क्या नौजवान और उनकी 'पार्टियां' कोरोना संक्रमण बढ़ा रहे हैं?

कोरोना वायरस महामारी को लेकर कई देश दावा कर रहे है कि वहां संक्रमण के कारण लोगों में हर्ड इम्यूनिटी (सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता) का विकास हो गया है। लेकिन, मंगलवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इन सभी दावों को खारिज करते हुए कहा कि फिलहाल दुनिया के किसी देश में भी कोरोना संक्रमण (Coronavirus) के खिलाफ हर्ड इम्यूनिटी (Herd immunity) उत्पन्न नहीं हुई है। इतना ही नहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि 20 से लेकर 40 साल के युवा कोरोना का संक्रमण दुनिया भर में फैला रहे हैं, उन्हें सतर्कता बरतने की जरूरत है।

नौजवानों में बढ़ रहा कोरोना

इंग्लैंड से लेकर जापान और जर्मनी से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक कई देशों में नौजवानों को कोरोना वायरस के नए मामलों में बढ़ोतरी के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है। कई अधिकारियों का कहना है कि इस उम्र के लोग लॉकडाउन में बोर हो गए हैं इसलिए अब वो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना करते हुए बाहर निकल रहे हैं। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि बड़ी संख्या में नौजवान अलग-अलग क्षेत्रों में नौकरी भी करते हैं। कई क्षेत्र ऐसे हैं जिनमें काम शुरू हो गया है इसलिए नौजवान काम के लिए भी बाहर निकल रहे हैं।

इंग्लैंड में ग्रेटर मैनचेस्टर के डिप्टी-मेयर रिचर्ड लीस ने पिछले हफ़्ते पत्रकारों से कहा था, 'नौजवानों के कोरोना पॉजिटिव होने के मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई है।' इसे देखते हुए सरकार ने स्थानीय लॉकडाउन भी लागू किया था।

डिप्टी-मेयर रिचर्ड लीस ने कहा था कि शहर में ज़्यादातर नए संक्रमण नौजवानों में पाये जा रहे हैं। कई लोग ऐसे व्यवहार कर रहे हैं जैसे महामारी ख़त्म हो चुकी है। वो घरों में होने वालीं पार्टियों या गैर-क़ानूनी रेव पार्टियों में जा रहे हैं।

वहीं, टोक्यो में कोरोना वायरस के मामलों में तेज़ी की एक वजह यह मानी जा रही है कि युवाओं ने अब बार में जाना शुरू कर दिया है। जापान में 20 और 29 साल के लोगों में सबसे ज़्यादा संक्रमण पाया गया है।

इसी तरह की स्थिति ऑस्ट्रेलिया में भी देखी गई है। अब ऑस्ट्रेलियाई राज्य विक्टोरिया में लोगों को ज़रूरी कामों को जैसे खाने का सामान, किसी देखभाल, कसरत और काम के लिए बाहर जाने की इजाजत दी गई है। वो भी तब जब ये काम घर से ना हो पाएं। साथ ही रात 8 बजे से सुबह 5 बजे तक नाइट कर्फ़्यू भी लगाया गया है।

यूरोप में गर्मियों की छुट्टियां मनाने के लिए पसंदीदा जगहों बार्सेलोना से लेकर उत्तरी फ्रांस और जर्मनी में मामलों में बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में स्पेन और जर्मनी ने भी नाइट कर्फ़्यू लगा दिया है।

फ्रांस मे 15 और 44 साल के लोगों में कोरोना वायरस के मामलों में सबसे ज़्यादा बढ़ोतरी हुई है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन में यूरोप के लिए रीजनल डायरेक्टर डॉ हांस क्लूज ने बीबीसी को बताया, 'हमें नागरिक और स्वास्थ्य अधिकारियों से रिपोर्ट मिली है कि संक्रमण के नए मामलों में सबसे ज़्यादा संख्या युवाओं की है। हालांकि, फिलहाल इसके स्पष्ट प्रमाण नहीं हैं।'

लेकिन, वो कहते हैं कि युवाओं को दोषी ठहराने के बजाए ये सोचना ज़्यादा महत्वपूर्ण है कि उन्हें कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने की कोशिशों में शामिल कैसे किया जाए।

डॉ हांस क्लूज कहते हैं, 'वह समझते हैं कि युवा अपनी गर्मियों को यूं ही नहीं जाने देना चाहते। लेकिन, उनकी अपने लिए, अपने माता-पिता और समुदाय के लिए एक ज़िम्मेदारी भी है। ऐसे में हमें जानना चाहिए कि स्वास्थ्य संबंधी अच्छी आदतों को कैसे अपनाया जाए।'

डॉ हांस क्लूज कहते हैं, 'अब भी नौजवानों में कोरोना वायरस के गंभीर लक्षण कम देखने को मिल रहे हैं लेकिन कोरोना वायरस के मरीज़ों के अनुभव बताते हैं कि युवा भी इस बीमारी के गंभीर लक्षणों से पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं।'

विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर जनरल टेडरस एडनॉम गैब्रिएसिस कहते हैं, 'हमारे सामने ये चुनौती रहती है कि युवाओं को कोरोना वायरस के ख़तरे के बारे में कैसे समझाएं। हमने पहले भी ये कहा है और अब भी कहते हैं कि युवाओं की भी कोरोना से जान जा सकती है और वो दूसरों में भी इसे फैला सकते हैं।'