राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में बने रहेंगे डोभाल, पीएम प्रमुख सचिव पीके मिश्रा को भी मिला सेवा विस्तार

नई दिल्ली। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को फिर से नियुक्ति मिल गई है। इसके अलावा पीएम नरेंद्र मोदी के प्रमुख सचिव पीके मिश्रा को भी सेवा विस्तार मिल गया है। पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने इन दोनों पद पर सेवा विस्तार को मंजूरी दी है। कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने इससे जुड़ा लेटर जारी कर दिया है। वहीं, पीके मिश्रा प्रधानमंत्री मोदी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी के पद पर बने रहेंगे।

अब अजित डोभाल अगले 5 और सालों तक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद पर बने रहेंगे। उन्हें कैबिनेट रैंक के अफसर का दर्जा मिला हुआ है, जो पहले की तरह ही बरकरार रहेगा। अजित डोभाल नई सरकार गठन के बाद अपने पहले असाइनमेंट पर पीएम नरेंद्र मोदी के साथ इटली जाने वाले हैं। यहां वह जी-7 समिट में हिस्सा लेंगे।

1968 बैच के आईपीएस अधिकारी अजीत डोभाल प्रधानमंत्री के सामने कूटनीतिक सोच और ऑपरेशनल प्लानिंग का शानदार कॉम्बिनेशन लेकर आते हैं। वह एक प्रख्यात काउंटर टेरेरिज्म एक्सपर्ट हैं। इसके साथ ही उन्हें परमाणु मुद्दों का भी विशेषज्ञ माना जाता है। डोभाल पिछले 10 सालों से देश के NSA के तौर पर काम कर रहे हैं। उरी में हुए सर्जिकल स्ट्राइक हो या पाकिस्तान में घुस कर आतंकवादियों को मारना हो ये सब काम अजित डोभाल के NSA रहते हुआ। बता दें कि NSA का पोस्ट कैबिनेट मंत्री के स्तर का होता है। NSA की रिपोर्टिंग सीधे प्रधानमंत्री के पास होती है वो रक्षा मंत्री या गृहमंत्री को रिपोर्ट नहीं करते हैं।

इसके अलावा कुवैत में आग लगने से 42 भारतीयों की मौत की भी पीएम मोदी ने समीक्षा की। इस बैठक में भी डोभाल मौजूद थे। केंद्र सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया, 'कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने अजित डोभाल के नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। वह 10 जून, 2024 को नियुक्त हुए हैं। उनका कार्यकाल अगले आदेश तक या फिर पीएम के कार्य़काल तक बना रहेगा।' अजित डोभाल का मोदी सरकार के दौर में अच्छा रुतबा रहा है और उन्हें कैबिनेट की रैंक मिलती रही है। अजित डोभाल आईपीएस अधिकारी रहे हैं और खुफिया अफसर के तौर पर उनके काम की खूब सराहना की जाती है।

वह 2014 में ही पीएम मोदी के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तौर पर जुड़े थे। भारत की सुरक्षा नीति पर अजित डोभाल की छाप देखी जाती है। वह जम्मू-कश्मीर में पाक प्रेरित आतंकवाद और देश एवं विदेश में खालिस्तान के उभार के संकट से निपटने में अहम रोल अदा कर रहे हैं। बता दें कि अरब देशों के साथ भारत के बेहतर रिश्तों के पीछे भी डोभाल की भूमिका मानी जाती है। मोदी सरकार के दौर में भारत ने पाकिस्तान पर सख्त नीति का पालन किया है। उड़ी पर अटैक के बाद भारत ने हमला बोला था। इसके अलावा पुलवामा अटैक के बाद भी भारत ने आक्रामक रुख अख्तियार करते हुए कार्रवाई की थी।

पिछले 10 साल से प्रिसिंपल सेक्रेटरी के तौर पर काम कर रहे मिश्रा

वहीं, पीके मिश्रा 1972 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह पिछले 1 दशक से प्रधानमंत्री मोदी के साथ प्रधान सचिव के तौर पर काम कर रहे हैं। इससे पहले वह भारत सरकार के कृषि सचिव के पद पर थे। इसी पद से वह सेवानिवृत्त हुए थे, जिसके बाद उन्हें पीएम मोदी ने अपना प्रधान सचिव नियुक्त किया था।