जयपुर : डेंगू ने उड़ाई चिकित्सा विभाग की नींद, सिर्फ अगस्त में ही सामने आए 8 माह में सबसे ज्यादा 110 मामले

कोरोना के साथ अब डेंगू भी कहर बरपाने लगा हैं। प्रदेश में सबसे ज्यादा खराब हालत जयपुर की हैं जहां सिर्फ अगस्त में ही डेंगू के 110 मामले सामने आए हैं जो बीते 8 माह में सबसे ज्यादा हैं। पिछले साल इसी माह में डेंगू के मात्र 41 केस पाए गए थे। चिकित्सा एवं विभाग की ओर से जारी किए जाने वाले डेंगू के आंकड़ों में एक भी मौत नहीं है, जबकि एसएमएस में अब तक डेंगू से चार मौतें हो चुकी हैं। इससे चिकित्सा विभाग की चिंता बढ़ गई हैं। सीएमएचओ डॉ. नरोत्तम शर्मा ने कहा कि कोरोना के साथ-साथ मौसमी बीमारियों का भी सर्वे करवाया जा रहा है। मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए टेमीफोस टैबलेट डाली जा रही है। एसएमएस अस्पताल वालों की ओर से हमें डेंगू से होने वाली मौत की जानकारी नहीं मिली है।

ऐसे में साफ जाहिर है कि विभाग मौत के आंकड़ों को छिपाने में लगा है। चिकित्सा विभाग के अतिरिक्त निदेशक (ग्रामीण स्वास्थ्य) डॉ. रवि प्रकाश शर्मा का कहना है कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार एलाइजा जांच को ही कन्फर्म माना जाता है। हमारे यहां पर अस्पतालों से आने वाले प्रत्येक केस की रिपोर्टिंग की जाती है। प्रदेश में डेंगू से अब तक का आंकड़ा एक हजार के पार हो गया है। शहर में एसएमएस अस्पताल, कावंटिया, सेटेलाइट सेठी कॉलोनी, सेटेलाइट बनीपार्क, जेके लोन, जयपुरिया, आरयूएचएस अस्पताल में डेंगू की जांच के लिए एलाइजा जांच सुविधा उपलब्ध है।

विशेषज्ञों का कहना है कि अचानक से डेंगू का ग्राफ बढ़ने का पहला कारण बारिश का फ्रेश वाटर कलेक्शन जिसमें एडीज एजिप्टाई का लार्वा पनपकर मच्छर बनने पर किसी व्यक्ति को काटने पर डेंगू फैला सकता है। दूसरा कूलर, गमले, टायर और जालियों में पानी के एकत्र होने तथा तीसरा कारण डेंगू वायरस के चार प्रकार जो उसकी रोग के फैलने की क्षमता और तीव्रता पर निर्भर करता है।