कितना घातक है ब्रिटेन में मिला कोरोना वायरस का नया स्‍ट्रेन, यहां जानिए क्‍या कहते हैं एक्सपर्ट्स

कोरोना वायरस (Coronavirus) ने अपना रूप बदल लिया है। इस नए स्ट्रेन को VUI-202012/01 नाम दिया गया है। वैज्ञानिकों को अनुमान है कि कोरोना वायरस को जो नया रूप ब्रिटेन (Britain) में मिला है वह पहले से 70% ज्यादा खतरनाक हो सकता है। वायरस में लगातार म्यूटेशन (Mutation) होता रहता है, यानी इसके गुण बदलते रहते हैं। म्यूटेशन होने से ज्यादातर वेरिएंट खुद ही खत्म हो जाते हैं, लेकिन कभी-कभी यह पहले से कई गुना ज्यादा मजबूत और खतरनाक हो जाता है। यह प्रोसेस इतनी तेजी से होती है कि वैज्ञानिक एक रूप को समझ भी नहीं पाते और दूसरा नया रूप सामने आ जाता है।

कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन सबसे पहले UK के उत्तर-पूर्व में केंट काउंटी में सितंबर में सामने आया था। पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड की सुजन हॉपकिंस ने कहा कि एजेंसी ने नए स्ट्रेन की गंभीरता का मॉडल बनाकर ब्रिटेन की सरकार को 18 दिसंबर को इसकी सूचना दे दी है। UK ने इसी दिन अपनी स्टडी के नतीजे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को भी सौंप दिए हैं।

ब्रिटेन में कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन (प्रकार) बहुत तेजी से लोगों में फैल रहा है। जिसने बहुत ही तेजी से ब्रिटेन के अन्य क्षेत्रों को अपनी चपेट में ले लिया है। ब्रिटेन समेत यूरोप के ज्यादातर देशों में इसकी वजह से क्रिसमस से पहले सख्त लॉकडाउन लगा दिया गया है। भारत ने भी ब्रिटेन जाने और वहां से आने वाली फ्लाइट्स को बैन कर दिया है।

आइए जानते हैं कि कोरोना वायरस का यह नया प्रकार पिछले वायरस के मुकाबले में कितना अलग है और यह कितना घातक साबित हो सकता है।

क्‍या होता है वायरस म्यूटेशन?

म्युटेशन का मतलब होता है कि किसी जीव के जेनेटिक मटेरियल में बदलाव। यह बहुत ही सामान्य प्रक्रिया है। जब कोई वायरस खुद की लाखों कॉपी बनाता है और एक इंसान से दूसरे इंसान तक या जानवर से इंसान में जाता है तो हर कॉपी अलग होती है। कॉपी में यह अंतर बढ़ता जाता है। कुछ समय बाद एकाएक नया स्ट्रेन सामने आता है। वायरस अपना रूप बदलते रहते हैं। सीजनल इन्फ्लूएंजा तो हर साल नए रूप में सामने आता है। इस वजह से कोविड-19 के नए वैरिएंट्स को लेकर वैज्ञानिकों को बहुत ज्यादा आश्चर्य नहीं है। वुहान (चीन) में नोवल कोरोना वायरस सामने आया था। इसने एक साल में दस लाख से ज्यादा लोगों की जान ले ली। इस वायरस में कई म्युटेशन भी हुए हैं।

भारत में अभी तक नहीं

भारतीय विज्ञानियों का कहना है कि उन्होंने इस स्ट्रेन को भारत में नहीं देखा है। फिलहाल इससे चिंतित होने की जरूरत नहीं है और यह कुछ ही देशों तक पहुंचा है। सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (Centre for Cellular and Molecular Biology) से जुड़े विज्ञानियों का विश्लेषण है कि कई हजार सार्ससीओवी-2 वायरस जीनोम भारत में सार्वजनिक जीवन में है। इस बात का कोई संकेत नहीं मिला है कि ब्रिटेन में पाए गए म्यूटेशन में एसीई-2 रिसेप्टर (मानव प्रोटीन जिसके साथ वायरस स्पाइक प्रोटीन को बांधता है) Ace 2 Receptor से समानता है। अभी यह साबित नहीं हुआ है कि यहां फिलहाल नैदानिक और प्रतिरक्षी प्रभाव है।

सरकारों की चिंता बढ़ने की वजह यह है कि नया स्ट्रेन 70% ज्यादा इंफेक्शियस है। यानी ट्रांसमिशन का खतरा बढ़ गया है। लंदन में 9 दिसंबर को खत्म हुए हफ्ते में सामने आए 62% केस नए स्ट्रेन के हैं, जो तीन हफ्ते पहले 28% थे।

महत्वपूर्ण है स्पाइक प्रोटीन

कोरोना वायरस स्पाइक प्रोटीन संक्रमण की प्रक्रिया को शुरू करने के लिए मानव प्रोटीन को बांधता है। इसलिए परिवर्तन संभवत: प्रभावित कर सकते हैं, जैसे वायरस में संक्रमित करने की कितनी क्षमता है या यह गंभीर बीमारी का कारण बनता है या वैक्सीन की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से बच जाता है। हालांकि फिलहाल यह सिर्फ सैद्धांतिक चिंता हैं।

निष्प्रभावी नहीं होगी वैक्सीन

बहुत सी कोरोना वायरस वैक्सीन स्पाइक प्रोटीन को लक्ष्य में रखते हुए एंटीबॉडी बनाती हैं। लेकिन वैक्सीन स्पाइक प्रोटीन के कई क्षेत्रों को लक्षित करती है, जबकि म्यूटेशन सिर्फ एक बिंदु परपरिवर्तित होता है। इसलिए यदि एक म्यूटेशन है तो इसका अर्थ यह नहीं है कि वैक्सीन काम नहीं करेगी।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि इस बात के कोई सबूत नहीं है कि वैक्सीन नए वैरिएंट के खिलाफ कम इफेक्टिव है। ब्रिटेन के चीफ साइंटिफिक एडवाइजर पैट्रिक वैलेंस ने कहा कि वैक्सीन से इस नए स्ट्रेन के खिलाफ इम्यून रिस्पॉन्स पैदा करने में वैक्सीन प्रभावी है।

ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने नए म्यूटेशन को एन 501 वाई के रूप में पहचाना है। ब्रिटेन के स्वास्थ्य सचिव मैट हैंकॉक के मुताबिक, ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने 60 स्थानीय क्षेत्रों के 1100 लोगों में वायरस के म्यूटेशन का पता लगाया है। कांर्सोिटयम फॉरकोविड-19 जीनोमिक्स म्यूटेशन को ट्रैक कर रहा है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस बेंगलुरु में न्यूरो वॉयरोलाजी के प्रमुख रह चुके प्रो वी रवि के मुताबिक, 'स्पाइक प्रोटीन में परिवर्तन की संभावना है। स्पाइक प्रोटीन के एक हिस्से में अकेला न्यूक्लियोटाइड परिवर्तन हुआ है, इसलिए रोग और निदान में कोई असर नहीं होगा।'

ब्रिटिश सरकार की एडवायजरी बॉडी न्यू एंड इमर्जिंग रेस्पिरेटरी वायरल थ्रेट्स एडवायजरी ग्रुप ने एक रिसर्च पेपर जारी किया है। इसमें एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बात का कोई कारण नहीं मिला है कि नया म्युटेशन वैक्सीनेशन को प्रभावित करेगा। वैज्ञानिकों के मुताबिक, नए स्ट्रेन के गंभीर प्रभाव या स्पाइक प्रोटीन में कोई बड़े बदलाव नहीं दिखे हैं, जो वैक्सीन की इफेक्टिवनेस कम करें।

वेलकम ट्रस्ट के डायरेक्टर डॉ जेरेमी फरार ने कहा, 'इस बात के कोई संकेत नहीं है कि नए स्ट्रेन की वजह से ट्रीटमेंट और वैक्सीन का असर कम होगा। इसके बाद भी यह म्युटेशन इस बात को याद दिलाता है कि वायरस परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढाल सकता है। भविष्य में ट्रीटमेंट और वैक्सीन को लेकर इसे ध्यान में रखकर प्लान बनाना होगा।'

WHO ने पिछले हफ्ते कहा था कि अब तक नए स्ट्रेन की वजह से वैक्सीनेशन पर कोई असर नहीं दिखा है। अगर आगे की स्टडी में कोई पहलू दिखा तो उस पर विचार किया जाएगा और सदस्य देशों को उसके प्रति आगाह किया जाएगा।