राजधानी में हाल ही में एक मार्केट रिसर्च कंपनी द्वारा किए गए एक अध्ययन से खुलासा हुआ है कि हर पांच में से दो शराबी अपनी कार या पार्क में बैठकर पीना पसंद करते हैं। दिल्ली में 41% लोग खुले में पीना पसंद करते हैं। सर्वे के अनुसार, दिल्ली में 41% शराब पीने वाले अपने माता-पिता के आसपास होने पर शराब पीने से बचते हैं, जबकि 25% का कहना है कि वे अपने बच्चों के सामने नहीं पीते हैं। सर्वेक्षण में 25-35 वर्ष के आयु वर्ग में 1,270 लोगों- 884 पुरुषों और 386 महिलाओं के विचारों को दर्ज किया गया।
IMRB-NFX द्वारा किए गए अध्ययन को लोगों के पीने की आदतों को जानने के लिए नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा कमीशन किया गया था।
अध्ययन से सामने आया कि गुड़गांव और लखनऊ में ज्यादातर लोग सुरक्षित स्थान पर पीते हैं। वे या तो बार में, दोस्त के घर पर या अपने घरों के शांत वातावरण में पीना पसंद करते हैं। खुले में लखनऊ में 32%, जबकि गुड़गांव में 25% से पीना पसंद करते हैं।
दिल्ली में शराब उपभोक्ताओं का कहना है कि राजधानी में सुरक्षित और उचित मूल्य पर पीने के लिए अपर्याप्त संख्या है। 1.8 करोड़ से अधिक की आबादी वाली राजधानी में केवल 884 लाइसेंस प्राप्त पब और बार हैं। पड़ोसी गुड़गांव में, जिसमें अनुमानित 15 लाख निवासी हैं, 519 ऐसे आउटलेट हैं। दिल्ली के लगभग 28% लोग खुले में शराब पीने की अपनी आदत के लिए दोषपूर्ण बार टाइमिंग को जिम्मेदार ठहराते हैं, क्योंकि ज्यादातर बार रात 11 बजे के आसपास बंद होने लगते हैं।
लगभग 37% महिलाओं का कहना है कि अधिकांश बार असुरक्षित और घिनौने स्थानों पर स्थित हैं। एनआरएआई के अध्यक्ष राहुल सिंह इस बात से सहमत हैं कि दिल्ली में बार की संख्या शहर की मांग से काफी कम है।