जैसलमेर में बवंडर लेकर आया तबाही, बर्बाद हुई एक हजार करोड़ रूपये की फसलें, गिरे 3 हजार से ज्यादा पेड़

बीते दिन राजस्थान में मौसम आंधी, तूफां, बारिश और ओलों से भरा रहा। रविवार रात से उठा बवंडर सोमवार तक जारी रहा और जैसलमेर में तबाही लेकर आया जिसमें एक हजार करोड़ रूपये की फसलें बर्बाद हो गई और इसी के साथ ही 3 हजार से भी ज्यादा पेड़ गिर गए। पिछले 20 सालों में लोगों ने ऐसी आंधी नहीं देखी थी। पर्यटन स्थल सम के धोरों पर 200 से अधिक टेंट बिखर गए। आंधी से जैसलमेर, बाड़मेर, जाेधपुर व जालोर तक रेत ही रेत छा गई। जैसलमेर-फतेहगढ़ में जीरा, इसबगोल और चने की फसल को नुकसान हुआ है। सरकार ने कलेक्टर आशीष मोदी से रिपोर्ट मांगी है। कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने कृषि विभाग, राजस्व विभाग व बीमा कंपनी से नुकसान के तुरंत सर्वे के निर्देश दिए हैं।

3 हजार से ज्यादा बड़े-बड़े पेड़ धराशायी हो गए, जिनमें कई तो सौ-सौ साल पुराने थे। 300 बिजली के पोल और 12 ट्रांसफाॅर्मर उखड़ गए। 58 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से आंधी चली। कच्चे झोंपे, टीन शेड व छपरे तिनकों की तरह बिखर गए। 132 व 220 केवी का एक-एक टावर भी धाराशायी हो गया। डिस्कॉम को करीब 2 करोड़ का नुकसान हुआ। सौ गांव और करीब 500 ढाणियों में अंधेरा छा गया। पेड़ गिरने से हजारों पक्षियों की जान चली गई। उदयपुर व झुंझुनूं में बिजली गिरने से एक-एक की मौत हो गई।

प्रदेश के कई शहराें में साेमवार काे दाेपहर बाद अचानक तेज अंधड़ आया। इसकी गति 40-50 किमी प्रतिघंटा थी। कई पेड़ गिर गए। कई जगह अधंड़ थमने के बाद ओले गिरे। बूंदाबांदी हुई। इससे फसलाें को बहुत नुकसान हुआ। इस पश्चिमी विक्षाेभ का असर मंगलवार तक रहेगा। जयपुर मौसम केंद्र के निदेशक राधेश्याम शर्मा के अनुसार, प्री-मानसून सीजन में हवा में कम नमी है। जमीन शुष्क होने से मेघगर्जन वाले ये बादल अंधड़ का रूप ले लेते हैं। इस बार औसत से 2 डिग्री तक ज्यादा पारा है। पश्चिमी विक्षोभ भी सक्रिय है। इसलिए मई जैसे अंधड़ आ रहे हैं।