केरल में सरकार और राज्यपाल के बीच विवाद, सिर्फ दो मिनट में पढ़ा नीतिगत अभिभाषण

तिरुवनन्तपुरम। केरल में सत्तारूढ़ वाम मोर्चा और केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। गवर्नर ने गुरुवार को विधानसभा में सरकार के नीतिगत अभिभाषण को केवल अंतिम पैराग्राफ पढ़कर समाप्त कर दिया। उन्होंने सदन में सभी का अभिवादन करते हुए संबोधन शुरू किया और फिर कहा, ''मैं अब आखिरी पैरा पढ़ूंगा।''

ज्ञातव्य है कि आरिफ मोहम्मद खान और वामपंथी सरकार के बीच कई मुद्दों पर तकरार नजर आ चुकी है। केरल के विश्वविद्यालयों के कामकाज और विधानसभा द्वारा पारित कुछ विधेयकों पर उनके हस्ताक्षर न करने को लेकर दोनों के बीच विवाद की स्थिति बनी रहती है।

गवर्नर ने नए सत्र के पहले दिन अपने नीतिगत संबोधन का केवल अंतिम पैराग्राफ पढ़ा और दो मिनट से भी कम समय में अपना भाषण समाप्त कर दिया। राज्यपाल ठीक सुबह 9 बजे विधानसभा पहुंचे और मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और स्पीकर एएन शमसीर ने फूलों के गुलदस्ते से उनका स्वागत किया। हालांकि, राज्यपाल ने मुख्यमंत्री से हाथ नहीं मिलाया ना उनका अभिवादन नहीं किया।

राष्ट्रगान के बाद राज्यपाल नीतिगत संबोधन शुरू करने के लिए उठे और कहा, माननीय अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, मंत्री, विपक्ष के नेता और सदस्य, केरल के लोगों के प्रतिनिधियों के इस प्रतिष्ठित निकाय को संबोधित करना मेरे लिए सम्मान और विशेषाधिकार है। 15वीं केरल विधानसभा के 10वें सत्र की शुरुआत हो रही है। इसके बाद राज्यपाल ने 61 पेज के नीतिगत संबोधन का अंतिम पैरा पढ़ा और अपना संबोधन समाप्त कर लिया।

उन्होंने कहा, ''आइए याद रखें कि हमारी सबसे बड़ी विरासत इमारतों या स्मारकों में नहीं है, बल्कि भारत के संविधान की अमूल्य विरासत और लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, संघवाद और सामाजिक न्याय के शाश्वत मूल्यों के प्रति हमारे द्वारा दिखाए गए सम्मान और आदर में निहित है। सहकारी संघवाद का सार ही है जिसने हमारे देश को इन सभी वर्षों में एकजुट और मजबूत बनाए रखा है। यह सुनिश्चित करना हमारा परम कर्तव्य है कि यह सार कमजोर न हो। इस विविध और सुंदर राष्ट्र के हिस्से के रूप में हम समावेशी विकास का ताना-बाना बुनेंगे। हमारे रास्ते में आने वाली सभी चुनौतियों का सामना करेंगे।

उन्होंने अपना संबोधन समाप्त किया और फिर से राष्ट्रगान के बाद स्पीकर या मुख्यमंत्री के साथ एक शब्द का आदान-प्रदान किए बिना सुबह 9:04 बजे विधानसभा से बाहर चले गए। रिपोर्ट्स के मुताबिक विधानसभा के इतिहास में यह किसी राज्यपाल का अब तक का सबसे छोटा संबोधन है।

विपक्ष के नेता वीडी सतीसन ने कहा, हम राज्यपाल की कार्रवाई को विधानसभा के प्रति पूर्ण अनादर के संकेत के रूप में देखते हैं। उन्होंने विधायी प्रक्रियाओं और संवैधानिक निर्देशों की अवमानना की है। यह राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच राजनीतिक नाटक का दुखद अंत था। ।

इस मामले पर मुख्यमंत्री ने अभी तक कुछ नहीं कहा है। संस्कृति मंत्री साजी चेरियन ने संवाददाताओं से कहा, राज्यपाल को कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं रही होंगी। यदि उन्हें कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं तो वह ऐसा कदम उठा सकते हैं।''