चीन ने फिर लगाया वीटो, बचाया पाकिस्तान के लाडले मसूद अजहर को

जैश सरगना मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर चौथी बार चीन ने अडंगा लगा दिया है। वीटो का इस्तेमाल करते हुए चीन ने पाकिस्तान के लाडले मसूद को बचा लिया। इसके साथ ही ये प्रस्ताव रद्द हो गया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि चीन के रवैये से निराशा हुई। आतंकियों के खिलाफ हमारी कोशिशें जारी रहेंगी। भारत ने प्रस्ताव लाने और उसका समर्थन करने वाले देशों को धन्यवाद कहा है। वहीं कांग्रेस ने इसे मोदी सरकार की कूटनीतिक विफलता करार दिया है।

भारत सरकार ने कहा, ''एक देश की वजह से जो नतीजा सामने है वो निराश करने वाला है लेकिन मसूद अजहर के खिलाफ हमारी मुहिम जारी रहेगी। हम निराश हैं लेकिन हम सभी उपलब्ध विकल्पों पर काम करते रहेंगे, ताकि ये तय किया जा सके कि भारतीय नागरिकों पर हुए हमलों में शामिल आतंकवादियों को न्याय के कठघरे में खड़ा किया जाए।''

विदेश मंत्रालय ने कहा, ''हम प्रस्ताव लाने वाले सदस्य राष्ट्रों के प्रयास के लिए आभारी हैं। साथ में सुरक्षा परिषद के अन्य सदस्यों और गैर सदस्यों के भी आभारी हैं जिन्होंने इस कोशिश में साथ दिया। कमेटी अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने वाले प्रस्ताव पर कोई निर्णय नहीं कर सकी क्योंकि एक सदस्य देश ने प्रस्ताव रोक दिया।''

चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कहा कि हम बिना सबूतों के कार्रवाई के खिलाफ है और हमें जांच के लिए और वक्त चाहिए। सूत्रों के मुताबिक, चीन इस बात पर अड़ा है कि आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और मसूद अजहर का आपस में कोई लिंक नहीं है। सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य देशों के पास आपत्ति दर्ज कराने के लिए 13 मार्च तक का वक्त था। मियाद खत्म होने के ऐन पहले चीन ने प्रस्ताव को तकनीकी आधार पर होल्ड करने की सूचना परिषद को दी। होल्ड की मियाद तीन महीने तक है चीन अपने तकनीकी होल्ड को दो बार तीन-तीन महीने के लिए आगे भी बढ़वा सकता है, यानी 9 महीने का वक्त उसके पास है। 9 महीने बाद अगर चीन चाहे तो सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य होने के नाते वीटो अधिकार का इस्तेमाल कर प्रस्ताव को गिरा सकता है।

दरहसल, अमेरिका, फ्रांस ब्रिटेन के अलावा रूस और चीन सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य है, इन पांचों देशों को वीटो का अधिकार है। अगर कोई एक सदस्य भी वीटो का इस्तेमाल करता है तो प्रस्ताव खारिज हो जाता है। मौजूदा प्रस्ताव के विचाराधीन रहने तक मसूद अजहर को लेकर कोई नया प्रस्ताव सुरक्षा परिषद में नहीं आ सकता। साफ है कि चीन ने एक बार फिर मसूद को कम से नौ महीने के लिए ग्लोबल आतंकियों की फेहरिस्त में शामिल किए जाने से बचा लिया है।

ग्लोबल आतंकी घोषित से क्या होता?

भारत सरकार पिछले कई सालों से मसूद को ग्लोबल आतंकी घोषित करवाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपील कर रहा है लेकिन हर बार उसे चीन बचा लेता है। ग्लोबल टैररिस्ट घोषित होने के बाद मसूद अज़हर किसी भी देश में यात्रा नहीं कर पाता। पूरी दुनिया में मसूद की संपत्तियां जब्त कर ली जाती। मसूद किसी भी देश से हथियार नहीं खरीद पाता और सबसे बड़ी बात इसके बाद पाकिस्तान पूरी दुनिया के सामने खुलकर मसूद अज़हर का बचाव नहीं कर पाता।

कौन है आतंक का आका मसूद अजहर?

गौरतलब है कि भारत लंबे समय से सुरक्षा परिषद का ध्यान इस ओर आकर्षित कर रहा है कि जैश पर संयुक्त राष्ट्र ने प्रतिबंध लगाया है, लेकिन उससे संस्थापक को बैन नहीं किया जा रहा। अजहर पाकिस्तान में पंजाब प्रांत के बहावलपुर में कौसर कालोनी में रहता है। जनवरी 2016 में पंजाब के पठानकोट में भारतीय वायु सेना के बेस पर जैश के हमले के बाद भारत ने संयुक्त राष्ट्र की ओर से अजहर पर प्रतिबंध लगाने को लेकर अपनी कोशिशें तेज कर दी थीं। इसमें भारत को अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस का भी समर्थन मिला था, लेकिन चीन ने इसका विरोध किया था। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले का जिम्मेदार भी अजहर का आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ही था। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।

मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने की भारत की कोशिश कब शुरू हुई?

जैश-ए-मोहम्मद ने जब पठानकोट में वायु सेना अड्डे पर हमले की जिम्मेदारी का दावा किया था तब भारत ने संयुक्त राष्ट्र से अपील की थी कि उसे वैश्विक आतंकी घोषित किया जाए। भारत ने यूएनएससी (संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद) की समिति के सामने अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जाने की मांग की।

चीन और पाकिस्तान 'ऑल वेदर फ्रेंड्स'

माना जा रहा है कि चीन और पाकिस्तान 'ऑल वेदर फ्रेंड्स' की तरह हैं और चीन भारत को एक प्रतियोगी और यहां तक ​​कि एक बड़े खतरे के रूप में भी देखता है। चीन का अजहर का समर्थन करना भारत को तकलीफ पहुंचाने और पाकिस्तान को खुश करने का एक तरीका है। इसके अलावा चीन और पाकिस्तान कई समझौतों के साझीदार भी हैं। चीन ने पाकिस्तान के साथ हाल में ही $51 बिलियन वन रोड वन बेल्ट (OROB) योजना सहित अन्य विकास परियोजनाओं में निवेश किया है। 1950 में चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद 1959 में तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा को भारत ने शरण दी। चीन इस बात से भी खफा है, चीन का मानना है कि दलाई लामा चीन के लिए वही है जो भारत के लिए हाफिज सईद है।