अजमेर गरीब नवाज की दरगाह से सरवाड़ निकली फखरुद्दीन चिश्ती के लिए चादर, गाजे बाजे के साथ दागे तोप के गोले

आज बुधवार को सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के दर से सरवाड़ साहबजादे साहब ख्वाजा फखरुद्दीन चिश्ती के उर्स के मौके पर चादर रवाना की गई। ख्वाजा फखर के उर्स में शरीक होने के लिए शहर के विभिन्न क्षेत्रों से जायरीन पैदल जत्था के रूप में भी रवाना हुए। जायरीन के इन जत्थों का जगह जगह स्वागत किया गया। पिछले साल कोविड-19 के चलते पिछले साल चादर का जुलूस नहीं निकला था। अंजुमन सैयदजादगान का एक प्रतिनिधिमंडल चादर लेकर सरवाड गया था। इस प्रतिनिधिमंडल को जिला प्रशासन ने पास जारी किए थे। लेकिन इस साल गाजे बाजे के साथ निकले जुलूस में बड़ी संख्या में अकीदतमंद शरीक हुए। शाही अंदाज में निकले जुलूस के दौरान बड़े पीर साहब की पहाड़ी से तोप के गोले दागे गए। दरगाह ख्वाजा साहब से भेजी यह चादर शुक्रवार को सरवाड में साहबजादे साहब की मजार पर पेश की जाएगी।

परंपरा के अनुसार दरगाह के अहाता ए नूर से शान ओ शौकत के साथ जुलूस की शुरूआत हुई। गाजे बाजे और कव्वाली के साथ निकले जुलूस में कलंदर व मलंग हैरतअंगेज करतब पेश करते हुए चल रहे थे। खुद्दाम ए ख्वाजा सिर पर चादर लिए हुए थे। अकीदतमंद चादर पर फूल पेश कर रहे थे। असर की नमाज तक जुलूस दरगाह के निजाम गेट तक पहुंचा। उसके बाद नाला बाजार होते हुए रेलवे स्टेशन पहुंच कर जुलूस का समापन हुआ। यहां से कनवीनर सैयद तसद्दुक हुसैन जमाली की अगुवाई में एक प्रतिनिधि मंडल चादर लेकर सरवाड़ के लिए रवाना हुआ। जमाली ने बताया कि शुक्रवार को अपराहन 3:00 बजे सरवाड़ स्थित सरवाडी गेट से जुलूस की शुरुआत होगी। रोशनी के वक्त से पहले जुलूस सरवाड़ दरगाह पहुंचेगा। साहबजादे साहब की मजार पर चादर पेश कर दुआ की जाएगी। अंजुमन की ओर से तीन दिन लंगर का आयोजन भी किया जाएगा।