अब केंद्र का फोकस गांवों पर, कोरोना को रोकने के लिए जारी की गाइडलाइन

कोरोना की दूसरी लहर का सबसे ज्यादा कहर गांवों में देखने को मिला है। ऐसे में सरकार ने गांवों के लिए अलग से गाइडलाइन जारी की है, ताकि कोरोना के बढ़ते कदमों को रोका जा सके। गाइडलाइन में कहा गया है की करीब 80-85% केस बिना लक्षणों वाले या बेहद कम लक्षणों वाले आ रहे हैं। ऐसे मरीजों को अस्पताल में भर्ती किए जाने की जरूरत नहीं है। इन्हें घरों या कोविड केयर फैसिलिटी में आइसोलेट किया जाए। मरीज होम आइसोलेशन के दौरान केंद्र की मौजूदा गाइडलाइंस का पालन करें। फैमिली मेंबर्स भी गाइडलाइन के हिसाब से ही क्वारैंटाइन हों।

गाइडलाइन में निगरानी और इलाज पर फोकस किया गया है। गाइडलाइन में निर्देश दिए गए है कि हर गांव में जुकाम-बुखार के मामलों की निगरानी आशा वर्कर्स करेंगे। इनके साथ हेल्थ सैनिटाइजेशन और न्यूट्रिशन कमेटी भी रहेगी। इसके साथ ही संक्रमित मामलों में कम्युनिटी हेल्थ अफसर को फोन पर केस देखने के निर्देश भी दिए है। इसके अलावा एएनएम को भी रैपिड एंटीजन टेस्ट की ट्रेनिंग दिए जाने की बात कही गई है। इसके साथ ही पहले से गंभीर बीमारियों से पीड़ित संक्रमितों या ऑक्सीजन लेवल घटने के केसों को बड़े स्वास्थ्य संस्थानों को भेजा जाए। इसके साथ ही संदिग्धों की पहचान होने के बाद उनकी स्वास्थ्य केंद्रों रैपिड एंटीजन टेस्टिंग (RAT) जांच हो या फिर उनके सैंपल नजदीकी कोविड सेंटर्स में भेजे जाएं।

स्वास्थ्य अधिकारियों और एएनएम को भी RAT की ट्रेनिंग दी जाए। हर स्वास्थ्य केंद्र और उप केंद्र पर RAT की किट उपलब्ध कराई जाए। स्वास्थ्य केंद्रों पर टेस्ट किए जाने के बाद मरीज को तब तक आइसोलेट होने की सलाह दी जाए, जब तक उनकी टेस्ट रिपोर्ट नहीं आ जाती। इसके अलावा जिन लोगों में कोई लक्षण नहीं नजर आ रहा है, लेकिन वे किसी संक्रमित के करीब गए हैं और बिना मास्क या 6 फीट से कम दूरी पर रहे हैं, उन्हें क्वारैंटाइन होने की सलाह दें। इनका तत्काल टेस्ट भी किया जाए। जुकाम-बुखार और सांस से संबंधित इन्फेक्शन के लिए हर उपकेंद्र पर OPD चलाई जाए। दिन में इसका समय निश्चित हो। कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग भी की जाए।

होम आइसोलेशन के लिए गाइडलाइन

- कोरोना मरीज के ऑक्सीजन लेवल की जांच बेहद जरूरी है। इसके लिए हर गांव में पर्याप्त मात्रा में पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर होने चाहिए। अगर मरीज का ऑक्सीजन लेवल 94% से कम होता है तो उसे तुरंत ऐसे स्वास्थ्य केंद्र में भेजा जाए, जहां ऑक्सीजन बेड की सुविधा हो।
- मरीज और उसकी देखरेख कर रहे लोग लगातार स्थिति की निगरानी करें। अगर गंभीर लक्षण होते हैं तो तुरंत मेडिकल अटेंशन की जरूरत है। सांस लेने में तकलीफ, 94% से नीचे ऑक्सीजन का लेवल आने पर, सीने में लगातार दबाव या दर्द होने पर, दिमागी भ्रम या भूलने की स्थिति में तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।

- आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और गांवों के स्वयंसेवियों के जरिए एक ऐसा सिस्टम डेवलप किया जाए। ये सिस्टम उन मरीजों को लोन पर जरूरी उपकरण दिलाने का काम करे, जिनकी टेस्ट रिपोर्ट पॉजििटव है।

- हर बार इस्तेमाल के बाद थर्मामीटर और ऑक्सीमीटर को अल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर में भीगे कपड़े से सैनिटाइज किया जाए।

- क्वारैंटाइन और होम आइसोलेशन में गए मरीजों के बारे में लगातार जानकारी के लिए फ्रंट लाइन वर्कर्स, स्वयंसेवी और शिक्षक दौरा करें। इस दौरान वे संक्रमण से बचने के सभी उपायों और गाइडलाइंस का पालन करें।

- होम आइसोलेशन किट मुहैया करवाई जाए। इनमें पैरासीटामॉल 500mg, आइवरमेक्टीन टैबलेट, कफ सिरप, मल्टीविटामिन भी शामिल है। इसके अलावा आइसोलेशन में किन सावधानियों का पालन करना है इसकी जानकारी भी मरीज को दी जाए। इसके अलावा एक कॉन्टैक्ट नंबर भी दिया जाना चाहिए, जिस पर स्थिति बिगड़ने या सुधरने या फिर डिस्चार्ज के संबंध में जानकारी ली जा सके।

- एसिम्प्टोमैटिक सैंपलिंग के 10 दिन बाद और लगातार 3 दिन बुखार न आने की स्थिति में मरीज होम आइसोलेशन खत्म कर सकता है और इसके बाद टेस्टिंग की भी जरूरत नहीं है।