अमेरिका में कोरोना से हुई कुल मौतों में 40 फीसदी रोगी मधुमेह से पीड़ित, जान का खतरा बारह गुना अधिक

कोरोना महामारी ने लाखों लोगों को अपनी चपेट में लेते हुए शिकार बनाया हैं। अमेरिका में कोरोना से हुई मौतों का आंकड़ा चिंता बढ़ाने वाला हैं। लेकिन इससे भी ज्यादा चिंता इस बात की हैं कि अमेरिका में कोरोना से हुई कुल मौतों में 40 फीसदी रोगी मधुमेह से पीड़ित थे। यह जानकारी अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन ने दी हैं। संगठन के अनुसार, अमेरिका में अब तक कुल छह लाख आठ हजार लोगों की मौत हुई है। इसमें से 2.40 लाख लोग मधुमेह से ग्रसित थे जिन्होंने संक्रमण के कारण जान गंवा दी।

एसोसिएशन ने चेताया, इससे पता चलता है कि वायरस मधुमेह से पीड़ित मरीजों के लिए कितना जानलेवा है। अमेरिका की 10 फीसदी आबादी को मधुमेह है, यही वजह है कि यहां संक्रमण के कारण मौतों की दर बहुत अधिक है। भारत में मधुमेह मरीजों की संख्या आठ करोड़ से अधिक है। दुनिया के हर छह मरीजों में से एक भारत से है। एक अनुमान के अनुसार, 2045 तक मधुमेह मरीजों की संख्या 13.4 करोड़ हो जाएगी। डॉ. गाबे का कहना है कि मधुमेह और मोटापा दुनिया के सभी देशों की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए नई चुनौती खड़ी करेगा। अमेरिका में 42 फीसदी आबादी मोटी है जबकि 73 फीसदी का वजन सामान्य से अधिक है।

एडीए के चीफ साइंटिफिक और मेडिकल अफसर डॉ. रॉबर्ट गाबे का कहना है कि कुल मौतों में से मधुमेह ग्रसित 40 फीसदी मरीजों की मौत का मसला गंभीर है। महामारी का दौर लगातार जारी है। ऐसे में अमेरिका ही नहीं दुनिया के सभी देशों में रहने वाले मधुमेह पीड़ित मरीजों की जान वायरस के कारण मुश्किल में पड़ सकती है। मधुमेह से संक्रमित हैं और टीके की दोनों खुराक लगवा चुके हैं तो भी आप खुद को सुरक्षित नहीं मान सकते हैं। टीका लगवा चुके लोगों में भी संक्रमण की चपेट में आना जान जोखिम में डालने के बराबर है। उन्होंने कहा कि मधुमेह के साथ कोरोना की चपेट में आने का मतलब अस्पताल में भर्ती होने और मौत का खतरा छह से बारह गुना अधिक हो जाता है।