रिसर्च जर्नल की रिपोर्ट! लेंसेट ने लिखा- रैलियों-धार्मिक आयोजनों से फैला संक्रमण, राष्ट्रीय तबाही के लिए मोदी सरकार होगी जिम्मेदार

मेडिकल रिसर्च जर्नल 'द लेंसेट' ने भारत में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। अपने एक संपादकीय में जर्नल ने लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काम माफी लायक नहीं हैं, उन्हें पिछले साल कोरोना महामारी के सफल नियंत्रण के बाद दूसरी लहर से निपटने में हुई अपनी गलतियों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। संपादकीय में कहा गया है कि देश में वायरस के 'सुपरस्प्रेडर' होने के पीछे धार्मिक और राजनीतिक घटनाए हैं। साथ ही टीकाकरण अभियान का धीमा पड़ना भी वायरस के संक्रमण के सबसे बड़े कारणो में से एक रहा है।

आपको बता दे, देश में कोरोना की दूसरी लहर खतरनाक होती जा रही है। देश में कोरोना से बिगड़ते हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले चार दिन से लगातार 4 लाख से ज्‍यादा कोरोना मरीज मिल रहे है। बीते दिन की बात करे तो देश में 4 लाख 3 हजार 626 लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई। यह लगातार चौथा दिन था, जब 24 घंटे में 4 लाख से ज्यादा केस आए हैं। नए संक्रमितों के साथ मौतों का बढ़ता आंकड़ा भी चिंता बढ़ा रहा है। शनिवार को देश में 4,091 लोगों की संक्रमण की वजह से मौत हुई। इससे पहले शुक्रवार को पहली बार देश में 4 हजार 233 लोगों की मौत हुई थी। हालांकि राहत की बात रही कि पिछले 24 घंटे में 3 लाख 86 हजार 207 लोगों ने कोरोना को मात दी। यह एक दिन में ठीक होने वालों का सबसे बड़ा आंकड़ा है। देश में अब तक 2.22 करोड़ लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं जबकि कुल ठीक होने वाले मरीजों की संख्‍या 1.83 करोड़ है। पिछले 24 घंटे में जान गंवाने वाले मरीजों के बाद देश में अबतक 2.42 लाख लोगों की मौत कोरोना के चलते हुई है।

चेतावनी के बावजूद धार्मिक आयोजन और चुनावी रैलियां क्यों?

द इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन के संपादकीय के हवाले से अनुमान लगाया गया है कि भारत में इस साल 1 अगस्त तक कोरोना महामारी से 10 लाख लोगों की मौत हो जाएगी। अगर ऐसा हुआ तो मोदी सरकार इस राष्ट्रीय तबाही के लिए जिम्मेदार होगी, क्योंकि कोरोना के सुपर स्प्रेडर के नुकसान के बारे में चेतावनी के बावजूद सरकार ने धार्मिक आयोजनों को अनुमति दी, साथ ही कई राज्यों में चुनावी रैलियां कीं।

ट्विटर पर आलोचनाओं पर लगाम लगाने में लगी है सरकार

जर्नल ने आगे लिखा कि मोदी सरकार कोरोना महामारी को नियंत्रित करने के बजाय ट्विटर पर हो रही आलोचनाओं और खुली बहस पर लगाम लगाने में ज्यादा जोर दे रही है।

जर्नल ने भारत सरकार की वैक्सीन पॉलिसी की भी आलोचना की है। उसने लिखा कि सरकार ने राज्यों के साथ नीति में बदलाव पर चर्चा किए बिना अचानक बदलाव किया और 2% से कम जनसंख्या का टीकाकरण करने में ही कामयाब रही।

लेंसेट ने लिखा कि हेल्थ मिनिस्टर डॉ हर्षवर्धन मार्च में ऐलान करते हैं कि अब महामारी खत्म होने को है। केंद्र सरकार ने बेहतर मैनेजमेंट के साथ कोरोना को हराने में सफलता प्राप्त की है। इससे पता चलता है कि दूसरी लहर की बार-बार चेतावनी के बावजूद भी भारत सरकार नहीं चेती।

देश में कई महीने के कोरोना के कम केसेज आने से सरकार ने लोगों को चेतावनी देने की वजह लोगों के मन में ये धारणा बना दी कि देश से कोरोना वायरस खत्म होने के कगार पर है।

हेल्थ सिस्टम पर भी उठाए सवाल

जर्नल ने भारत के हेल्थ सिस्टम पर भी सवाल उठाए है। आगे लिखा कि अस्पतालों में मरीजों को ऑक्सीजन नहीं मिल रही है, वे दम तोड़ रहे हैं। मेडिकल टीम भी थक गई है, वे संक्रमित हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर व्यवस्था से परेशान लोग मेडिकल ऑक्सीजन, बेड, वेंटिलेटर और जरूरी दवाइयों की मांग कर रहे हैं।

सरकार ने पिछले साल कोरोना के शुरूआती दौर में महामारी को नियंत्रित करने में बेहतरीन काम किया था, लेकिन दूसरे वेव में सरकार ने बड़ी गलतियां की हैं। महामारी के बढ़ते संकट के बीच सरकार को एक बार फिर जिम्मेदारी और पारदर्शिता के साथ काम करना चाहिए।

संपादकीय में केंद्र सरकार को दो तरफा रणनीति पर काम करने का सुझाव दिया गया है।

पहला- भारत को वैक्सीनेशन प्रोग्राम बेहतर ढंग से लागू करना चाहिए और इसे तेजी के साथ आगे बढ़ाने पर काम हो।
दूसरा- सरकार जनता को सही आंकड़े और जानकारियां मुहैया करवाए।

ICMR में महामारी विज्ञान विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. ललितकांत ने कहा कि वह संपादकीय से सहमत हैं। 'सरकार को उस स्थिति की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए जिसमें अभी हम हैं।'