चांद के और नजदीक पहुंचा Chandrayaan-2, तस्वीरें कर देगी आपको हैरान

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का मिशन Chandrayaan-2 चांद के साऊथ पोल की ओर भी तेजी से बढ़ रहा है। ISRO समय-समय पर इससे जुड़ी अपडेट्स भी साझा कर रहा है। ताजे घटनाक्रम में Chandrayaan-2 ने चांद के सतह की कुछ तस्वीरें और भेजी है। जिसे ISRO साझा की हैं। इन तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि ये चांद के और नजदीक हैं। और यह भी साफ है कि चांद की जैसी कल्पना की जाती है क्या चांद वैसा ही दिख रहा है। जैसे-जैसे चंद्रयान-2 चांद के नजदीक जाएगा भारत का ये मिशन पूरी दुनिया को चांद के रहस्यों के बारे में बताएगा। चंद्रयान-2 के टेरेन मैपिंग कैमरा (टीएमसी -2) द्वारा चांद की सतह की लगभग 4375 किमी की ऊंचाई पर से तस्वीरें ली हैं। इसरो के अनुसार इन तस्वीरों में जैक्सन, मच, कोरोलेव और मित्रा नामक स्थान दिखाई दे रहा है।

इससे पहले चंद्रयान-2 ने स्पेस से चांद और पृथ्वी, दोनों की कुछ बेहद शानदार तस्वीरें ली थीं। सबसे पहले चंद्रयान 2 ने अगस्त के पहले हफ्ते में पृथ्वी की पहली तस्वीर भेजी थी।

बता दें कि 21 अगस्त को Chandrayaan-2 चांद की दूसरी कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश हो चुका है। 28 अगस्त को चंद्रयान-2 चांद की तीसरी कक्षा में डाला जाएगा। इसके बाद चंद्रयान-2 चांद के चारों तरफ 178 किमी की एपोजी और 1411 किमी की पेरीजी में चक्कर लगाएगा। बता दे, 7 सितंबर 2019 रात के ठीक 1 बजकर 55 मिनट पर चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) चांद पर होगा। लैंडिंग के बाद 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर से अलग हो जाएगा। इस प्रक्रिया में 4 घंटे का समय लगेगा। यह 1 सेमी प्रति सेकंड की गति से बाहर आएगा। 14 दिन यानी 1 ल्यूनर डे के अपने जीवनकाल के दौरान रोवर 'प्रज्ञान' चांद की सतह पर 500 मीटर तक चलेगा। यह चांद की सतह की तस्वीरें और विश्लेषण योग्य आंकड़े इकट्ठा करेगा और इसे विक्रम या ऑर्बिटर के जरिए 15 मिनट में धरती को भेजेगा। बता दे, 27 किलोग्राम का रोवर 6 पहिए वाला एक रोबॉट वाहन है। इसका नाम संस्कृत से लिया गया है, जिसका मतलब 'ज्ञान' होता है। रोवर प्रज्ञान चांद पर 500 मीटर (आधा किलोमीटर) तक घूम सकता है। यह सौर ऊर्जा की मदद से काम करता है। रोवर सिर्फ लैंडर के साथ संवाद कर सकता है।

चांद की सतह पर पहुंचने के बाद लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) 14 दिनों तक ऐक्टिव रहेंगे। चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद ऑर्बिटर एक साल तक काम करेगा। इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी और लैंडर के बीच कम्युनिकेशन करना है। ऑर्बिटर चांद की सतह का नक्शा तैयार करेगा, ताकि चांद के अस्तित्व और विकास का पता लगाया जा सके। लैंडर यह जांचेगा कि चांद पर भूकंप आते हैं या नहीं। जबकि, रोवर चांद की सतह पर खनिज तत्वों की मौजूदगी का पता लगाएगा। इसकी कुल लाइफ 1 ल्यूनर डे की है जिसका मतलब पृथ्वी के लगभग 14 दिन होता है।