विश्व मधुमेह दिवस : मधुमेह पीड़ितों में दृष्टिहीन होने का जोखिम 25% अधिक

डायबिटीज यानी मधुमेह के कारण डायबेटिक मैक्युलर एडीमा (डीएमई) हो सकता है, जो रेटिना का तेजी से फैलने वाला रोग है, जिससे व्यक्ति में दृष्टिहीनता भी हो सकती है। मधुमेह से पीड़ित लोगों में अन्य लोगों की तुलना में दृष्टिहीन होने का जोखिम 25 प्रतिशत अधिक होता है। विश्व मधुमेह दिवस (14 नवंबर) के अवसर पर दिल्ली आई केयर में ऑफ्थैल्मोलॉजिस्ट एवं आई सर्जन डॉ. शशांक राय गुप्ता ने कहा, "मेरे क्लीनिक में आंखों की जांच के लिए आने वाले 75 प्रतिशत मधुमेह रोगियों में डायबेटिक रेटिनोपैथी की कोई न कोई अवस्था पाई जाती है। मधुमेह और डायबेटिक मैक्युलर एडीमा (डीएमई) के बढ़ते मामलों को देखते हुए हमें प्रारंभिक अवस्था में रोगियों की पहचान करने के लिए मजबूत दृष्टिकोण की आवश्यकता है।"

उन्होंने कहा, "मधुमेह रोगियों को अपनी आंखों के प्रति सजग रहना चाहिए और नियमित अंतराल पर आंखों की जांच करवानी चाहिए, ताकि नेत्र रोग का पता चल सके, खासकर रेटिना के रोग।"

उन्होंने कहा, "मधुमेह के रोगियों को अपनी आंखों के स्वास्थ्य के प्रति बेहद सतर्क रहना चाहिए। विशेष रूप से रेटिना के, उन लोगों को अक्सर उनकी दृष्टि जांचनी चाहिए। मधुमेह मैकुलर एडीमा (डीएमई) का बोझ बढ़ रहा है और हमें शुरुआती चरण में रोगियों की पहचान करने के लिए एक मजबूत दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।"

मधुमेह की रोकथाम के उपाय सुझाते हुए डॉ. शशांक राय गुप्ता ने कहा, "मधुमेह से पीड़ित रोगियों को प्रत्येक छह माह में ऑफ्थैल्मोलॉजिस्ट को दिखाना चाहिए और तय अपॉइंटमेन्ट से चूकना नहीं चाहिए। रोगियों को डीएमई के लक्षणों के प्रति सचेत रहना चाहिए, जैसे धुंधला या अस्पष्ट दिखाई देना, सीधी लाइनें लहरदार दिखाई देना, रंगों के प्रति असंवेदनशीलता, केन्द्रीय दृष्टि में धब्बे, आदि और दृष्टि में परिवर्तन होने पर तुरंत विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए।"

मोटे बच्चे जल्दी होते है डायबिटीज से पीड़ित

बच्चों में बढ़ता मोटापा आज चिंता का विषय बन चुका है, जो कई बीमारियों का कारण बन रहा है। कई कारणों से बच्चे आज मोटापे का शिकार बन रहे हैं जैसे लगातार टीवी देखना, इंटरनेट, गेमिंग डिवाइसेज पर समय बिताना, खेलकूद की कमी, जंक फूड का सेवन और निष्क्रिय जीवनशैली। मोटापे का एक घातक परिणाम डायबिटीज के रूप में सामने आता है और डायबिटीज का बुरा असर शरीर के हर अंग पर पड़ता है।

पिछले साल किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि दिल्ली में लगभग 35 फीसदी किशोरों का वजन सामान्य से अधिक है या वे मोटापे से ग्रस्त हैं। एक अनुमान के अनुसार अकेले दिल्ली में 32 लाख बच्चे डायबिटीज से पीड़ित हैं। ज्यादातर मामलों में ये बच्चे मोटापे का शिकार होते हैं या इनका वजन सामान्य से अधिक होता है। अध्ययन के अनुसार, बच्चों में मोटापा टाईप 2 डायबिटीज का कारण बन सकता है। लेकिन समय पर निदान के द्वारा रोग के लक्षणों को नियन्त्रण में रखा जा सकता है और प्री डायबिटीज को डायबिटीज में बदलने से रोका जा सकता है।