अब नहीं लेना पड़ेगा गले से स्वाब, सिर्फ गरारा करने से होगी कोरोना जांच, मिली ICMR की मंजूरी

अब आप सिर्फ गरारा करके यह पता लगा सकते है कि आपको कोरोना हुआ है की नहीं। कोरोना के टेस्ट का यह नायब तरीका खोजा है राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (नीरी) ने। कोरोना के टेस्ट के इस तरीके में आप सिर्फ गरारा (Gargling) करके किसी भी व्यक्ति का सैंपल ले सकते है। कोरोना टेस्ट की इस पद्धति को आईसीएमआर (Indian Council of Medical Research) ने मंजूरी भी प्रदान कर दी है।

यह है तरीका

सीएसआईआर की एक घटक प्रयोगशाला नागपुर स्थित नीरी ने एक ऐसा द्रव्य तैयार किया है, जिसे मुंह में लेकर 15-20 सेकेंड गरारा करके एक शीशी में भर दिया जाता है। गरारा किए इसी द्रव्य को लैब में ले जाकर इसके जांच करने पर यह पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति कोरोना संक्रमित है की नहीं। इसे स्टेराइल सैलाइन गार्गल टेक्निक नाम दिया गया है। नीरी का दावा है कि इस पद्धति से टेस्ट करना आसान हो जाएगा। इसमें सैंपल रखने के लिए सिर्फ एक शीशी एवं द्रव्य की जरूरत पड़ेगी। एवं इसका परिणाम आरटी-पीसीआर टेस्ट जैसा ही विश्वसनीय भी होगा।

जानकारों का मानना है कि एक सरकारी लैब द्वारा खोजी गई यह पद्धति भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश में बहुत कारगर हो सकती है। क्योंकि इस पद्धति से लिए गए नमूनों को एक साथ एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा। यह तकनीक संसाधनों की कमी वाले ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक लाभप्रद हो सकती है।

देखा गया है कि अभी प्रचलित एंटीजेन टेस्ट या आरटी-पीसीआर तकनीक में टेस्ट कराने वाला व्यक्ति अक्सर नाक एवं मुंह में रुई लगी सलाई डलवाने से डरने लगता है। जिसके कारण वह टेस्ट करवाने से ही कतरा जाता है। प्रचलित तकनीक महंगी भी है। लेकिन नीरी द्वारा खोजी गई स्टेराइल सैलाइन गार्गल टेक्निक को कोई भी व्यक्ति बिना डरे अपना सकता है, और यह तकनीक सस्ती भी है। इसलिए इसका उपयोग करके कोरोना की जांच का लक्ष्य और बड़ा किया जा सकता है।