इंसाफ या तानाशाही : राष्ट्रपति जिनपिंग के खिलाफ बोलने पर प्रोफेसर को मिली सजा

चीन को अपनी तानाशाही के लिए हमेशा से ही जाना जाता रहा हैं जहां सरकार विरोधी बयानों और राष्ट्रपति के खिलाफ टिप्पणी करने पर उनके खिलाफ कड़े कदम उठाए जाते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ सेंट्रल पार्टी स्कूल की पूर्व प्रोफेसर काई शिया के साथ जिन्हें चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा निष्कासित कर दिया गया है। उने द्वारा समय-समय पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग की आलोचना की जाती रही हैं। उन्होंने राष्ट्रपति पर आरोप लगाया था कि वह चीन के लोगों का आर्थिक और सामाजिक दिक्कतों से ध्यान भटकाने के लिए भारत और चीन के बीच विवाद को भड़का रहे हैं।

स्कूल की वेबसाइट पर लगे एक नोटिस के हवाले से कहा गया कि काई (68) को इसलिए दंडित किया गया क्योंकि उन्होंने राजनीतिक समस्या पैदा करने वाले भाषण दिए। नोटिस में कहा गया कि उनके भाषण काफी भड़काऊ किस्म के थे और उन्होंने पार्टी के अनुशासन का उल्लंघन किया।

काई ने एक अखबार को बताया कि वह सुरक्षित हैं और अमेरिका में हैं। हालांकि उन्होंने ज्यादा कुछ कहने से इनकार कर दिया। ब्रिटेन के ‘गार्डियन’ अखबार को जून में एक साक्षात्कार में काई ने कहा था कि शी जिनपिंग चीन और भारत के बीच टकराव को बढ़ा रहे हैं और अपने फायदे तथा दबदबा बढ़ाने के लिए अमेरिका विरोधी भावनाओं को बढ़ावा दे रहे हैं।

इससे पहले, चीन में सरकार के स्वामित्व वाली रियल एस्टेट कंपनी के पूर्व अध्यक्ष रेन झिकियांग को सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। उन्होंने कोरोना वायरस महामारी को लेकर राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सार्वजनिक रूप से आलोचना की थी।

मार्च में सार्वजनिक रूप से एक निबंध के ऑनलाइन प्रकाशन के बाद से रेन झिकियांग गायब हो गए थे। इसी निबंध में उन्होंने महामारी पर जिनपिंग के खिलाफ टिप्पणी की थी। 69 वर्षीय रेन पर भ्रष्टाचार, गबन और रिश्वत के आरोप लगाए गए।

गौरतलब है कि चीन में सरकार विरोधी बयानों और राष्ट्रपति के खिलाफ टिप्पणी करने वाले लोगों के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाते हैं। यहां सरकार विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने पर सजा के कड़े प्रावधान हैं।