छत्तीसगढ़: 80 दिन में 113 नक्सली ढेर, गृह मंत्री अमित शाह ने कहा - 31 मार्च तक देश को नक्सल मुक्त बनाना है

छत्तीसगढ़ के बस्तर में सुरक्षा बलों को गुरुवार को बड़ी सफलता मिली, जब बीजापुर और कांकेर जिलों में दो अलग-अलग मुठभेड़ों में कम से कम 30 माओवादी मारे गए। हालांकि, इस अभियान में एक जवान ने वीरगति प्राप्त की। बस्तर रेंज के आईजी पी. सुंदरराज के अनुसार, सबसे बड़ा मुकाबला बीजापुर के गंगालूर इलाके में हुआ, जो नक्सल गतिविधियों का प्रमुख केंद्र माना जाता है।

माओवादी कमांडर के आत्मसमर्पण के बाद पहली बड़ी कार्रवाई

मार्च में माओवादी कमांडर दिनेश मोदियाम के सरेंडर के बाद यह गंगालूर में पहला बड़ा ऑपरेशन था। कभी इस इलाके में नक्सलियों का नेतृत्व करने वाले मोदियाम के 26 पूर्व साथियों को इस मुठभेड़ में मार गिराया गया। बीजापुर और कांकेर के बीच लगभग 300 किलोमीटर के दायरे में यह समन्वित अभियान चलाया गया।

80 दिनों में 113 माओवादी ढेर


छत्तीसगढ़ में पिछले 80 दिनों में सुरक्षा बलों ने 113 माओवादियों को मार गिराया है, जिनमें से 91 केवल बीजापुर जिले में मारे गए। बीते वर्ष बस्तर डिवीजन में कुल 287 नक्सलियों का सफाया किया गया था।

गृह मंत्री अमित शाह ने सुरक्षा बलों की सराहना की


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सुरक्षा बलों की वीरता की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह 'नक्सल-मुक्त भारत' अभियान की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा, बीजापुर और कांकेर में हमारी सुरक्षा बलों ने दो अलग-अलग अभियानों में कई नक्सलियों को मार गिराया है। मोदी सरकार नक्सलवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाए हुए है और आत्मसमर्पण के लिए कई पुनर्वास योजनाओं की पेशकश के बावजूद, जो नक्सली हथियार डालने से इनकार करते हैं, उनके खिलाफ जीरो-टॉलरेंस नीति अपनाई जा रही है। हमारा लक्ष्य 31 मार्च तक देश को नक्सल मुक्त बनाना है।

सुबह 7 बजे गूंजीं गोलियां, दोपहर तक चला एनकाउंटर

बस्तर रेंज के आईजी पी. सुंदरराज ने बताया कि बीजापुर और सुकमा की DRG, CoBRA कमांडो और CRPF की संयुक्त टीम ने गंगालूर इलाके में माओवादियों की मौजूदगी की सूचना मिलने पर बड़ा ऑपरेशन शुरू किया। पहली गोली सुबह करीब 7 बजे चली, और उसके बाद दोपहर तक रुक-रुक कर फायरिंग होती रही। जब गोलियों की आवाज थमी, तो सुरक्षा बलों को 26 माओवादियों के शव बरामद हुए।

अभी भी जारी है सर्च ऑपरेशन

मिली जानकारी के अनुसार, पुलिस ने जंगल में कुछ वरिष्ठ नक्सली कैडरों को पकड़ा है और तलाशी अभियान अभी भी जारी है। इस मुठभेड़ में बहादुरी से लड़ते हुए DRG के जवान राजू ओयाम शहीद हो गए, जिनका शव बरामद कर लिया गया है। इस पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा, उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।

तलाशी अभियान में मिले अत्याधुनिक हथियार

कांकेर में DRG और BSF की संयुक्त टीम ने उत्तर बस्तर मारह डिवीजन के माओवादियों पर बड़ा हमला किया। कांकेर एसपी कल्याण एलेसेला ने बताया कि कांकेर और नारायणपुर जिलों की सीमा से सटे जंगलों में चार शव बरामद हुए हैं। तलाशी अभियान के दौरान सुरक्षा बलों को भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री और इंसास, AK-47 और SLR जैसी अत्याधुनिक बंदूकें भी मिली हैं।

सरकार का दोहराया संकल्प – नक्सलमुक्त भारत


गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि सरकार नक्सलवाद के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस नीति पर कायम है। उन्होंने कहा, जो नक्सली आत्मसमर्पण नहीं करेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। सरकार का लक्ष्य अगले साल 31 मार्च तक देश को नक्सलवाद से मुक्त करना है।

खुफिया इनपुट के आधार पर मिली सफलता

पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह अभियान खुफिया जानकारी पर आधारित था। सुरक्षा बलों को पहले से सूचना थी कि गंगालूर के जंगलों में भारी संख्या में नक्सली मौजूद हैं, जिसके बाद इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया।

DRG, CoBRA और CRPF का संयुक्त ऑपरेशन

इस ऑपरेशन में DRG, CoBRA और CRPF के जवानों ने संयुक्त रूप से हिस्सा लिया। DRG के जवान स्थानीय होते हैं, जिन्हें जंगल की भौगोलिक स्थिति की गहरी जानकारी होती है। CoBRA कमांडो नक्सल विरोधी अभियानों के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित होते हैं, जबकि CRPF देश का सबसे बड़ा अर्धसैनिक बल है और आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाता है।