सीबीआई के पूर्व चीफ और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी आलोक वर्मा ने केंद्रीय जांच ब्यूरो के पद से हटाए जाने के बाद अग्निशमन विभाग में महानिदेशक बनाए जाने के बाद पद संभालने से इनकार करते हुए शुक्रवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी को गृह मंत्रालय के तहत अग्निशमन विभाग, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड्स का निदेशक नियुक्त किया गया था। आलोक वर्मा के इस्तीफे के बाद सीबीआई के नए डायरेक्टर की तलाश शुरू हो गई है। आलोक वर्मा को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीइआई) के निदेशक पद से हटाए जाने के एक दिन बाद कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने एजेंसी के नए निदेशक की तलाश तेज कर दी है। परंपरा के मुताबिक, सीबीआई डायरेक्टर के रिटायर होने के एक महीने पहले से ही उनके उतराधिकारी की तलाश शुरू कर दी जाती है। सूत्रों की मानें, तो मुख्य सतर्कता आयुक्त (CVC) ने 10 अधिकारियों का एक पैनल तैयार किया है, जिसमें 1983, 1984, 1985 बैच के अधिकारी शामिल हैं। विभाग महानिदेशक स्तर के भारती पुलिस सेवा (आईपीएस) के 10 अधिकारियों में से अंतिम नामों में से अपनी संक्षिप्त सूची बनाने की कवायद में जुटा हुआ है।
नाम नहीं बताने की शर्त पर गृह मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि डीओपीटी को दिसंबर 2018 में सीबीआई निदेशक के चयन के लिए 17 अधिकारियों की सूची भेजी गई थी।
सूत्रों ने बताया कि सीबीआई निदेशक पद की दौड़ में 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी और मुंबई पुलिस आयुक्त सुबोध कुमार जायसवाल, उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओ.पी. सिंह और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के प्रमुख वाई.सी. मोदी आगे चल रहे हैं। वरीयता और भ्रष्टाचार निरोध के मामलों की जांच में अनुभव के कारण अधिकारियों की सूची में 1983 बैच की अधिकारी और गृह मंत्रालय में विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) रीना मित्रा, उत्तर प्रदेश के महानिदेशक ओ.पी. सिंह और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के महानिदेशक राजीव राय भटनागर के नाम शामिल हैं।
1984 बैच के कुछ प्रमुख नामों में एनआईए प्रमुख मोदी, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के महानिदेशक सुदीप लखटकिया, पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के प्रमुख ए.पी. माहेश्वरी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलोजी एंड फॉरेंसिक साइंस के निदेशक एस. जावेद अहमद, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक रजनीकांत मिश्रा और भारत-तिब्ब्त सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के प्रमुख एस.एस. देसवाल शामिल हैं। 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी और मुंबई पुलिस आयुक्त सुबोध कुमार जायसवाल भी दावेदार हैं। रीना मित्रा और मोदी के पास सीबीआई और भ्रष्टाचार निरोधक शाखाओं में काम करने का लंबा अनुभव है। रीना मित्रा के अलावा, ओ.पी. सिंह और राजीव राय भटनागर 1983 बैच के अधिकारी हैं और सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बैच के हैं। राकेश अस्थाना उनके खिलाफ उनकी ही एजेंसी द्वारा दाखिल एफआईआर को निरस्त करवाने की कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, जायसवाल के नाम पर मुहर लगने की संभावना है। जायसवाल ने रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) में सेवा प्रदान की है और वह मुंबई पुलिस आयुक्त बनने से पहले कैबिनेट सचिवालय में बतौर अतिरिक्त सचिव कार्यरत थे।
डीओपीटी द्वारा करीब तीन-चार अधिकारियों के नाम सीबीआई निदेशक पद के लिए चुने जाने के बाद उनको चयन समिति के पास भेजा जाएगा। तीन सदस्यीय चयन समिति में प्रधानमंत्री, भारत के प्रधान न्यायाधीश और लोकसभा में कांग्रेस के नेता शामिल हैं, जो दो साल के तय कार्यकाल के लिए इनमें से एक नाम पर अंतिम फैसला लेंगे।
एक अन्य अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि डीओपीटी अधिकारी के नामों की संक्षिप्त सूची बनाने की प्रक्रिया में जुटे हैं। सूची भ्रष्टाचार निरोध के मामलों की जांच में अधिकारियों का अनुभव, सीबीआई में पहले कार्य करने का अनुभव, काडर में सतर्कता के मामलों का निष्पादन और उनकी निष्ठा के आधार पर बनाई जाती है।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2004 में तय दिशानिर्देशों के अनुसार, आईपीएस के चार सबसे पुराने बैच के सेवारत अधिकारी शीर्ष पद के दावेदार होंगे।
वर्मा का कार्यकाल 31 जनवरी को समाप्त होने वाला था। नए नाम पर फैसले की घोषणा इस महीने के अंतिम सप्ताह से पहले या अंतिम सप्ताह में हो सकती है।