एयरपोर्ट पर कड़ी चेकिंग के बावजूद भारत में कैसे घुस रहा कोरोना, समझिए

भारत में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या 17 विदेशी मरीजों समेत बढ़कर 73 पहुंच गई है। गुरुवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने लोकसभा में इसके बारे में जानकारी दी। कोरोना ने अब तक 12 राज्यों को अपने चपेट में ले लिया है। सबसे ज्यादा कोरोना के मामले केरल में आए हैं। यहां 17 लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई है। इसके बाद में महाराष्ट्र में 11 लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई है। यूपी में भी 10 कोरोना के मामले आए हैं। दिल्ली में 6 मामलों की पुष्टि हुई है। कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए सवाल उठता है कि आखिर एयरपोर्ट्स पर इतनी कड़ी जांच के बाद बाद भी कोराना भारत में क्यों और कैसे घुस रहा है? एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग को लेकर सवाल उठ रहे है। ऐसे में इन सवालों के जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग की प्रक्रिया को समझाते हुए कहा कि कोई केस पॉजिटिव मिलने का मतलब यह नहीं है कि स्क्रीनिंग में लापरवाही हुई होगी। कई मामलों में रिपोर्ट निगेटिव होने के बाद भी कोरोना के लक्षण डिवेलप होते हैं। इसके लिए सरकार स्क्रीनिंग के बाद भी संदिग्ध लोगों की लगातार निगरानी कर रही है। उन्होंने संसद में एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग से लेकर किसी शख्स के कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद तक सरकार के पूरे ऐक्शन की जानकारी दी।

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एयरपोर्ट पर ऐसे होती है थर्मल स्क्रीनिंग

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि जब भी कोई यात्री बाहर से आता है, तो वह एक सेल्फ डिक्लरेशन फॉर्म भरता है। इसके बाद उसकी थर्मल स्क्रीनिंग होती है। उसकी हिस्ट्री, लक्षण और थर्मल स्क्रीनिंग के नतीजों को जाना जाता है। कोरोना के लक्षण वाले कुछ लोगों को उसी समय अलग कर लिया जाता है। लेकिन कुछ लोगों पर जरा भी शक होता है, तो उनकी लिस्ट बनाई जाती है। ऐसे सारे यात्रियों का कंप्यूटराइज्ट डेटा रखा जा जाता है।

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रिपोर्ट निगेटिव के बाद भी कोरोना संभव

स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि स्क्रीनिंग में रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी कई बार यह पॉजिटिव हो सकती है। उन्होंने बताया कि मुझमें आज अगर कोई लक्षण नहीं हैं। थर्मल स्क्रीनिंग में भी रिपोर्ट निगेटिव है, तो भी निगरानी पीरियड में कोरोना के लक्षण दिख सकते हैं। ऐसे संदिग्ध लोगों की सभी जानकारियां देश के सभी जिलों में सर्विलांस अफसरों और राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दे दी जाती हैं।

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ऐसी होती है कोरोना संदिग्धों की निगरानी

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि कोरोना संदिग्ध मरीजों की लगातार निगरानी की जा रही है। देश में करीब 30-35 हजार लोग कम्युनिटी सर्विलांस में हैं। उनके हर मूवमेंट के ऊपर नजर रखी जा रही है।

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फिर पॉजिटिव केस क्यों मिल रहे हैं

हर्षवर्धन के मुताबिक, बाहर से आए यात्री का कुछ दिन बाद कोरोना पॉजिटिव मिलने का यह मतलब नहीं है कि उसकी स्क्रीनिंग में चूक हुई है। इसका मतलब है यह है कम्युनिटी सर्विलांस इतना जबर्दस्त है कि चार दिन बाद भी उसमें कोरोना के लक्षण दिखने पर अलग कर लिया जाता है। केरल में जब शुरुआती तीन केस आए, तबसे हम राज्य सरकार के संपर्क में हैं। हर राज्य शाम को पूरी जानकारी केंद्र के साथ साझा करता है।

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि जब कोई शख्स कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है, तो उसके आसपास के लोगों को जांच के घेरे में ले लिया जाता। उन्होंने बताया कि एक-एक पॉजिटिव केस की डीटेल स्क्रीनिंग की जाती है। एक केस में 162 से 200-250 लोगों तक को ट्रेस किया जाता है।

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चार फ्लाइट एक साथ आए तो भी थर्मल स्क्रीनिंग संभव

लोकसभा में मंत्री ने जानकारी दी कि हम विदेश से आए लोगों की निगरानी कर रहे हैं। स्क्रीनिंग में किसी तरह की कोई भी दिक्कत नहीं है। किसी एयरपोर्ट पर चार फ्लाइट्स एक साथ आने पर भी थर्मल स्क्रीनिंग संभव है। 17 जनवरी को दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, कोच्चि जैसे एयरपोर्ट में स्क्रीनिंग शुरू हुई थी, लेकिन अब 30 एयरपोर्ट पर जांच हो रही है।

कहां होती है नमूनों की जांच

डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि कोरोना वायरस का टेस्ट किसी आम लैब में नहीं हो सकता है, इस वजह से देश के कई हिस्सों में 51 लैब बनाई गई हैं। पुणे में सेंट्रल रेफरेंस लैब है। इसके अलावा 56 जगह पर कलेक्शन सेंटर हैं।