COVAXIN को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने जताई चिंता, जवाब में स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री हर्षवर्धन ने कही ये बात

भारत में बड़ी तेजी से कोरोना की वैक्‍सीन लोगों को लगाई जा रही है। गुरुवार शाम सात बजे तक 74 लाख 30 हजार हेल्‍थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स को कोरोना की वैक्‍सीन दी जा चुकी है। भारतीय राज्यों में, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान में पिछले 27 दिनों में सबसे ज्यादा टीकाकरण दर्ज किए गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 13 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने अपने कुल पंजीकृत स्वास्थ्य कर्मियों में से 65% से अधिक टीकाकरण कर लिया है और इसमें सबसे आगे बिहार राज्‍य है जहां अब तक पंजीकृत स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं में से 79% का टीकाकरण हो चुका है। आपको बता दे, 74 लाख टीकाकरणों में से करीब 58 लाख हेल्‍थ वर्कर्स और 16 लाख से अधिक फ्रंटलाइन वर्कर्स थे।

भारत की कोरोना वैक्‍सीन को लेकर दुनियाभर के देशों ने दिलचस्‍पी दिखाई है। कई देशों को भारत ने कोरोना वैक्‍सीन मुहैया भी कराई है। लेकिन देश के कुछ राज्‍यों की सरकार कोरोना वैक्‍सीन की विश्वसनीयता को लेकर अब भी सवाल उठा रहे हैं। कोवैक्सीन के तीसरे चरण के अधूरे परीक्षण पर छत्तीसगढ़ की चिंताओं को दूर करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने गुरुवार को कहा कि कोरोना के दोनों टीके कोवैक्सीन और कोविशील्ड सुरक्षित और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले हैं। हर्षवर्धन ने कहा कि महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए इनका जल्द से जल्द इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इससे पहले छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा कि उन्होंने हर्षवर्धन को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि भारत बायोटेक द्वारा निर्मित टीके कोवैक्सीन को तब तक न भेजा जाए जब तक परीक्षण के नतीजे पूरे नहीं हो जाते। देव ने टीके की शीशियों पर एक्सपायरी डेट न लिखे होने पर भी चिंता जताई थी।

देव के पत्र के जवाब में हर्षवर्धन ने कहा कि उन्होंने कानून और नियमों के मुताबिक, मंत्रालय में मामले की जांच कराई है। देश में कोरोना महामारी के चलते टीके की तत्काल जरूरत है, इसलिए केंद्रीय औषध मानक और नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने दोनों टीकों के उत्पादन को मंजूरी दी है। उन्होंने कहा कि एक्सपायरी डेट का उल्लेख टीके की वायल के लेबल पर है।

आपको बता दे, जनवरी की शुरुआत में, ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया (DCGI) ने कोविड -19 वैक्सीन कोविशील्ड (Covishield) को अनुमति दी थी जिसे एस्ट्राज़ेनेका व ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित और पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया द्वारा निर्मित किया गया था। इसने भारत बायोटेक द्वारा विकसित एक वैक्सीन कोवाक्सिन (Covaxin) को भी आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी थी, जिसका उपयोग कुछ परिस्थितियों में किया गया था क्योंकि यह टीका अभी भी चरण 3 के परीक्षण के दौर से गुजर रहा है। भारत ने क्रियाविधि को समझने और सामने आ सकने वाले संभावित मुद्दों की पहचान करने के लिए देश भर में दो ड्राय रन आयोजित करने के बाद 16 जनवरी को टीकाकरण अभियान को शुरू किया था। लक्ष्य था कि इसके पहले चरण में पंजीकृत हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स का टीकाकरण हो जाए। वरिष्ठ डॉक्टरों ने टीकाकरण के प्रति किसी भी झिझक को दूर करने के लिए कोविड-19 वैक्सीन लिया। दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान में तेजी लाने के लिए तकनीकी मुद्दों को प्राथमिकता पर हल किया गया।