नई दिल्ली। कांग्रेस ने सोमवार को सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर हितों के टकराव का आरोप लगाते हुए कहा कि वह बाजार नियामक संस्था की पूर्णकालिक सदस्य होने के बावजूद एक निजी बैंक से नियमित आय प्राप्त कर रही थीं। विपक्षी दल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी उनकी नियुक्ति पर सफाई देने को कहा।
दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस ने आरोप लगाया कि 2017 में वर्तमान सेबी अध्यक्ष के पदभार संभालने के बाद से वह न केवल सेबी से वेतन ले रही हैं, बल्कि आईसीआईसीआई बैंक में लाभ के पद पर भी हैं, तथा आज भी उनसे आय प्राप्त कर रही हैं।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, जब आप एक कंपनी में काम करते हैं, तो आप वहीं से वेतन लेते हैं। हालांकि, जब सेबी चेयरपर्सन सेबी की पूर्णकालिक सदस्य थीं, तो उन्हें 2017-2024 तक आईसीआईसीआई बैंक, प्रूडेंशियल और ईएसओपी से नियमित आय मिल रही थी। नियामक संस्था में इतने ऊंचे पद पर बैठा कोई व्यक्ति कहीं और से भुगतान प्राप्त कर रहा था। यह पूरी तरह से सेबी की धारा 54 का उल्लंघन है।
मार्च 2022 सेबी अध्यक्ष का पद संभालने से पहले बुच 5 अप्रैल 2017 से 4 अक्टूबर 2021 तक सेबी की पूर्णकालिक सदस्य थीं।
अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कांग्रेस ने आरोप लगाया कि 2017 में सेबी में शामिल होने के समय से लेकर आज तक आईसीआईसीआई से बुच को प्राप्त कुल राशि 16.8 करोड़ रुपये है, जो उसी अवधि के दौरान सेबी से प्राप्त आय से 5.09 गुना अधिक है, जो कि 3.3 करोड़ रुपये है।
कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने कहा कि अडानी समूह द्वारा प्रतिभूति कानूनों के उल्लंघन की नियामक संस्था सेबी की उच्चतम न्यायालय द्वारा अधिकृत जांच में सेबी अध्यक्ष के हितों के टकराव पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।
रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ऐसा लगता है कि भारत सरकार ने इन सवालों को आसानी से दरकिनार कर दिया है। अब चौंकाने वाली अवैधता का यह नया खुलासा हुआ है।
उन्होंने कहा, गैर-जैविक प्रधानमंत्री, जो अपनी चुप्पी के माध्यम से सेबी अध्यक्ष को बचाने में भागीदार रहे हैं, को स्पष्ट होना चाहिए और निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर देना चाहिए कि नियामक निकायों के प्रमुखों की नियुक्ति के लिए उपयुक्त और उचित मानदंड क्या हैं?