शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती को उनके ही आश्रम में दी जाएगी समाधि, CM योगी ने ट्वीट कर जताया दुख

द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का 99 वर्ष की उम्र में मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में निधन हो गया। शंकराचार्य स्वरूपानंद ने शनिवार दोपहर 3 बजे के करीब अपने आश्रम में अंतिम सांस ली। वे पिछले काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। सांस लेने में तकलीफ के कारण पिछले दिनों जबलपुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शोक जताया और कहा कि उनका निधन संत समाज के लिए अपूरणीय क्षति है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'श्री द्वारका-शारदा पीठ व ज्योतिर्मठ पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य श्रद्धेय स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज का ब्रह्मलीन होना संत समाज की अपूरणीय क्षति है। प्रभु श्री राम दिवंगत पुण्यात्मा को अपने परमधाम में स्थान व शोकाकुल हिंदू समाज को यह दुःख सहने की शक्ति दें। ॐ शांति!'

निधन से देश में शोक की लहर

बता दें कि स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म मध्य प्रदेश राज्य के सिवनी जिले में जबलपुर के पास दिघोरी गांव में ब्राह्मण परिवार में 2 सितंबर 1924 में हुआ था। उनके माता-पिता ने इनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा था। महज 9 साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़ धर्म की यात्रा शुरू कर दी थी। इस दौरान वो उत्तर प्रदेश के काशी भी पहुंचे और यहां उन्होंने ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज से वेद-वेदांग, शास्त्रों की शिक्षा ली। साल 1942 के इस दौर में वो महज 19 साल की उम्र में क्रांतिकारी साधु के रुप में प्रसिद्ध हुए थे। क्योंकि उस समय देश में अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई चल रही थी। जब साल 1942 में 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' का नारा दिया गया तो स्वामी जी भी स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। वे जेल में भी रहे। स्वरूपानंद सरस्वती द्वारका और ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य थे। उनके निधन से देश में शोक की लहर दौड़ गई है। स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती करोड़ों सनातन हिन्दुओं की आस्था के ज्योति स्तंभ थे। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती दो मठों (द्वारका एवं ज्योतिर्मठ) के शंकराचार्य थे।