क्या काढ़ा पीने से खराब होता है लिवर? आयुष मंत्रालय ने दिया जवाब

कोरोना संक्रमण से बचने के लिए लोग काढ़े का सेवन कर रहे है। ऐसे में कुछ लोगों का मानना है कि काढ़े के ज्‍यादा वक्‍त तक पीने से लीवर को नुकसान पहुंच सकता है। ऐसा कुछ नहीं है। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की मानें तो काढा से लीवर को नुकसान पहुंचने का कोई सबूत नहीं मिले है। आयुष मंत्रालय ने काढ़ा के लंबे समय तक इस्तेमाल से लीवर को नुकसान के दावे को 'गलत धारणा' बताया है। उसने कोविड-19 के मद्देनजर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए काढ़े के सेवन का सुझाव दिया है।

आयुष मंत्रालय के सचिव राजेश कोटेचा ने कहा कि लौंग, तुलसी और काली मिर्च जैसी चीजों का श्‍वसन तंत्र पर अच्‍छा असर होता है। मार्च में जारी गाइडलाइंस में मंत्रालय ने काढ़े को कोरोना वायरस के मद्देनजर इम्‍युनिटी बढ़ाने का उपाय बताया था।

नहीं पहुंचता है लीवर को नुकसान

आयुष मंत्रालय का कहना है कि काढ़ा बनाने में इस्तेमाल की जानेवाली सभी सामग्री जैसे काली मिर्च, तुलसी, दालचीनी, सूखी हल्‍दी घरों में खाना पकाने के काम आती हैं। इसलिए लंबे समय तक काढ़े का सेवन करने से लीवर को नुकसान पहुंचने की बात तथ्यों पर आधारित नहीं है।

संवाददाता सम्मेलन में आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा, 'दालचीनी, तुलसी और काली मिर्च का उपयोग काढ़ा बनाने में किया जाता है और उनका श्वसन तंत्र पर अनुकूल प्रभाव होता है। ऐसे कोई सबूत नहीं है कि (काढ़े से) लिवर डैमेज होता है। यह गलत बात है क्‍योंकि काढ़े में पड़ने वाली चीजें घरों के मसालों में इस्‍तेमाल होती हैं।' साथ ही उन्होंने कहा कि कोविड-19 के खिलाफ यह कितना प्रभावी है, इसका पता लगाने के लिए अनुसंधान जारी है। इससे पहले मंत्रालय ने दिन में एक या दो बार काढ़े का सेवन करने की सलाह दी थी।

सरकार ने कोविड-19 के लिए नया प्रोटोकॉल भी जारी किया है। जिसमें कोरोना इन्‍फेक्‍शन से बचाव/इलाज के लिए अश्‍वगंधा और आयुष-64 के सेवन का सुझाव दिया गया है। ज्यादा रिस्‍क वाले लोगों के लिए अश्‍वगंधा, गुडूची घन वटी या च्‍यवनप्राश का सुझाव है।

गौरतलब है कि भारत में काढ़ा या जोशांदा परंपरागत औषधि रही है। इसका इस्तेमाल पुराने जमाने से कई बीमारियों के खिलाफ किया जाता रहा है। खांसी, नजला और जुकाम में काढ़ा को प्रभावकारी बताया गया है।

रोग-प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने में है उपयोगी-आयुष मंत्रालय

उसने अन्य सामग्री के साथ-साथ तुलसी, दालचीनी, कालीमिर्च, सोंठ (अदरक का पाउडर) और किशमिश को काढ़ा तैयार करते वक्त मिलाने को कहा था। कोटेचा ने बताया, ‘‘ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे साबित किया जा सके कि काढ़ा से लीवर को नुकसान पहुंचता है। यह गलत धारणा है क्योंकि काढ़े की सारी सामग्री का उपयोग घरों में भोजन पकाने के दौरान होता है।’’ साथ ही उन्होंने कहा कि कोविड-19 के खिलाफ यह कितना प्रभावी है, इसका पता लगाने के लिए अनुसंधान जारी है।