नई दिल्ली। गृह मंत्रालय ने सोमवार को एक बार फिर से स्टूटेंड इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी पर प्रतिबंध बढ़ा दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने साफ कहा है कि यह संगठन देश की अखंडता, शांति, सौहार्द और कानून व्यवस्था के लिए बहुत बड़ा खतरा है। ऐसे में यह बहुत अनिवार्य है कि इस आतंकी संगठन पर कि इस पर प्रतिबंध बरकरार रखा जाए।
गृहमंत्री अमित शाह ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट एक्स पर पोस्ट लिखा है। इसमें कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आतंक के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति है। इसे ध्यान में रखते हुए सिमी पर प्रतिबंध पांच साल तक के लिए बढ़ाया जा रहा है। संगठन को यूएपीए कानून के तहत गैरकानूनी और आतंकी संगठन माना जाएगा। यह संगठन देश के लिए खतरा है और कई आतंकी मामलों में लिप्त है।
देश के लिए खतरा है सिमीकेंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि सिमी को भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता को खतरे में डालने के लिए, आतंकवाद को बढ़ावा देने, शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने में शामिल पाया गया है।
बीते साल केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) पर लगे प्रतिबंध को सही ठहराया था। केंद्र सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा था कि सिमी भारतीय राष्ट्रवाद के खिलाफ है।
हलफनामे में केंद्र सरकार ने लगाए थे ये आरोपकेंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कोई भी संगठन जिसका उद्देश्य भारत में इस्लामिक शासन स्थापित करना है, उसे अस्तित्व में रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। केंद्र ने अपने हलफनामे में आरोप लगाया कि सिमी के उद्देश्य देश के कानूनों के विपरीत हैं, क्योंकि संगठन का उद्देश्य इस्लाम के प्रचार में छात्रों और युवाओं को जुटाना और जिहाद के लिए समर्थन प्राप्त करना है।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा गया कि कई सालों तक प्रतिबंधित रहने के बावजूद सिमी ने विभिन्न संगठनों के माध्यम से अवैध गतिविधियों में लिप्त रहना जारी रखा है, इसलिए उसके खिलाफ नया प्रतिबंध लगाया गया। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि वह सिमी पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करे।
2001 में लगा था पहला प्रतिबंधसिमी पर पहली बार प्रतिबंध 2001 में लगाया गया था। यह संगठन आतंकी घटनाओं का अंजाम देता आ रहा था। कई आतंकी घटनाओं में स्लीपर सेल के रूप में कार्य करता था। इसका गठन 25 अप्रैल 1977 को अलीगढ़, उत्तर प्रदेश में किया गया था। यह संगठन 2005 में दो भागों में विभाजित हुआ। इसमें से सफदर नागोरी का गुट आतंकी गतिविधियों को संचालित करने लगा।
सिमी से इंडियन मुजाहिद्दीनसिमी से ही आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन का जन्म हुआ। इस संगठन के सफदर नागोरी गुट में शामिल रहे प्रमुख नेता रहे रियाज और इकबाल भटकल सबसे पहले पाकिस्तान गए और वहीं इन्होंने इंडियन मुजाहिद्दीन की स्थापना की। सिमी से आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन में परवर्तित यह लश्कर ए तैयबा के लिए काम करने लगा। इसके बाद भारत में हुए कई हमलों में इसका नाम आया।