कोविड-19 / 50 लाख की आबादी वाले सिंगापुर में दूसरे चरण का संक्रमण, 14000 से ज्यादा संक्रमित मामले

कुछ दिनों पहले खबरें आ रही थी कि 50 लाख की आबादी वाले सिंगापुर ने कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोक लिया है। लेकिन अब हालात कुछ और होते दिख रहे हैं। यहां अब तक संक्रमण के कुल 14,000 मामले सामने आ चुके हैं। कहा जा रहा है कि सिंगापुर में कोविड-19 के दूसरे चरण का संक्रमण शुरू हो चुका है। लेकिन अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या सरकार पर्याप्त टेस्टिंग कर रही है।

सिंगापुर की सरकार का कहना है कि यहां प्रवासी मज़दूरों के बीच कोरोना वायरस का संक्रमण सबसे पहले शुरू हुआ था सिंगापुर में कंस्ट्रक्शन के काम में लगे हुए मज़दूर ज़्यादातर दक्षिण एशिया देशों से आते हैं। वर्किंग परमिट पर काम करने वाले ये मज़दूर आम तौर पर तंग कमरों में रहते हैं जहाँ वायरस का संक्रमण आसानी से फैलने की गुंजाइश होती है। इसलिए सबसे ज्यादा टेस्टिंग इन्ही लोगों की करी जा रही है।

सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्री जान किम योंग ने कहा है कि टेस्टिंग की दर कभी कम नहीं हुआ था। हर रोज 3000 मजदूरों की टेस्टिंग की जा रही थी। 21000 मजदूरों और डॉरमेट्री में रहने वाले हर 15 में से एक की टेस्टिंग पहले ही हो चुकी है। वो कहते हैं, 'अमरीका, ब्रिटेन हांगकांग और कोरिया जैसे दूसरे देशों की तुलना में यह टेस्टिंग दर काफी अधिक है। कोरिया में हर नब्बे में से एक की टेस्टिंग हुई है।'

सिंगापुर में संक्रमण के ज्यादातर मामले प्रवासी मजदूरों से जुड़े हुए है। ये मजदूर काफी संख्या में तंग डॉरमेट्री में रहते हैं। अब तक 12 डॉरमेट्री को आइसोलेशन में रखा जा चुका है और इसके अंदर हज़ारों मजदूर क्वारंटीन में रह रहे है। प्रवासी मजदूरों के संगठन ट्रांजिएंट वर्कर्स काउंट टू के एलेक्स वू ने बीबीसी को बताया है कि पर्याप्त मात्रा में टेस्टिंग नहीं किए जा रहे थे और यह ‘स्पष्ट नहीं’ था कि किसका टेस्ट कराया जाएगा और किसका टेस्ट नहीं कराया जाएगा।

उन्होंने कहा, 'हमारे पास ऐसी ख़बरें आ रही हैं कि जिन मजदूरों को बुखार है, उन्हें डॉक्टर घंटों या फिर दिन-दिनभर नहीं देख रहे हैं। उन्हें सिर्फ़ परासीटामोल लेने को कहा जा रहा है और मॉनिटर करने को कह कर छोड़ दे रहे हैं। इसलिए यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि किसका टेस्ट किया जा रहा है और किसका नहीं।'

उन्होंने कहा, 'मुझे इससे इस बात का अंदेशा लग रहा है कि हमारे टेस्टिंग क्षमता के ऊपर काफी दबाव है। इसलिए वो अपने हिसाब से टेस्टिंग के लिए लोगों को चुन रहे हैं। मैं निश्चित तौर पर तो नहीं कह सकता लेकिन मुझे आशंका है कि हमारी स्वास्थ्य सेवा संकट के कगार पर खड़ी है।'