चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग डेट आई सामने, इस वजह से रुका था मिशन

15 जुलाई को लॉन्च भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के दूसरे मून मिशन चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) की लॉन्चिंग होनी थी लेकिन तकनीकी खामी के कारण इसे रोक दिया गया था। इसरो प्रवक्ता बीआर गुरुप्रसाद ने इसरो की तरफ से बयान देते हुए कहा कि जीएसएलवी-एमके3 लॉन्च व्हीकल (रॉकेट) में खामी आने की वजह से लॉन्चिंग रोक दी गई है। चंद्रयान-2 को तड़के 2:51 बजे देश के सबसे ताकतवर बाहुबली रॉकेट GSLV-MK3 से लॉन्च किया जाना था। लेकिन 56 मिनट 24 सेकंड पहले रात 1:55 बजे काउंटडाउन रोक दिया गया। हालाकि इसरों के वैज्ञानिकों ने लांच के दौरन आई खामी को खोज कर उसे ठीक कर दिया है। अब सबके मन में एक ही सवाल उठ रहा है कि अगली तारीख कौनसी होगी जब चंद्रयान-2 को दोबारा लांच किया जायेगा। ऐसे में खबरे आ रही है कि इसरो वैज्ञानिकों ने हीलियम लीकेज की समस्या को ठीक कर दिया है। कुछ टेस्ट बाकी हैं जो 17 और 18 जुलाई तक पूरे हो जाएंगे।

22 जुलाई को सकती है चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग

अगर सब सही रहा तो 22 जुलाई को दोपहर 2:52 बजे चंद्रयान-2 लॉन्च किया जा सकता है। ऐसे में भारत के मून मिशन चंद्रयान-2 की यात्रा 4 दिन आगे बढ़ जाएगी। यानी पहले चंद्रयान-2 चांद पर 6 सितंबर को पहुंचने वाला था लेकिन 22 को लॉन्चिंग होगी तो यह 10 या 11 सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचेगा। हालांकि, जुलाई अंत तक लॉन्चिंग की पूरी संभावना है। अगर इस महीने लॉन्च नहीं होगा तो अक्तूबर में लॉन्चिंग की जा सकती है। दरहसल, इसरो को अगला लॉन्च विंडो अक्तूबर में मिलने की संभावना है। लॉन्च विंडो उस उपयुक्त समय को कहा जाता है जब पृथ्वी से चांद की दूरी कम होती है और राकेट की दूसरे उपग्रहों से टकराने की संभावना बहुत कम होती है।

इस वजह से रुका था मिशन

इसरो के विश्वस्त सूत्रों ने बताया है कि क्रायोजेनिक स्टेज के कमांड गैस बॉटल में प्रेशर लीकेज था। इसमें हीलियम भरा था। यह क्रायोजेनिक इंजन में भरे लिक्विड ऑक्सीजन और लिक्विड हाइड्रोजन को ठंडा रखने का काम करता है। हीलियम लीकेज की वजह से मिशन को रोकना पड़ा। बॉटल में हीलियम का प्रेशर लेवल नहीं बन रहा था। यह 330 प्वाइंट से घटकर 300, फिर 280 और अंत में 160 तक पहुंच गया था। इसलिए लॉन्च को रोकना पड़ा।

15 जुलाई के बाद अब तक क्या किया इसरो वैज्ञानिकों ने

- वैज्ञानिकों ने सबसे पहले बाहुबली जीएसएलवी-एमके3 रॉकेट के सभी स्टेज से प्रोपेलेंट (ईंधन) निकाला।

- इसरो वैज्ञानिकों की योजना थी कि पूरे जीएसएलवी-एमके 3 को अलग-अलग किया जाएगा, लेकिन ऐसा करने की जरूरत नहीं पड़ी। सिर्फ उस हिस्से को निकालकर ठीक कर दिया है, जिसमें खामी थी।

- इसरो वैज्ञानिकों ने हीलियम गैस बॉटल को बदल दिया है। साथ ही उस वॉल्व को भी ठीक किया है, जिससे प्रेशर लीक हो रहा था।

बता दे, 17 जुलाई को दिनभर टेस्ट करने के बाद शाम को इसरो की एनालिसिस कमेटी ने सारे टेस्ट के परिणामों की जांच करके आगे का फैसला लिया है। यह संभावना जताई जा रही है कि इसरो वैज्ञानिक लॉन्चिंग के बाद पृथ्वी के चारों तरफ चंद्रयान-2 के 5 चक्कर को घटाकर 4 कर देगी जिससे आगे की यात्रा के लिए समय बचेगा। हालाकि ऐसा करने से ईंधन की खपत ज्यादा होगी। अभी चांद की दूरी थोड़ी ज्यादा हो गई है तो ऐसा भी हो सकता है कि चांद पर पहुंचने के बाद भी वैज्ञानिक चांद के चारों तरफ लगाए जाने वाले चक्करों को भी कम कर सकते हैं।