों को गैर जमानती धाराओं में गिरफ्तार किया जाए।’’

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने जो कहा, हमें उनसे उसकी उम्मीद नहीं थी। बहरहाल, बनर्जी ने आरोप लगाया कि बाहर के लोग चिकित्सीय कॉलेजों और अस्पतालों में व्यवधान डालने के लिए घुस आए हैं। उन्होंने बीजेपी पर हड़ताल को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया।

क्यों भड़का माहौल?

दरअसल, ये घटना 10 जून करीब साढ़े पांच बजे की है। जब नील रत्न सरकार (NRS) मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान एक 75 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई। गुस्साए परिजनों ने मौके पर मौजूद डॉक्टरों को गालियां दीं। इसके बाद डॉक्टरों ने कहा- जब तक परिजन हमसे माफी नहीं मांगते हम प्रमाण पत्र नहीं देंगे।

इस मामले में फिर हिंसा भड़क गई, कुछ देर बाद हथियारों के साथ भीड़ ने हॉस्टल में हमला कर दिया। इसमें दो जूनियर डॉक्टर गंभीर रूप से घायल हुए जबकि कई और को भी चोटें आईं। और उसके बाद जब ममता बनर्जी ने हड़ताल वाले डॉक्टरों की निंदा की तो मामला तूल पकड़ता गया। NRS कॉलेज के प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल अभी तक इस मामले में अपना इस्तीफा सौंप चुके हैं।