रिजर्व बैंक सरकार को देगी 1.76 लाख करोड़, राहुल बोले- खजाने की चोरी काम नहीं आएगी

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 84 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब वह अपने सरप्लस रिजर्व में से 1.76 लाख करोड़ रुपये केंद्र सरकार को देगी। आरबीआई के इस फैसले से विपक्ष नाराज है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री ने जो आर्थिक संकट पैदा किया है, उसे वह खत्म नहीं कर पा रहे हैं। राहुल ने दावा किया कि आरबीआई से चुराने से काम नहीं चलने वाला है। यह किसी दवाखाने से बैंड-एड चुराकर, गोली लगने से हुए घाव पर लगाने जैसा है जो काम नहीं आएगी।

वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि क्या यह संयोग है कि आरबीआई द्वारा 1.76 लाख करोड़ रुपये का उधार बजट गणना में 'मिसिंग' राशि से मेल खाता है। सुरजेवाला ने कहा, 'क्या यह वित्तीय समझदारी है या फिर वित्तीय आत्महत्या है? सुरजेवाला ने सवाल किया, क्या इस पैसे का इस्तेमाल भाजपा के पूंजीपति मित्रों (क्रोनी फ्रेंड्स) को बचाने के लिए होगा?'

रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी 2.0 ने आरबीआई में 'आर' को 'रिजर्व' से 'Ravaged' (बर्बाद) में बदल दिया है। आरबीआई के आकस्मिक रिजर्व का इस्तेमाल अत्यधिक वित्तीय आपात स्थितियों और युद्ध जैसी स्थितियों के लिए किया जाता है। अब इसका इस्तेमाल बीजेपी सरकार आर्थिक मोर्चे पर अपनी गड़बड़ी को रोकने के लिए कर रही है। बीजेपी ने आरबीआई की साख खत्म कर दी।

इससे पहले कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोप लगाया कि आरबीआई से 'प्रोत्साहन पैकेज' लेना इस बात का सबूत है कि अर्थव्यवस्था की स्थिति बहुत खराब हो चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने यह नहीं बताया कि इस पैसे इस्तेमाल कहां होगा।

बता दे, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) केंद्र सरकार को लाभांश और सरप्लस फंड की मदद से 1.76 लाख करोड़ रुपये देगी। सोमवार को हुई बैठक के बाद आरबीआई ने अपने बयान में कहा, 'बोर्ड ने मोदी सरकार को 1,76,051 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने का फैसला किया है, जिसमें से 1,23,414 करोड़ रुपये की सरप्लस राशि 2018-19 के लिए होगी। इसके अलावा संशोधित आर्थिक पूंजी ढांचे के अनुसार 52,637 करोड़ रुपये अतिरिक्त प्रावधानों के तहत दिए जाएंगे।' इस सरप्लस ट्रांसफर से सरकार को अपने कर राजस्व में किसी भी संभावित कमी पर आने में मदद मिलेगी। यह सरप्लस ट्रांसफर जीडीपी (2018-19) का 1.25 प्रतिशत है। RBI द्वारा मिले सरप्लस फंड को सरकार बैंकों में डालेगी। सरकार पहले ही सरकारी बैंकों में 70 हजार करोड़ रुपये की पूंजी डालने की घोषणा कर चुकी हैं। बैंकों में पूंजी डालने से लिक्विडिटी बढ़ेगी। वित्तीय संकट से जूझ रहे बैंकों को राहत मिलेगी। सरप्लस कैश होने पर बैंक सस्ता कर्ज देते हैं। इससे वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ती है यानी खपत में बढ़ोतरी होती है, जो देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। रियल एस्टेट सेक्टर के लिए सरकार सरप्लस फंड का इस्तेमाल कर सकती है। देशभर में आम्रपाली, यूनिटेक और जेपी जैसे लटके प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए सरकार वित्तीय मदद दे सकती है। इससे लोगों को उनका आशियाना मिल जाएगा जिसके पाने की आस वर्षों से लगाए बैठे हैं। यह पैसा सरकार को आरबीआई से तीन से पांच साल के बीच में मिलेगा। कॉन्टिजेंसी फंड, करेंसी तथा गोल्ड रिवैल्यूएशन अकाउंट को मिलाकर आरबीआई के पास 9.2 लाख करोड़ रुपये का रिजर्व है, जो केंद्रीय बैंक के टोटल बैलेंस शीट साइज का 25 फीसदी है।