नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने आम उपभोक्ताओं के हक में फैसला दिया है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद आने वाले दिनों में एफएमसीजी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स आईटम्स की मैन्युफैक्चरिंग और रियल एस्टेट से जुड़ी 50 से ज्यादा कंपनियों को जीएसटी रेट कटौती से लेकर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उपभोक्ताओं को देना होगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के फ्रेमवर्क के तहत एंटी-प्रॉफिटयरिंग प्रॉविजंस के कानूनी प्रावधानों को बरकरार रखा है।
एक जुलाई 2017 से देशभर में जीएसटी के लागू होने के बाद कई चीजों पर टैक्स रेट घट गए थे। कंपनियां कई प्रोडेक्ट्स पर जीएसटी रेट घटने का फायदा कस्टमर्स को दें इसके लिए जीएसटी में एंटी-प्रॉफिटयरिंग प्रॉविजंस के तहत ऐसे कानूनी प्रावधान किए गए थे जिससे टैक्स रेट में कमी का फायदा उपभोक्ताओं को मिल सके। तब सरकार ने नेशनल एंटी-प्रॉफिटयरिंग अथॉरिटी का भी गठन किया था जो ये देख सके कि कंपनियां टैक्स रेट में कमी का उपभोक्ताओं को लाभ दे रही हैं या नहीं। हालांकि कई कंपनियां जीएसटी के तहत लागू किए गए एंटी-प्रॉफिटयरिंग प्रॉविजंस के खिलाफ थी। हिंदुस्तान यूनिलीवर, पतंजलि, जुबिलेंट फूड्स, नेस्ले, फिलिप्स ने जीएसटी के एंटी-प्रॉफिटयरिंग प्रॉविजंस को लेकर सीबीआईसी (CBIC) को कोर्ट में घसीटा। एंटी प्रॉफिटयरिंग अथॉरिटी के गठन और अधिकारों पर भी सवाल खड़े किए गए थे।
हाईकोर्ट ने प्रावधान को सही ठहराया
दिल्ली हाईकोर्ट ने जीएसटी में एंटी-प्रॉफिटयरिंग प्रॉविजंस के प्रावधान को सही ठहराते हुए कहा कि ये नागरिकों के हितों में उठाया गया कल्याणकारी कदम है और ये किसी भी प्रकार से संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन नहीं करता है। ब्याज वसूलने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है। कोर्ट ने कहा कि सेंक्शन 171 कहता है कि जो टैक्स सरकार ने नहीं वसूलने का फैसला किया है उसे कीमत में उसी अनुपात में घटाकर ग्राहकों को राहत दी जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि ये जनहित में है और उपभोक्ताओं के लिए उठाया कदम कल्याणकारी कदम है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि मुनाफाखोरी के खिलाफ सेक्शन 171 (1) का प्रावधान नागरिकों के हितों में है। कोर्ट ने कहा कि कानून बनाने का अधिकार सरकार के पास है और एंटी-प्रॉफिटयरिंग प्राविजंस कीमतें तय करने का मैकेनिज्म नहीं है। जीएसटी कानून के लागू होने के बाद एंटी-प्रॉफिटयरिंग प्रॉविजंस का प्रावधान किया गया जिससे कंपनियां मुनाफाखोरी ना कर सकें और जीएसटी रेट में कमी का फायदा उपभोक्ताओं को मिल सके। जीएसटी रेट के घटने और इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम का फायदा उपभोक्ताओं को कंपनियां दे सकें।