चीन की एक लापरवाही से पूरी दुनिया में फैला कोरोना वायरस, 361 लोगों की जा चुकी है जान

कोरोना वायरस (Coronavirus) कहां से आया? चीन के वुहान शहर से यह वायरस बाहर कैसे निकला? ऐसे कई सवाल है जो आज लोगों के मन में उठ रहे है। कोरोना वायरस के फैलने के लिए अब चीनी सरकार और स्वास्थ्य प्रबंधकों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि वुहान के एक अस्पताल में डॉक्टर ली वेनलियांग ने 30 दिसंबर को 7 मरीजों को रहस्यमयी बीमारी से पीड़ित पाया था। इसके बाद उन्होंने सतर्कता बरतते हुए उन्हें तुरंत आइसोलेशन वॉर्ड में रखने के आदेश दिए। एक ऑनलाइन ग्रुप चैट पर उन्होंने इसके बारे में जानकारी भी दी थी। तभी चैट पर उनसे एक व्यक्ति ने सवाल किया, 'साल 2002 में करीब 800 लोगों की जान लेने वाली भयंकर एसएआरएस (SARS) नामक बीमारी वापस आ गई है?' स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस चैट के लीक होते ही हरकत में आ गए। उन्होंने उसी वक्त डॉक्टर ली को बुलाया और उनसे पूछा कि उन्होंने यह सूचना लोगों के साथ क्यों शेयर की। इस घटना के तीन दिन बाद पुलिस ने डॉक्टर ली की कार्यवाही को गैर-कानूनी ठहराया और उनसे एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर ले लिए।

यह प्रकोप एसएआरएस (SARS) का नहीं, बल्कि कोरोना वायरस का था। इसी कोरोना वायरस की वजह से आज पूरी दुनिया खौफ में है। करीब 300 से ज्यादा लोगों की मौत इस वायरस की वजह से हो गई है। इतना ही नहीं, पूरी दुनिया में कोरोना वायरस ने अब तक करीब 14,380 से ज्यादा लोगों को शिकार बनाया है।

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कोरोना वायरस को लेकर चीनी सरकार ने काफी लापरवाही बरती है। राजनीतिक शर्मिंदगी और लोगों में खौफ के डर से सरकार ने इसे प्राथमिक चरण पर रोकने की पूरी कोशिश नहीं की। वुहान के स्थानीय नागरिकों, डॉक्टर्स, सरकारी बयानों और चीन की मीडिया रिपोर्ट सामने आने के बाद यह बात साबित होती है कि सरकार ने वायरस का पहला मामला सामने आने के बाद सात हफ्ते का वक्त बर्बाद कर दिया। रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना वायरस का पहला मामला दिसंबर में ही सामने आ गया था, लेकिन सरकार ने इसे गंभीरता से लेने में देरी दिखाई। सरकार की ओर से जनवरी में कोरोना वायरस को लेकर पहला बयान जारी किया गया।

वायरस फैलने के बाद सरकार ने अधिकारियों और डॉक्टर्स पर चुप रहने के लिए दबाव बनाए रखा। जानकारी मिलने के अभाव में लोग इस वायरस से अनजान रहे और सही समय पर अपना बचाव नहीं कर पाए। वुहान के बाजारों पर भी यह कहकर ताले लगाए गए थे कि यहां की दुकानों को रेनोवेट किया जाना है। अगर पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट्स और मेडिकल प्रोफेशनल्स ने लोगों को सही समय पर आगाह किया होता तो शायद इस खतरनाक वायरस को फैलने से रोका जा सकता था।

कोरोना वायरस का मूल गढ़ वुहान शहर के उस बाजार को बताया जा रहा है, जहां करीब 112 किस्म के जानवरों के मांस का कारोबार होता है। सूत्रों की मुताबिक, यहां सड़े-गले मांस की वजह से यह वायरस पहले सांप में दाखिल हुआ। ऐसे ही किसी सांप को खाने की वजह से इस वायरस ने इंसान के शरीर में जगह बनाई।

वहीं इस बीच खबर है कि चीन ने अमेरिका पर कोरोना वायरस को लेकर डर व दहशत पैदा करने का आरोप लगाया है। विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि अमेरिका ने कोई ठोस सहायता मुहैया नहीं कराई है और इसे लेकर वह केवल दहशत पैदा कर रहा है। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि अमेरिका पहला देश है जिसने अपने दूतावास के स्टाफ को बुलाना शुरू किया और पहला देश है जिसने चीनी यात्रियों पर प्रतिबंध लगाए।

बता दे, विभिन्न देशों द्वारा चीन से आने वाले लोगों पर तमाम तरीके यात्रा प्रतिबंध लगाने के बावजूद यह संक्रमण 24 से अधिक देशों में फैल चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन इस पहले ही वैश्विक स्वास्थ्य आपदा घोषित कर चुका है।