नहीं संभले तो भारत के गांव होंगे कोरोना का गढ़

कोरोना वायरस (Coronavirus) की वजह से अब तक भारत में 1200 लोग बीमार हो चुके है और इस वायरस की वजह से 32 लोगों की जान जा चुकी है। भारत में कोरोना वायरस को रोकने के लिए 21 दिन के लॉकडाउन लगाया गया है। लेकिन भारत की सबसे बड़ी चिंता है वे लोग जो लॉकडाउन की वजह से एक दूसरी जगहों पर जाने को मजबूर है। ये लोग ही भारत में कोरोना संक्रमण को लेकर बड़ा खतरा बन सकते हैं। अगर यह वायरस भारत के गांवों तक पहुंच गया तो पूरे देश की हालत खराब हो जाएगी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की चीफ साइंटिस्ट डॉ सौम्या स्वामीनाथन का कहना है कि भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती है भारत में सोशल डिस्टेंसिंग नहीं होती है। एक ही घर में कई लोग रहते हैं और एक ही बाथरूम का उपयोग करते हैं। इससे किसी भी बीमारी के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि लोग साफ-सफाई पर ध्यान दें। व्यक्तिगत साफ-सफाई के साथ-साथ सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रखें। सार्वजनिक पर थूकें नहीं। इससे काफी हद तक इस वायरस को रोकने में कामयाबी मिलेगी।

डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने बिजनेस टुडे से बात करते हुए चिंता जाहिर की है कि जो लोग प्रवासी हैं, मजदूर हैं। लॉकडाउन में अपने घरों और गांवों के लिए पैदल निकल चुके हैं। इनसे वायरस के फैलने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ गया है। अगर ये लोग गांवों में पहुंचते हैं और ग्रामीण इलाकों में वायरस का संक्रमण होता है तो बहुत ज्यादा मुश्किल हो जाएगी। डॉ सौम्या ने कहा कि गांवों तक बीमारी पहुंचती है तो सरकार को जांच की संख्या बढ़ानी पड़ेगी वह भी बहुत ज्यादा मात्रा में क्योंकि ये वायरस किसी उम्र, लिंग, धर्म, इलाका, राष्ट्रीयता की इज्जत नहीं करता। इसका एक ही काम है लोगों को मारना।

डॉ सौम्या ने कहा कि दुनिया के बड़े से बड़े देश इस समय इस वायरस के सामने झुके हुए है। हर देश में एक अलग तरह की समस्या है। किसी भी देश को तीन तरह से काम करना होगा। शॉर्ट टर्म, मीडियम टर्म और लॉन्ग टर्म तैयारी के लिए। लॉकडाउन हटने के बाद क्या होगा? इस पर डॉ। सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि लॉकडाउन के बाद भी हमें सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखना पड़ेगा, सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ का जमा होना, कोई समारोह या सभा आदि पर प्रतिबंध लगाना होगा। डॉ सौम्या ने कहा कि देश के ग्रामीण इलाकों में जाकर बड़े पैमाने पर जांच करनी होगी। ताकि यह पता चल सके कि कौन सा व्यक्ति किस शहर से आया है और वह वायरस से संक्रमित है कि नहीं। केंद्र सरकार को चाहिए कि वह तत्काल टेस्टिंग की क्षमता को तेजी से बढ़ाए।

बता दे, दुनियाभर में कोरोना वायरस के मामलों में दिन-प्रतिदिन बढ़ोतरी हो रही है। चीन के वुहान से शुरू हुए कोरोना वायरस के मामले यूरोप, अमेरिका, ब्रिटेन जैसे तमाम देशों में तेजी से बढ़ रहे हैं। कोरोना का कहर भारत में भी शुरू हो गया है। पूरी दुनिया में कोरोना के 7,27,000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जबकि 34,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इटली में सबसे ज्यादा 10,700 से ज्यादा मौतें हुई हैं। इस खतरनाक महामारी से दुनियाभर में 19 जनवरी तक 100 लोग प्रभावित थे, लेकिन 29 मार्च तक ये आंकड़ा 7 लाख के पार पहुंच गया है। ये महामारी दुनिया में कितनी तेजी से बढ़ी, इसका अंदाजा आंकड़ों से ही साफ हो जाता है। पूरी दुनिया में 19 जनवरी तक कोरोना के जहां सिर्फ 100 मामले थे, वहीं, 24 जनवरी तक आंकड़ा 1000 पहुंच गया। इसके बाद 31 जनवरी को 10000, 6 मार्च को 1 लाख, 18 मार्च को 2 लाख, 21 मार्च को 3 लाख, 24 मार्च को 4 लाख, 26 मार्च को 5 लाख, 28 मार्च को 6 लाख और 29 मार्च तक 7 लाख से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित पाए जा चुके हैं।