घर लौट रहे प्रवासी मजदूरों से अब राज्य सरकारें कर रही है रुक जाने की अपील

लॉकडाउन के बीच दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों, छात्रों और अन्य लोगों के लिए 7 स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं। इनके जरिए करीब सात हजार लोगों की घर वापसी हो रही है। कुछ ट्रेनें अपने मुकाम तक पहुंच गई हैं, तो कुछ रास्ते में हैं। ऐसे में बहुत से राज्यों की समझ में आने लगा है कि जैसे ही उनके यहां आर्थिक गतिविधियां चालू होंगी उनके यहां श्रमिकों की किल्‍लत होने लगेगी इसलिए इन प्रदेशों की सरकारें अपने यहां रहने वाले प्रवासी मजदूरों से वहीं रुके रहने का आग्रह करने लगी हैं।

कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री बीएस येदियुरप्‍पा ने शुक्रवार को कहा, 'हम बहुत जल्‍द आर्थिक गतिविधियां शुरू करने का मन बना चुके हैं। हमने एंप्‍लायर्स से अपील की है कि वे अपने यहां काम करने वालों के हितों की रक्षा करें और उन्‍हें सैलरी वगैरह दें। मेरा सभी प्रवासी मजदूरों से हार्दिक निवेदन है कि वे यहीं रुकें और हमारे साथ सहयोग करें।'

बेंगलुरु में आईटी और आईटी से जुड़ी सेवाओं को छोड़ दिया जाए तो करीब 8 लाख प्रवासी मजदूर यहां रहते हैं जिन पर यहां की अर्थव्‍यवस्‍था निर्भर है। ठेकेदारों, बिल्‍डरों, ट्रेड यूनियन और कार्यकर्ताओं का कहना है कि इनमें से लगभग 50% अपने गांवों को लौट जाएंगे और इसका असर शहर की अर्थव्‍यवस्‍था पर पड़ेगा।

हैदराबाद में भी श्रमिक संकट का अनुमान

हैदराबाद में भी खतरे की घंटी बज चुकी है। तेलंगाना सरकार ने अपने जिला अधिकारियों से कहा है कि वे मजदूरों की पहचान करके उन्‍हें भरोसा दिलाने की कोशिश करें कि जल्‍द ही काम शुरू होने वाला है। राज्‍य के चीफ सेक्रटरी सोमेश कुमार का कहना है कि चूंकि ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग शुरू होने वाले हैं इसलिए अधिकांश श्रमिकों ने रुकने का फैसला किया है।

आपको बता दे, पहली ट्रेन तेलंगाना के लिंगमपल्ली से झारखंड के हटिया के लिए चली थी। यह देर रात हटिया पहुंच गई। इसी तरह नासिक (महाराष्ट्र) से भोपाल (मध्य प्रदेश) ट्रेन भी शनिवार सुबह भोपाल पहुंच गई। केरल के एर्णाकुलम से ओडिशा के भुवनेश्वर के लिए भी शुक्रवार रात एक ट्रेन चली। इसमें 1200 लोग सवार हैं, जिनमें ज्यादातर मजदूर और उनके परिवार हैं। उधर, महाराष्ट्र के नासिक से लखनऊ के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चली। इसमें 839 प्रवासी सवार थे। तिरुवनन्तपुरम के जिला कलेक्टर के। गोपालकृष्णन ने बताया कि आज दोपहर दो बजे एक और ट्रेन झारखंड के हटिया के लिए हुई। इसमें भी 1200 मजदूर रवाना हुए। इन ट्रेनों को चलाने में गृह मंत्रालय की गाइडलाइन का पूरा पालन किया जा रहा है। कोच में यात्रियों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बैठाया जा रहा है। रवानगी और संबंधित स्टेशन पर पहुंचने पर उनकी थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी। गृह जिले में 14 दिन क्वारैंटाइन करने के बाद ही उन्हें घर भेजा जाएगा। लोगों को भेजने वाली और बुलाने वाली राज्य सरकारों के आग्रह पर ही विशेष ट्रेनें चलेंगी। शुरुआती और आखिरी स्टेशन के बीच में ट्रेनें कहीं नहीं रुकेंगी। श्रमिकों को ट्रेन में बैठाने से पहले स्क्रीनिंग करवाना राज्य सरकार की जिम्मेदारी होगी। जिन लोगों में लक्षण नहीं होंगे, उन्हें ही जाने की इजाजत मिलेगी।

अब तक ये ट्रेनें चलाने का फैसला किया गया

जयपुर (राजस्थान) से पटना (बिहार) - 1200 यात्री सवार
कोटा (राजस्थान) से हटिया (झारखंड) - 1000 यात्री सवार
नासिक (महाराष्ट्र) से लखनऊ (उत्तरप्रदेश) - 839 यात्री सवार
नासिक (महाराष्ट्र) से भोपाल (मध्य प्रदेश) 347 यात्री सवार
लिंगम्पल्ली (तेलंगाना) से हटिया (झारखंड) - 1140 यात्री सवार
एर्णाकुलम (केरल) से भुवनेश्वर ( ओडिशा) - 1200 यात्री सवार
तिरुवनन्तपुरम (केरल) से हटिया (झारखंड) - 1200 यात्री सवार