
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक बड़ा झटका लगा है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों के एडमिशन पर रोक लगाने वाले ट्रंप प्रशासन के आदेश को अमेरिका की एक अदालत ने फिलहाल रोक लगा दी है। इससे पहले हार्वर्ड की ओर से इस फैसले के खिलाफ दो मुकदमे दायर किए गए थे।
शुक्रवार, 23 मई 2025 को बोस्टन की अदालत में दायर की गई शिकायत में हार्वर्ड ने कहा कि विदेशी छात्रों के एडमिशन पर रोक लगाना अमेरिकी संविधान और अन्य संघीय कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन है। इसके अलावा, इस फैसले का विश्वविद्यालय और वहां पढ़ने वाले 7,000 से अधिक विदेशी वीजाधारकों पर तत्काल और गहरा नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हार्वर्ड ने कहा, सरकार ने एक कलम के झटके से विश्वविद्यालय के एक चौथाई छात्रों को खत्म करने की कोशिश की है, जो अंतरराष्ट्रीय छात्र हैं और जो विश्वविद्यालय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
अदालत ने पॉलिसी पर लगाया अस्थाई प्रतिबंधदुनिया की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में से एक हार्वर्ड ने कहा, बिना अंतरराष्ट्रीय छात्रों के हार्वर्ड, हार्वर्ड नहीं रह जाएगा। डेमोक्रेटिक पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा नियुक्त अमेरिकी जिला जज एलिसन बरोज ने इस नीति पर अस्थाई रोक लगाने का आदेश जारी किया। हार्वर्ड ने ट्रंप प्रशासन के इस फैसले का कड़ा विरोध किया है। इससे पहले भी यूनिवर्सिटी ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ करीब 3 बिलियन डॉलर के फंड को बहाल करने के लिए मुकदमा दायर किया था, जिस पर भी प्रशासन ने रोक लगाई थी।
ट्रंप को मिला कानूनी समर्थनइस बीच, पॉल, वीस और स्कैडेन आर्प्स जैसी बड़ी कानूनी फर्में ट्रंप के पक्ष में खड़ी हुईं और उन्होंने मुफ्त लीगल सेवा प्रदान करने की पेशकश की। बरोज के फैसले से पहले, व्हाइट हाउस की प्रवक्ता अबीगैल जैक्सन ने इस मुकदमे को खारिज करते हुए कहा, अगर हार्वर्ड को अपने परिसर में अमेरिकी विरोधी, यहूदी विरोधी और आतंकवाद समर्थक गतिविधियों को खत्म करने की चिंता होती तो वे इस स्थिति में कभी नहीं पहुंचते। उन्होंने आगे कहा, हार्वर्ड को अपना समय और संसाधन एक सुरक्षित और संरक्षित परिसर बनाने में लगाना चाहिए, न कि ऐसे तुच्छ मुकदमे दायर करने में।