सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को लताड़ा, दिल्ली की हवा सुधारने के लिए तत्काल कुछ कीजिए, हम अपने घरों में भी मास्क लगाकर घूम रहे हैं

दिल्ली की दिन-पर-दिन जहरीली होती हवा में सांस लेना मुश्किल हो रहा है। शनिवार सुबह शहर में दिल्ली की हवा ‘गंभीर’ श्रेणी में थी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को लताड़ा है। जस्टिस एनवी रमना दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आप देख रहे हैं कि हालात कितने गंभीर हैं। हम अपने घरों में भी मास्क लगाकर घूम रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में स्कूलों के खोले जाने पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने प्रशासन से तुरंत जरूरी कदम उठाने को कहा है। जैसे- वाहनों को रोकना और दिल्ली में लॉकडाउन लगाना।

कोरोना वायरस के कारण पहले ही सीमित हो चुकी दिल्लीवासियों की जीवनशैली और रफ्तार को वायु प्रदूषण ने और धीमा कर दिया है। ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) की उप समिति ने कहा है कि 18 नवंबर तक मौसम से जुड़ी स्थिति प्रतिकूल रहेंगी। साथ ही संबंधित एजेंसियों को ‘इमरजेंसी’ कैटेगरी के तहत उपाय करने लिए कहा गया है।

सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी वेदर फोरकास्टिंग रिसर्च (SAFAR) के अनुसार, शनिवार सुबह 7:35 बजे दिल्ली में AQI 499 था। शुक्रवार शाम 4 बजे राजधानी में यह आंकड़ा 471 था। कहा जा रहा है कि खेतों में आग के 4000 से ज्यादा मामलों ने दिल्ली-एनसीआर की हवा को खराब करने में बड़ी भूमिका निभाई है। नौबत यहां तक आ गई है कि लोगों को घर से काम करने की सलाह दी जा रही है। कोरोना के बीच आए मुश्किल के इस नए दौर में आप खुद को इन उपायों से सुरक्षित रख सकते हैं।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के एक विश्लेषण के अनुसार, हर साल एक नवंबर से 15 नवंबर के बीच दिल्ली में लोगों को बेहद दूषित हवा में सांस लेनी पड़ती है। फरीदाबाद (460), गाजियाबाद (486), ग्रेटर नोएडा (478), गुरुग्राम (448) और नोएडा (488) में भी अपराह्न चार बजे गंभीर वायु गुणवत्ता दर्ज की गई। शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को अच्छा, 51 से 100 के बीच में संतोषजनक, 101 से 200 के बीच मध्यम, 201 से 300 तक खराब, 301 से 400 के बीच में बेहद खराब तथा 401 से 500 के बीच गंभीर माना जाता है।

सरकार ने दिया पराली का बहाना

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यकीन दिलाया कि वे पराली का जलना रोकने के लिए कदम उठा रहे हैं। सरकार ने कहा कि पिछले 5-6 दिनों में हमने जो प्रदूषण देखा है वह पंजाब में पराली जलने की वजह से है। राज्य सरकारों को अपने काम में तेजी लाने की जरूरत है। पराली खेतों में अब भी जलाई जा रही है। इस पर चीफ जस्टिस रमना ने सरकार से पूछा- 'आप क्यों ऐसा जताना चाहते हैं कि सिर्फ पराली जलाने से ही प्रदूषण हो रहा है। उससे सिर्फ कुछ प्रतिशत ही प्रदूषण फैल रहा है, बाकी का क्या?'

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने लोगों को घरों से बाहर जाने से बचने की शुक्रवार को सलाह दी और सरकारी और निजी कार्यालयों को राष्ट्रीय राजधानी में गंभीर वायु प्रदूषण के कारण वाहनों के उपयोग को 30% तक कम करने का निर्देश दिया।

सीपीसीबी ने कहा, 'सरकारी और निजी कार्यालयों और अन्य प्रतिष्ठानों को सलाह दी जाती है कि वे वाहन के उपयोग को कम से कम 30% (घर से काम करके, कार-पूलिंग, बाहरी गतिविधियों को सीमित करके, आदि) तक कम करें।'