भारत में फिर दी कोरोना ने दस्तक, एक ही दिन में सामने आए 148 मामले, 808 मरीजों का चल रहा इलाज

नई दिल्ली। कोरोना से स्वयं को पूरी तरह से मुक्त मान रहे भारत में एक बार फिर से कोरोना का खतरा मंडराने लगा है। आज देश में एक बार फिर कोरोना बम फट गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक कई महीनों बाद देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 148 नए मामले सामने आए हैं। बताया जा रहा है कि देश के जितने भी अस्पताल हैं, वहां पर कुल 808 मरीजों का कोविड का इलाज अभी चल रहा है, यानी कि लोग संक्रमित हो रहे हैं। अब ये बढ़े हुए कोरोना मामले भी तब सामने आए हैं जब चीन में एक रहस्यमयी बीमारी ने सभी को दहशत में डाल रखा है।

सर्दी में फैलता है कोरोना

असल में चीन में कुछ महीने पहले एक अलग तरह का निमोनिया डिटेक्ट किया गया। चिंता की बात ये रही कि ये निमोनिया सिर्फ बच्चों में सामने आए और कई तो अस्पताल में भी भर्ती हुए। अब इस समय जब दुनिया इस नए वायरस को समझने की कोशिश कर रही है, तब भारत में एक बार फिर कोरोना सिर उठा रहा है। कोरोना के बढ़े हुए मामले ने प्रशासन को फिर सतर्क कर दिया है। अभी के लिए ज्यादा चिंता की बात तो नहीं है क्योंकि बड़े स्तर पर टीकाकरण हो चुका है, लेकिन सभी को सावधान रहने की नसीहत दी गई है।

गौरतलब है कि कोरोना सर्दी में ही सबसे ज्यादा फैलना शुरू होता है। पिछले साल भी सर्दी के दौरान ही कोरोना मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली थी, अब एक बार फिर दिसंबर के महीने में कोविड के केस बढ़ गए हैं। सरकार ने बढ़े हुए कोरोना मामलों पर नजर रखी हुई है, लेकिन सभी से पैनिक ना करने के लिए कहा गया है। वैसे चीन में चल रही रहस्यमयी बीमारी की बात करें तो इससे भी सरकार इस समय सतर्क है, हर राज्य को केंद्र की तरफ से विस्तृत गाइडलाइन भी दे दी गई है।

क्या है चीन की रहस्यमयी बीमारी?

मिली जानकारी के मुताबिक चीन की इस रहस्यमयी बीमारी से पीड़ित होने पर बच्चों को बिना खांसी के तेज बुखार, गले में दर्द या खराश, फेफड़ों में सूजन, छाती में दर्द, सांस लेने में परेशानी होना या सांस नली में सूजन जैसी समस्याएं घेर रही हैं। यह इतना खतरनाक है कि पीड़ित होने पर बच्चों को तुरंत ही अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है। एक्सपर्ट्स इसे निमोनिया से अधिक खतरनाक बता रहे हैं। दरअसल, आमतौर पर निमोनिया का इलाज एंटीबायोटिक्स, एंटीवायरल और एंटीफंगल दवाओं की मदद से किया जा सकता है। हालांकि, चीन में इसकी चपेट में आने पर बच्चों में इस तरह की दवाओं का कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा है। साथ ही ये तेजी से एक व्यक्ति से दूसरे में भी फैल रही है, जिसकी वजह से इस बीमारी के फैलने की संभावना अधिक बढ़ रही है।