आयकर विभाग से कांग्रेस को मिली राहत, जून तक वसूली के लिए कठोर कदम नहीं उठाएगा

नई दिल्ली। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आज सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आयकर विभाग आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर जून के दूसरे सप्ताह तक 3,500 करोड़ रुपये की वसूली के लिए कांग्रेस के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाएगा। यही नहीं विभाग ने अदालत से कहा कि इस मामले को जून तक के लिए स्थगित कर दिया जाए और चुनाव के बाद ही सुनवाई हो। आयकर विभाग ने कहा कि हम लोकसभा चुनाव के बीच किसी पार्टी की परेशानी नहीं बढ़ाना चाहते।

सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई 24 जुलाई को करेगा। यह मामला 2018 में कांग्रेस द्वारा दायर एक याचिका से संबंधित है, जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें आयकर विभाग को मूल्यांकन वर्ष 2011-2012 के लिए अपने आयकर का पुनर्मूल्यांकन करने की अनुमति दी गई थी।

आज की कार्यवाही में कांग्रेस ने 28 मार्च को उच्च न्यायालय द्वारा चार याचिकाओं को खारिज करने का भी उल्लेख किया, जिसमें पार्टी के खिलाफ शुरू की गई आयकर पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही को चुनौती दी गई थी। कोर्ट द्वारा खारिज की गई चार याचिकाएं मूल्यांकन वर्ष 2017-18, 2018-19, 2019-20 और 2020-21 से संबंधित हैं।

एक दिन बाद, कांग्रेस ने 29 मार्च को कहा कि उसे मूल्यांकन वर्ष 2017-18 और 2020-21 के लिए 1,823 करोड़ रुपये के कर नोटिस मिले। आयकर विभाग ने पार्टी को तीन और नोटिस जारी किए हैं, जिससे कुल कर मांग 3,567 करोड़ रुपये हो गई है।

इससे पहले कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का इस्तेमाल करके पार्टी को अस्थिर करना चाहती है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जानबूझकर ऐसी कार्रवाई की जा रही है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अभी चुनाव चल रहे हैं। ऐसे में विभाग नहीं चाहता कि किसी पार्टी को चुनाव के बीच कोई परेशानी हो। दरअसल कांग्रेस ने अदालत का रुख करते हुए हाई कोर्ट के 2016 के फैसले को चुनौती दी थी। जिसके आधार पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट उसे नोटिस जारी कर रहा है।

बता दें कि आयकर विभाग की कार्रवाई को लेकर खुद राहुल गांध ने तीखा हमला बोला था। पिछले दिनों कांग्रेस कार्यसमिति की मीटिंग के बाद राहुल गांधी ने कहा था कि ऐसा लग रहा है कि देश में लोकतंत्र खत्म हो गया है। हमारे खाते फ्रीज कर लिए गए और सैकड़ों करोड़ के नोटिस भेजे जा रहे हैं। इसके बाद भी देश की अदालत, चुनाव आयोग और मीडिया चुप हैं। सभी लोग मिलकर तमाशा देख रहे हैं। लोकतंत्र को खत्म करने की साजिश हो रही है।