PORN BAN: पॉर्न सर्च करने वाले टॉप 8 देशों में भारत का भी है नाम, पूरी रिपोर्ट

27 सितंबर, 2018को उत्तराखंड हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद केंद्र सरकार ने इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स से 827 पॉर्न वेबसाइट पर बैन लगाने को कहा था लेकिन इनमे से कुछ वेबसाइट सर्विस प्रोवाइडर्स द्वारा बैन कर दी गई लेकिन कुछ अभी भी चल रही है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फिर से उनसे इसका कारण पूछा है।

वैसे तो अमेरिका के बाद भारत में ही दुनिया के दूसरे सबसे ज्यादा इंटरनेट यूजर्स हैं। लेकिन पूरे में पॉर्न वेबसाइट विजिट करने वालों के आंकड़े सही से पता नहीं हैं। हालांकि पॉर्नहब वेबसाइट ने इंडिया से संबंधित आंकड़े एक साल पहले जारी किए थे। 2017 में जारी किए गए इन आंकड़ों की बात करें तो भारत इस वेबसाइट को विजिट करने वालों में तीसरे नंबर पर था। जबकि 2014 तक इस वेबसाइट पर आने वाले पूरे ट्रैफिक में से 40 फीसदी ट्रैफिक यानि 14200 करोड़ पेज विजिट केवल अमेरिका से आ रहा था।

वहीं 2015 में गूगल ने इंटरनेट पर सबसे ज्यादा पॉर्न खोजने वाले देशों के जो आंकड़े जारी किए थे, उनमें पाकिस्तान सबसे ऊपर था। वेबसाइट Salon.com की एक रिपोर्ट के मुताबिक इन सर्च में जानवरों जैसे सूअर, गधे, कुत्ते, बिल्ली और सांप की पॉर्न भी थीं।

पॉर्न सर्च करने वाले देशों में टॉप 8 में से 6 मुस्लिम देश

इन आंकड़ों से यह भी सामने आया है कि इंटरनेट पर पॉर्न सर्च करने वाले देशों में टॉप 8 में से 6 मुस्लिम देश हैं। इनमें से पॉर्न सर्च के मामले में दूसरे नंबर पर मिस्त्र, जबकि ईरान, मोरक्को, सऊदी अरब और टर्की इसी क्रम में चौथे, पांचवे, सातवें और आठवें नंबर पर हैं। जबकि लेबनान और टर्की को छोड़ दें तो लगभग सारे ही अरब देशों में पॉर्न बैन है।

2015 में सऊदी सरकार ने 9 हज़ार ट्विटर एकाउंट को हैक कर डिसेबल करने की घोषणा भी की थी। साथ ही कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था जो इन हैंडल्स को चलाते थे। इस काम को वहां की धार्मिक पुलिस ने अंजाम दिया था। इस पुलिस को हइआ के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी ही पुलिस कई खाड़ी देशों में है। कई मुस्लिम देश मानते हैं कि सोसाइटी की नैतिकता का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।

इसके पहले भी डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम को 31 जुलाई, 2015 को पॉर्न वेबसाइट बैन करने के लिए एक आदेश जारी किया जा चुका है। हालांकि 5 अगस्त को ही डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम के आदेश पर पॉर्न पर लगा यह प्रतिबंध हटा लिया गया था। माना जा रहा था कि टेलिकॉम कंपनियों ने वेबसाइट के बैन होने से रेवेन्यू के नुकसान की शिकायत की थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 70 फीसदी तक इंटरनेट ट्रैफिक पॉर्न वेबसाइट्स से आता है। इसके बाद डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम ने जारी किए अपने आदेश में इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स से कहा था कि वे इस बात के लिए फ्री हैं कि वे 857 में से किसी भी वेबसाइट को बैन न करें अगर उसपर कोई चाइल्ड पॉर्नोग्राफिक कंटेट न हो।

पॉर्न बैन, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 के अनुच्छेद 79(3)(b) के अंतर्गत आता है। इसी कानून के तहत पॉर्न कंटेंट तक लोगों की पहुंच को रोका जाता है। साथ ही लोग आईटी एक्ट, 2000 के अनुच्छेद 67 की आलोचना भी कर रहे थे। उनका कहना था कि अश्लील साहित्य या तस्वीर के प्रकाशन पर दंड का प्रावधान करने वाले इस कानून का दुरुपयोग भी किया जा सकता है।