संवेदनाओं पर भारी पड़ा कोरोना, कंधा देने के लिए भी नहीं मिले 4 लोग, ठेले पर पहुंचाया पिता को श्मशान

कोरोना जैसी घातक बीमारी ने संवदनाओं पर भी प्रहार किया हैं जिसमें लोगों के बीच शारीरिक ही नहीं बल्कि मन से भी दूरी आने लगती हैं। इससे जुड़ा एक मामला उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड से सामने आया है जहां एक शख्स की मौत हो गई और उसे श्मशान ले जाने के लिए चार लोग भी नहीं मिले। यहां लोगों में कोरोना का डर इतना समा गया है कि किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर परिजन, रिश्तेदार और पड़ोसी मुंह मोड़ ले रहे हैं और कंधा देने से मना कर दे रहे हैं।

गुरुवार को एक शख्स की बुखार आने के बाद संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। लेकिन मौत की सूचना मिलने के बाद भी काफी देर तक कोई परिजन, रिश्तेदार या पड़ोसी उनके घर नहीं आए। कुछ देर बाद मृतक के दो पुत्रों ने ठेला पर पिता के शव को रखकर श्मशान घाट ले गए। कोरोना काल में गांवों में बड़ी तादाद में लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो रही है। अंतिम संस्कार में किसी के शामिल नहीं होने के कारण लोग शवों को नदी में प्रवाहित कर दे रहे हैं, जो आगे चलकर काफी खतरनाक हो सकता है।

नदियों में शवों को प्रवाहित करने को लेकर लोग दो मुख्य कारण बता रहे हैं। पहला तो ये कि लोग कोरोना के डर से किसी के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो रहे हैं, तो वहीं दूसरा सबसे बड़ा कारण गरीबी और महंगाई है। कोरोना काल में अंतिम संस्कार के लिए लोगों को हजारों रुपये का भुगतान करना पड़ रहा है। इस समय अंतिम संस्कार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली लकड़ी समेत अन्य सामग्रियों के दाम काफी बढ़ गए हैं। ऐसे में गरीब लोग शवों का जलाने के बजाए नदी में जल प्रवाह कर दे रहे हैं।