नोटबंदी का भारतीय नागरिक और व्यवसायों पर बहोत बड़ा प्रभाव हुआ| सब के लिए
यह कठनाई का समय था| इस सब में एक बड़ी हानि हुई और वह है, आम आदमी को इससे
रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में तकलीफ हुई | बैंक और एटीएम के सामने घंटो लाइन में
खड़े रहना, अस्पताल का बिल, किराने की समस्याऔर बहोत कुछ| ऐसे सब
तक्लिफोंसे गुजरने के बाद भी सारे देश ने मोदीजी के यह बड़े और निर्णायक
फैसले में साथ दिया, लेकिन फिर भी इससे जुड़े कुछ नुक्सान है, आइये जानते है
उनके बारे में..
*रियल एस्टेट के भाव बहुत गिर गए, यह उद्योग पहले
से ही खस्ता हालत में था, नोटबंदी के वजह से तो इसकी नीव पर ही प्रहार हुआ|
कीमतों में गिरावट, मजदूरोंको वेतन देने के लिए नकद की किल्लत ने रियल
एस्टेट बाज़ार हो ख़ासा परेशान किया था| जिनके पास पैसा था ऐसे जागरूक
ग्राहकोंने इस परिस्थिति का लाभ उठाया और कम कीमत में घर, जमीन खरीद ली|
काला धन रखने वालोंने भी जमीने और घर खरीद लिए, पर इस कारण वह अब सरकार के
राडार में आ गए है| अब एक साल के बाद यह मार्केट फिर से तेजी पकड़ रहा है|
*नोटबंदी
के कारण रोज मर्रा की ज़िन्दगी की बड़ी प्रभावित हुई, हम किराना, सब्जी, दूध
नहीं ले पा रहें थे| टैक्सी, बस के लिए छुट्टे पैसे नहीं थे, रोजाना ऑफिस
जानेवालोंको इससे बहोत तख़लीफ़ हुई| पैसोंके कमी के कारण दवाइया नहीं मिल
रहीं थी, अस्पताल मरीजोंको एडमिट नहीं कर रहें थे; इस कारण बहोत सारे लोगों
की जान भी चली गयी| नोटबंदी के काल में यह सबसे शोकाकुल घटना थी| कहीं
लोगों को अपनी शादी पोस्टपोन करनी पड़ी| दिहाड़ी मजदूर जो दिन के कमाई पे पेट
पालते है, उन्हें, उनके बच्चों को भूका रहना पड़ा|
*नोटबंदी के चलते
सोने के मार्केट में भारी गिरावट आयी, इससे शेयर मार्केट को भी हानी हुई|
वैसेही रोज मर्रा की चीज़ों से लेकर गाड़ियों के खरीद में भारी गिरावट आ गई
थी, एक तरह से कुछ हफ़्तों के लिए बाज़ार ठप हो गया था| नोटबंदी से भारत का
हर बाज़ार और नागरिक प्रभावित हुआ था|
*इस योजना का मकसद सही था मगर कार्यान्यवन (इम्प्लीमेंटेशन) सही नहीं हुआ, इसके वजह से करोडो लोगों को तख़लीफ़े झेलनी पड़ी| नोटबंदी के अचानक की गयी घोषणा से किसको तैयारी करनेका समय ही नहीं मिला| एटीएम में नए नोटोंके माप से मशीन को कैलिब्रेट करने मे बैंक कर्मचारियों को बहुत समय लगा| सरकार नए नोट तेज़ी से छाप नहीं पाई, इस कारण आम जनता और बिजनेस की बहुत हानी हुई|
*नोटबंदी को भले ही 12 महीने से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन इसका थोड़ा बहुत असर अभी भी है. आज भी बैंकों के कई एटीएम से सिर्फ 2000 और 500 रुपये के ही नोट निकल रहे हैं. इससे लोगों को आज भी छोटे-मोटे लेनदेन करने में व्यावहारिक दिक्कतें आ रही हैं. इसकी एक वजह एटीएम से 500 से छोटे नोट न निकलना भी है
*भारतीय स्टेट बैंक समेत कई सरकारी और निजी बैंकों ने सेविंग्स अकाउंट पर ब्याज दर घटा दी है. डी.के. जोशी के मुताबिक इसमें थोड़ी बहुत भागीदारी नोटबंदी ने निभाई है. उनके अनुसार नोटबंदी के चलते बैंकों में लिक्विडिटी बढ़ गई है. ऐसे में बैंकों ने ब्याज दर घटाना ही अपने लिए फायदेमंद समझा है. अच्छी बात यह है कि ये स्थिति कुछ समय के लिए ही रहेगी.
*नोटबंदी का सबसे ज्यादा प्रभाव उन उद्योगों पर पड़ा है, जो ज्यादातर कैश में लेनदेन करते थे. इसमें अधिकतर छोटे उद्योग शामिल होते हैं. नोटबंदी के दौरान इन उद्योगों के लिए कैश की किल्लत हो गई. इसकी वजह से उनका कारोबार ठप पड़ गया. लोगों की नौकरियां गईं.
*जिस मूल उद्देश्य से नोटबंदी जारी की थी उसमे सरकार सफल नहीं रही| भ्रष्टाचार ख़तम नहीं हुआ, ना आतकवादी फंडिंग| ८ नवम्बर से कुछ महीनों में ही नकली नोट फिरसे बाज़ार में आये थे| इस कारण सरकार मूल योजना से हटकर कैशलेस इकॉनमी का बहाना आगे किया| इससे जो परिणाम सरकार को अपेक्षित थे वह वे हासिल नहीं कर पायें|