बिहार में चमकी बुखार यानि एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) बच्चों पर कहर बरपा रहा है। इस बुखार से दो महीनों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 122 पहुंच गई है। बिहार में रविवार देर रात तक और 28 बच्चों की मौत हो गई। मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में 18, केजरीवाल अस्पताल में 3, वैशाली में 4 और मोतिहारी में 3 बच्चों की मौत हो गई। वही अगर पिछले 10 सालों का आकड़ा देखे तो बिहार में 502 बच्चे इस बीमारी से मारे जा चुके हैं।
आपको बता दे, सबसे पहले यह बीमारी 25 साल पहले 1994 में सामने आई थी। उस समय भी कहा गया था कि यह इंसेफेलाइटिस है। लेकिन, जांच में इंसेफेलाइटिस के वायरस नहीं पाए गए। विशेषज्ञों की टीम जांच में जुटी है। मगर, अब तक के शोध में यही पता चल सका है कि यह बीमारी मई और जून माह में अत्यधिक गर्मी और ह्यूमिडिटी यानी उमस ज्यादा होने पर सामने आती है। अधिकतर मामलों में कुपोषित बच्चों में ग्लूकोज और सोडियम लेवल काफी कम हो जाने से मौत हो जाती है। हालांकि, यह लेवल किस वजह से कम हो जाता है। इसके कारणों का अब तक पता नहीं चल सका है। इस मामले में स्थानीय विशेषज्ञ चिकित्सकों की राय भी अलग-अलग हैं।
रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच पहुंचे। वे तकरीबन 5 घंटे तक अस्पताल में रहे। खुद 100 मरीजों की केस हिस्ट्री स्टडी की। हर्षवर्धन ने कहा कि बीमारी की वजह जानने के लिए मुजफ्फरपुर में एक रिसर्च सेंटर बनाया जाएगा। इसे एक साल में पूरा किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, मुजफ्फरपुर के केजरीवाल अस्पताल और एसकेएमसीएच में अब तक 91 बच्चों की मौत हो चुकी है। हर्षवर्द्धन ने मेडिकल कॉलेज का जायजा लेने के बाद कहा, 'मैं इस क्षेत्र के लोगों, विशेष रूप से प्रभावित परिवारों को विश्वास दिलाता हूं कि समस्या को जड़ से समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार राज्य सरकार को सभी संभव आर्थिक और तकनीकी सहयोग देगी।'
अब तक इस बीमारी से मरे बच्चों की संख्या- साल 2019 में 286 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 127 बच्चों की मौत हो गई।
- साल 2018 में 45 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 10 बच्चों की मौत हो गई।
- साल 2017 में 42 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 19 बच्चों की मौत हो गई।
- साल 2016 में 42 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 21 बच्चों की मौत हो गई।
- साल 2015 में 75 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 11 बच्चों की मौत हो गई।
- साल 2014 में 342 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 86 बच्चों की मौत हो गई।
- साल 2013 में 124 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 39 बच्चों की मौत हो गई।
- साल 2012 में 336 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 120 बच्चों की मौत हो गई।
- साल 2011 में 121 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 45 बच्चों की मौत हो गई।
- साल 2010 में 59 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 24 बच्चों की मौत हो गई।