CBI vs CBI: आलोक वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, नाराज़ कांग्रेस करेगी देशभर में विरोध प्रदर्शन, बड़ी बातें

सीबीआई के निदेशक आलोक कुमार वर्मा Alok Verma को अधिकार वापस लेकर उन्हें छुट्टी पर भेजे जाने के खिलाफ उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट Supreme Court शुक्रवार को सुनवाई करेगा। सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जब सार्वजनिक हो गया, तब केंद्र सरकार ने दोनों को छुट्टी पर भेज दिया। मगर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो के निदेशक आलोक कुमार वर्मा को अधिकार वापस लेकर उन्हें छुट्टी पर भेजे जाने के खिलाफ उनकी याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। दरहसल, वर्मा ने अपनी याचिका में केंद्र की ओर से उन्हें छुट्टी पर भेजे जाने तथा अंतरिम प्रभार 1986 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के ओडिशा कैडर के अधिकारी तथा एजेंसी के संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को सौंपे जाने के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस के कौल एवं न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ वर्मा की याचिका पर सुनवाई करेगी।

- सीबीआई मामले में एक गैर सरकारी संगठन ‘कामन कॉज’ ने भी गुरूवार को याचिका दायर कर जांच एजेंसी के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के मामले की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने की मांग की। वर्मा ने अपनी याचिका बुधवार को दायर की थी। उनकी याचिका पर सुनवाई गैर सरकारी संगठन की याचिका के साथ ही होगी।

- जांच एजेंसी के निदेशक ने अपनी याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए कहा कि एजेंसी के प्रमुख और विशेष निदेशक को छुट्टी पर भेजने के अलावा संवेदनशील मामलों की जांच कर रहे अधिकारियों को भी बदल दिया गया है। अदालत में वर्मा का पक्ष रखने वाले अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने बुधवार को तत्काल सुनवाई की मांग की और उल्लेख किया कि केंद्रीय सतर्कता आयोग ने कल सुबह छह बजे वर्मा के अधिकार वापस लेने का फैसला किया।

- न्यायालय में आलोक वर्मा का पक्ष रखने वाले अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने बुधवार को तत्काल सुनवाई की मांग की और उल्लेख किया कि केंद्रीय सतर्कता आयोग ने कल सुबह छह बजे वर्मा के अधिकार वापस लेने का फैसला किया।

- सीबीआई (CBI) ने इस मामले पर सफ़ाई देते हुए कहा कि आलोक वर्मा Alok Verma अभी भी सीबीआई डायरेक्टर हैं, जबकि राकेश अस्थाना Rakesh Asthana स्पेशल डायरेक्टर। इन अफ़सरों को हटाया नहीं गया है। इन्हें सिर्फ जांच से अलग करके छुट्टी पर भेजा गया है। दरअसल, दोनों अधिकारियों से सारे अधिकार वापस ले लिए गए हैं।

- सीबीआई प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने कहा कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) द्वारा इन दोनों अधिकारियों से जुड़े मामले की जांच पर फैसला किए जाने तक एम नागेश्वर राव सिर्फ एक अंतरिम व्यवस्था हैं। आलोक वर्मा ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और उन्होंने 23 अक्टूबर की रात आए सरकार के उस आदेश को रद्द करने की मांग की है, जिसके जरिए उनका और अस्थाना के सारे अधिकार वापस ले लिए गए और राव को निदेशक पद की जिम्मेदारियां सौंप दी गई।

- सरकार ने आलोक वर्मा और अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया है। सीबीआई के 55 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है। केंद्र ने भ्रष्टाचार रोधी संस्था सीवीसी से मिली एक सिफारिश के बाद यह फैसला लिया। दरअसल, सीवीसी ने यह महसूस किया कि वर्मा आयोग के कामकाज में जानबूझ कर बाधा डाल रहे हैं, जो सीबीआई निदेशक के खिलाफ अस्थाना की शिकायतों की जांच कर रहा है। सारे अधिकारों से वंचित किए जाने के बाद वर्मा ने शीर्ष न्यायालय का रुख कर दलील दी कि रातों रात उनके सारे अधिकार वापस ले लिया जाना सीबीआई की स्वतंत्रता में दखलंदाजी के समान है।

- दरअसल, CBI ने अपने स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के ख़िलाफ़ एक FIR दर्ज कराई है। इस FIR में अस्थाना पर मीट कारोबारी मोइन क़ुरैशी के मामले में जांच के घेरे में चल रहे एक कारोबारी सतीश सना से दो करोड़ रुपए की रिश्वत लेने का आरोप है। सीबीआई में नंबर दो की हैसियत रखने वाले। राकेश अस्थाना इस जांच के लिए बनाई गई एसआईटी के प्रमुख हैं। कारोबारी सतीश सना का आरोप है कि सीबीआई जांच से बचने के लिए उन्होंने दिसंबर 2017 से अगले दस महीने तक क़रीब दो करोड़ रुपए रिश्वत ली।

- सीबीआई (CBI vs CBI) में जारी घमासान के बीच सरकार ने बुधवार को अपना पक्ष रखा। सरकार की ओर से वित्त मंत्री अरुण जेटली और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मीडिया से कहा कि सीबीआई में जो भी हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है। साथ ही आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजे जाने के फैसले की आलोचना के जवाब में सरकार ने कहा कि सीवीसी की सिफारिश के आधार पर ही उन्हें छुट्टी पर भेजा गयाय। अरुण जेटली ने कहा कि सीवीसी के पास इस सीबीआई मामले की जांच करने का अधिकार है और उसके पास सारे कागजात हैं।

- वहीं, गुरुवार को सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के घर के बाहर से आईबी के चार अफसरों को उनके पीएएसओ ने पकड़ा। जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने उनसे पूछताछ के बाद छोड़ दिया। हालांकि, रिपोर्ट के मुताबिक, जिन संदिग्ध लोगों को आलोक वर्मा के घर के पास पकड़ा गया है, वे इंटेलीजेंस ब्यूरो के बताए जा रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि ये लोग आलोक वर्मा पर नजर बनाए हुए थे। अभी तक आलोक वर्मा की तरफ़ से कोई आधिकारिक शिक़ायत नहीं दर्ज़ कराई गई है। न ही आई बी ने अपने अफ़सरों के साथ हुई खींचतान पर कोई शिकायत की है।

- रातों रात सीबीआई चीफ आलोक वर्मा को पद से हटाकर उनकी जगह नागेश्वर राव को नियुक्त करने पर भी अब मोदी सरकार घिरती हुई नज़र आ रही है। मोदी सरकार इस फैसले के बाद विपक्ष के निशाने पर आ गई है। सभी मोदी सरकार के इस फैसले को राफेल डील से जोड़कर देख रहे हैं। और बयानबाज़ी का दौर शुरू हो गया है। कांग्रेस, बीएसपी, सीपीआई सभी ने मोदी सरकार के इस फैसले को संदेह के नज़रिए से देखते हुए तमाम आरोप लगाए हैं। वही अब कांग्रेस ने 26 अक्टूबर को देशभर में विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान कर दिया है। कांग्रेस 26 अक्टूबर यानि कल देश भर के सीबीआई कार्यालयों में विरोध करेगी।