शोध में दावा / कोरोना के जाने के बाद भी लंबे अरसे तक लोगों के मन में रह सकता है इसक खौफ

कोरोना वायरस से दुनिया में अब तक 51 लाख 94 हजार 99 लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। 20 लाख 80 हजार 923 लोग ठीक हुए हैं। मौतों का आंकड़ा 3 लाख 34 हजार 616 हो गया है। अमेरिका में संक्रमितों की संख्या 16 लाख 20 हजार 902 हो गई है। यहां अब तक 96 हजार 354 मौतें हुई हैं और 3 लाख 82 हजार 169 लोग ठीक हुए हैं। अमेरिका को इस वायरस से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।

वहीं ब्राजील में कोरोना से मरने वालों की संख्या शुक्रवार को 20 हजार के पार हो गई। अमेरिका और रूस के बाद ब्राजील तीसरा सबसे ज्यादा संक्रमित देश है। बुधवार को यहां 1188 लोगों की जान गई है, जबकि 18 हजार 508 नए मामले सामने आए हैं। यहां संक्रमितों की संख्या तीन लाख 10 हजार 921 पहुंच गई है।

भारत में 1 लाख 18 हजार 452 संक्रमित

भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1 लाख 18 हजार 452 हो गई है। संक्रमण 26 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों में फैला है। इनमें से सबसे ज्यादा प्रभावित 5 राज्यों में ही 86 हजार से ज्यादा, यानी 73% मरीज हैं। अकेले महाराष्ट्र में 41 हजार 642 संक्रमित हैं। इनमें से मुंबई में अब तक 25 हजार 500 केस आ चुके हैं। महाराष्ट्र के कुल संक्रमितों में मुंबई के मरीज 61% हैं। देश के कुल संक्रमितों में मुंबई के मरीजों की हिस्सेदारी 22% है।

गुरुवार को देश में 6025 नए मामले सामने आए। यह एक दिन में संक्रमितों का दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है।

कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कहर बरपा रखा है। कोरोना वायरस के वैक्सीन की खोज में करीब 100 से ज्यादा देश जुटे हुए हैं। इसमें से कई देशों में टेस्टिंग शुरुआती चरणों में है तो कई देशों में परीक्षण का अंतिम दौर चल रहा है। अप्रैल महीने में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी थी कि कोरोना वायरस के वैक्सीन को बाजार में आने में कम से कम 12 महीने लगेंगे।

मन से इसका खौफ लंबे अरसे तक बना रहेगा

ऐसे में कोरोना महामारी से जूझ रही दुनिया में भले ही एक समय बाद यह वायरस चला जाए लेकिन लोगों के मन से इसका खौफ लंबे अरसे तक बना रहने वाला है। लोगों की लंबे समय तक शारीरिक और मानसिक सेहत खराब रह सकती है।

लोग अरसे तक चिड़चिड़ेपन, डर या अवसाद से जूझ सकते हैं

कोरोना के जाने के बाद भी लोग अरसे तक चिड़चिडे़पन, डर या अवसाद से जूझ सकते हैं। खासकर यह उन इलाकों के लिए और भी खतरनाक साबित हो सकता है, जहां की आबादी कोरोना से ज्यादा संक्रमित रही है। अमेरिका के एक अध्ययन में यह दावा किया गया है।

येल स्कूल के सार्वजनिक स्वास्थ्य के शोधकर्ताओं ने न्यू ऑर्लियंस में कम आय वाली महिलाओं पर अध्ययन किया। 2005 में आए चक्रवाती तूफान कैट्रीना और उसके बाद के हालातों का सामना करने वाली इन महिलाओं पर अध्ययन किया गया। महिलाओं ने इस भीषण तबाही के अपने दर्दनाक अनुभव साझा किए और वे आज भी तबाही से पैदा हुए हालातों से उबर नहीं पाई हैं।

इनके अनुभव का आकलन करने पर पाया गया कि जिस तरह से इस वक्त कोरोना के चलते लोग अपनों को खो रहे हैं और उनके जाने के गम, इलाज और दवाओं की कमी से जूझ रहे हैं, वैसे ही 2005 के कैट्रीना के बाद में भी ऐसे ही हालातों का सामना कर रहे थे।

शारीरिक और मानसिक समस्याओं से जूझना पड़ेगा

येल स्कूल की असिस्टेंट प्रोफेसर सारा लोवे ने कहा, कोरोना के चलते लोगों को अरसे तक शारीरिक और मानसिक समस्याओं से जूझना पड़ सकता है।

हालांकि, इस अध्ययन में महामारी के चलते होने वाले वित्तीय नुकसानों और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को शामिल नहीं किया गया है, जिसका सार्वजनिक स्वास्थ्य पर अहम प्रभाव पड़ता है। ये कारक भी अरसे तक लोगों को दिमागी तौर पर बीमार बनाते हैं।

लोगों के दिलोदिमाग से चिंता और खौफ को दूर करना चाहिए

शोधकर्ताओं ने कहा कि कोविड-19 (Covid-19) के संक्रमण के प्रति लोगों की सुरक्षा बढ़ाने के प्रयासों को बढ़ावा देने के अलावा लोगों के दिलोदिमाग से चिंता और खौफ से निजात दिलाने की कोशिशें होनी चाहिए। साथ ही पूरक स्वास्थ्य सेवाओं को उन लोगों को प्रदान किया जाना चाहिए जो दुख में डूबे हुए हैं या महामारी से काफी डरे हुए हैं।